नवरात्रि पर क्यों की जाती है 9 कन्याओं की पूजा, जानिए इसका विशेष महत्व
हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत बड़ा महत्व होता है. इस दौरान भक्त माता को मनाने और उन्हें प्रसन्न करने में कोई कमी नहीं छोड़ते और सबके हित का काम करने की कोशिश करते हैं. इस दौरान 9 कन्याओं का पूजन करना बहुत लाभकारी माना जाता है. कहते हैं जो 9 दिन का व्रत रखते हैं तो उन्हें 9 कन्याओं का पूजन करके ही अपना व्रत खोलना चाहिए. जिस तरह 9 दिनों तक अम्बे मां का गुणगान और पूजा-अर्चना की जाती है उसी तरह नवरात्रि में सप्तमी तिथि से कन्या पूजन का कार्यक्रम शुरु हो जाता है. अष्टमी और नवमी वाले दिन 9 कन्याओं का पूजन, उनका भोजन और किसी भेंट के साथ विदाई करनी चाहिए, ऐसा करने से देवी मां प्रसन्न हो जाती हैं और आपकी पूजा भी स्वीकार हो जाती है. नवरात्रि पर क्यों की जाती है 9 कन्याओं की पूजा, इसके जवाब में इनकी धार्मिक मान्यता है. जो हर किसी को गहराई से समझनी चाहिए और शास्त्रों के अऩुसार ही नवरात्रि पर देवी मां का पूजन करें.
नवरात्रि पर क्यों की जाती है 9 कन्याओं की पूजा
कन्या पूजन का धार्मिक कारण ये है कि कुंवारी कन्याएं माता के समान ही पवित्र और पूजनीय मानी गई हैं. दो साल की उम्र से लेकर दस साल की उम्र तक की लड़कियों को कन्या भोज करवाना चाहिए क्योंकि यही वो उम्र होती है जब बच्चे झूठ-कपट और दुनियादारी से दूर होते हैं. यही कारण है कि इसी उम्र की कन्याओं के पैरों को विधिवत पूर्वक धुलकर फिर तिलक अक्षत से उनका सत्कार करें और फिर भोजन में जो आपकी सामर्थ्य हो वो अर्पित करें. वे कन्याएं खुशी पूर्वक आपकी पूजा स्वीकार करेंगी. मान्यता के अनुसार, हवन, जप र दान से देवी मां प्रसन्न नहीं होती जितनी की कन्या पूजन से होती हैं, इसके अलावा जो लोग महिलाओं का आदर और सम्मान करते हैं उनसे भी देवी मां प्रसन्न रहती हैं. ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत और कन्या पूजन को विधिपूर्वक करने से व्यक्ति का हर तरह का भय उससे दूर रहता है. इसके साथ ही उसके मार्ग में आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और उसपर मां की कृपा से कोई संकट कभी नहीं आता और दुर्गा मां की कृपा उनके ऊपर बनी रहती है. नवरात्रि की पूजा बहुत कठिन नहीं है बस इसे विधिपूर्वक करने से जरूरत होती है माता रानी सबका भला करती हैं.
आयु अनुसार कन्या पूजन का महत्व
1. नवरात्र में सभी तिथियों को एक-एक और अष्टमी या नवमी के दिन 9 कन्याओं और एक लंगूर यानी किसी एक लड़के की पूजा की जाती है.
2. नवरात्रि में 2 साल की उम्र की कन्या के पूजन से मां दुर्गा दुख और दरिद्रता दूर करती हैं.
3. नवरात्रि में 3 साल की उम्र वाली कन्याओं को त्रिमूर्ति माना जाता है. त्रिमूर्ति कन्या के पूजन से धन-धान्य आता है और परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है.
4. नवरात्रि में 4 साल की उम्र की कन्या को कल्याणी माना जाता है, इसकी पूजा से परिवार का कल्याण होता है.
5. नवरात्रि में 5 साल की उम्र की कन्या रोहिणी कहलाती है, जिसे पूजने से व्यक्ति रोगमुक्त हो जाता है.
6. नवरात्रि में 6 साल की उम्र की कन्या को कालिका रूप माना गया है, जो विद्या, विजय, राजयोग की प्राप्त कराती है.
7. नवरात्रि में 7 साल की उम्र की कन्या का रूप चंडिका का माना गया है. चंडिका रूप का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.
8. नवरात्रि में 8 साल की उम्र की कन्या शाम्भवी कहलाती है और इसका पूजन करने से वाद-विवाद में विजय प्राप्त होती है.