अध्यात्म

जाने गणेश चतुर्थी का महत्व, व्रत कथा तथा पुजा विधि

न्यूजट्रेंड एस्ट्रो डेस्क – गणेश चतुर्थी का महत्व: हमारे भारत में गणेश चतुर्थी का महत्व बहुत हुई ज्यादा है और यह पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता हैं और खास करके महाराष्ट्र, गोवा, केरल और तमिलनाडु में यह त्यौहार बड़े स्तर पर मनाया जाता हैं। शास्त्रो में गणेश भगवान को लेकर बहुत सारी कहानियाँ प्रचलित हैं, खास कर उनके जन्म को लेकर हैं। ऐसी मान्यता हैं कि माता पार्वती ने उन्हें अपने शरीर के मैल से बनाया हैं, इसके अलावा एक और कहानी प्रचलित हैं कि जब माता पार्वती स्नान करने जा रही थी तब उन्होने गणेश भगवान को आदेश दिया कि वह जब तक स्नान कर के ना लौटें, तब तक वह दरवाजे पर पहरा दें और किसी को भी अंदर ना आने दें और गणेश भगवान अपनी माता का आदेश पाकर वह उनका पालन करने लगे।

मगर तभी वहाँ पर भगवान शिव जी वहाँ आ गए और उन्होने गणेश जी को दरवाजे से हटने को कहा लेकिन गणेश भगवान ने अपने पिता यानी शिव जी को अंदर प्रवेश नहीं करने दिया और इस पर शिव जी क्रोधित हो गए और उन्होंने गणेश भगवान का सिर धड़ से अलग कर दिया। इतने में माता पार्वती बाहर आयी और उन्होंने अपने पुत्र का सिर कटा हुआ देख आपे से बाहर हो गयी और तब शिव जी ने माता पार्वती को यह वचन दिया कि वह बेटे को नया जीवन देंगे। इसके बाद उन्होने गणेश जी को हाथी का सिर लगा दिया और यही वजह है की गणेश जी को गजानन भी कहा जाता है।

क्यों है गणेश चतुर्थी का महत्व

लेकिन जब गणेश भगवान को हाथी का सिर लगाया गया तब माता पार्वती चिन्तित हो गयी क्योंकि उन्हें लगा कि यदि कोई उनके बेटे को इस तरह देखेगा तो उसका मज़ाक उड़ाएगा। भविष्य में ऐसा कुछ ना हो इसलिए उन्होने भगवान शिव से एक वचन लिया कि किसी भी शुभ कार्य से पहले उनके बेटे यानी गणेश भगवान जी पुजा होगी, यदि उनकी पुजा नहीं की जाती तो कोई भी कार्य सफल नहीं माना जाएगा और तभी से गणेश भगवान की पुजा किसी भी शुभ कार्य करने से पहले की जाती हैं।

गणेश चतुर्थी पुजा विधि

  • गणेश भगवान की पुजा करने के लिए सबसे पहले अक्षत, जल, पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन करे और गणेश भगवान के साथ समस्त देवताओं का ध्यान करे।
  • अक्षत एवं पुष्प को चौकी पर समर्पित करें, इसके पश्चात एक सुपारी में मौली लपेटकर चौकी पर थोड़े-से अक्षत रखे और उस पर वह सुपारी स्थापित करें।
  •  इसके बाद गणेश भगवान का आह्वान करें और आह्वान करने के बाद कलश पूजन करें।
  • कलश को उत्तर-पूर्व दिशा या चौकी की बाईं ओर स्थापित करें और कलश पूजन के बाद दीप पूजन करें।
  • ये सब करने के बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणेश पूजन करें।

गणेश चतुर्थी व्रत विधि

बता दें की नारद पुराण के अनुसार गणेश चतुर्थी का महत्व बताया गया है और कहा गया है की इस दिन व्रती को पूरे दिन का उपवास रखना चाहिए और फिर शाम के समय गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। कहा जाता है की गणेश चतुर्थी के दिन व्रत कथा सुनना बहुत ही शुभ होता है। इसके अलावा आपको बता दें की रात्रि के समय जब चन्द्रोदय हो जाता है उस वक़्त गणेश जी का विधिपूर्वक पुजा कर ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद स्वयं भोजन करना चाहिए। बता दें की जो भी व्यक्ति इस गणेश चतुर्थी का व्रत विधि पूर्वक करता है उसके घर में धन-धान्य और आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है।

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