जानें उज्जैन महाकाल मंदिर से जुड़ी कुछ ऐसी बातें जो हर महाकाल भक्त जानना चाहेगा
भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर जो मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित है। ज्योतिर्लिंग अर्थात वह स्थान जिसे भगवान शिव ने स्वयं स्थापित किए थे। बता दें की पुराणों, महाभारत और कालिदास जैसे महाकवियों की रचनाओं में उज्जैन महाकाल मंदिर का बहुत ही मनोहर वर्णन मिलता है। पुराणों में शिव का नाम ‘रुद्र’ रूप में आया है और बताया गया है की रुद्र संहार के देवता और कल्याणकारी हैं। आपकी जानकरी के लिए बता दें की उज्जैन महाकाल मंदिर की ना सिर्फ देश में बल्कि पूरे विश्व में बहुत ही ख्याति है और यह महाकालेश्वर भगवान का प्रमुख मंदिर है।
उज्जैन महाकाल मंदिर का इतिहास
मध्यप्रदेश राज्य के उज्जैन नगर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर को तकरीबन हर भारतवासी जानता होगा और सिर्फ जनता ही नहीं होगा बल्कि इस विश्व विख्यात उज्जैन महाकाल मंदिर की प्रसिद्धि के बारे में भी परिचित होगा। बताया जाता है की उज्जैन महाकाल मंदिर का निर्माण श्रीमान पेशवा बाजी राव और छत्रपति शाहू महाराज के जनरल श्रीमान रानाजिराव शिंदे महाराज ने 1736 में करवाया था। हालांकि इसके बाद श्रीनाथ महादजी शिंदे महाराज और श्रीमान महारानी बायजाबाई राजे शिंदे ने इसमें कई तरह के बदलाव किए और कुछ मरम्मत का कार्य भी कराया था।
आपकी जानकरी के लिए बताते चलें की उज्जैन महाकाल मंदिर में एक प्राचीनकाल का कुंड भी है जिसे कोटितीर्थ कहा जाता है। ऐसी मान्यता है की यहां पर स्नान करने से दर्शनार्थी पवित्र हो जाता है और साथ ही साथ उसके सभी पाप तथा हर तरह के संकट कट जाते हैं। बता दें की महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में है, सबसे नीचे वाले हिस्से में स्वयं महाकालेश्वर है तथा बीच वाले हिस्से में ओंकारेश्वर विराजमान है इसके अलावा अगर बात करें ऊपर वाले हिस्से की तो आपको बता दें की वहाँ पर भगवान नागचंद्रेश्वर है।
उज्जैन महाकाल मंदिर में भस्म से शुरू होती है महाकालेश्वर की आरती
भक्तों के लिए भक्ति, आस्था और आराधना की वो मंजिल जहां सुबह शाम बजने वाली घंटों की ध्वनि निरंतर किसी चमत्कारी शक्ति का आभास करवाती है। बता दें की उज्जैन महाकाल मंदिर की सबसे खास बात जो यहाँ आने वाले सभी भक्तों को सबसे ज्यादा आकर्षित करती है वो है भस्म की आरती। इसके अलावा इस मशहूर मंदिर में लोगों के आकर्षण का केंद्र नागचंद्रेश्वर मंदिर, भगवान महाकाल की शाही सवारी आदि है।
बात करें भस्म की आरती की तो आपको बता दें की हर दिन अलसुबह होने वाली भगवान की भस्म आरती के लिए भक्तों को महीनों पहले से ही एडवांस बुकिंग करनी पड़ती है। ऐसी मान्यता है की यदि किसी मुर्दे की भस्म इस महाकाल मंदिर के श्रृंगार के लिए चयनित हो जाती है तो मृत व्यक्ति के परिजन उसे बहुत ही भाग्यवान मानते है। मगर कुछ विवादों के बाद अब गोबर के कन्डो की भस्म को महाकालेश्वर पर लगाया जाता है।
उज्जैन महाकाल मंदिर एक पवित्र गार्डन में बना हुआ है, जो सरोवर के पास विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। बताते चलें की इसके साथ ही निचले पवित्र स्थान पर पीतल के कई सारे लैंप भी लगाये गए है। यहाँ मौजूद अन्य सभी मंदिरों की तरह यहाँ भी देश के विभिन्न हिस्सों से महाकाल के भक्त आते हैं और यहाँ आने वाले सभी भक्तो को भगवान का प्रसाद दिया जाता है।