बर्बरीक वो योद्धा जो एक पल में पलट देता महाभारत, श्री कृष्ण भी हो गए थे भयभीत
न्यूजट्रेंड वेबडेस्कः महाभारत का युद्ध इतना बड़ा युद्ध था जिसे एक तरह से देखा जाए तो पारिवारिक लड़ाई हुई थी। महाभारत के युद्ध में कई लोगों के नाम सामने आए जिन्होंने अपनी बुद्धि से नहीं तो छल से सामने वाले को धूल चटाई। इनकी कहानियां आपने टीवी या किताबों में देखी-पढ़ी होगी। इस युद्ध के पीछे भी भगवान श्रीकृष्ण की लीला थी। वो दुनिया में, समाज में हर एक घटना के जरिए लोगों को संदेश देना चाहते थे ताकी मनुष्य ऐसी गलती ना करें। श्रीकृष्ण तो भगवान थे और चाहते तो एक पल में ही महाभारत का युद्ध खत्म कर देते या चाहते तो युद्ध होता ही नहीं, लेकिन वो ते प्रभु की लीला थी। हालांकि महाभारत युद्ध में एक ऐसा योद्धा बर्बरीक भी थी जिससे भगवान कृष्ण भी डर गए थे।
कौन था बर्बरीक ( Barbarik ), जानिये बर्बरीक की कहानी ( Barbarik ki kahani ) –
महाभारत के युद्ध में एक से बढ़कर एक योद्धा थें। अर्जुन, कर्ण, भीम, भीष्म पितामह, लेकिन इन सब पर भी भारी था बर्बरीक। बर्बरीक घटोत्कच का पुत्र था। वही घटोत्कच जिसके उत्पात की वजह से कर्ण को इंद्रप्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल कर उनका वध करना पड़ा था। उन्हीं घटोत्कच और नाग कन्या मौरवी का पुत्र था बर्बरीक। वह बचपन से ही बहुक बलशाली और महान योद्धा था। उसने युद्ध कला श्री कृष्ण और आपनी मां से सीखी थी। वो शिव का परम भक्त था। उसने बहुत कठोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया था। शिव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर तीन अमोघ बाण दिए थे। इसके बाद से वो तीन बाणधारी के नाम से प्रसिद्ध हुआ था।
बर्बरीक ( Barbarik ) महाभारत युद्ध में हिस्सा लेना चाहता है
जब महाभारत के युद्ध की शुरुआत हुई तो बर्बरीक ने अपनी मां से इच्छा जाहिर की की वो भी इस युद्ध में हिस्सा लेना चाहता है। मां को पता था कि बर्बरीक के पास अमोघ बाण है जिससे तीनों लोक पर विजय पाई जा सकती है। मां ने आशीर्वाद देने के साथ ही शर्त रखी की युद्ध में जो पक्ष हार रहा होगा वह उनकी तरफ से लड़ेगा। मां का आशीर्वाद लेकर बर्बरीक चल निकला। श्रीकृष्ण को जब इस बात का पता चला तो वो सोच में पड़ गए। उन्हें पता था कि बर्बरीक अगर युद्ध में शामिल हुआ तो पूरे महाभारत की काया पलट जाएगी।
श्रीकृष्ण ने रचा खेल बर्बरीक (barbarik) को महाभारत युद्ध में सम्मलित नहीं होने देंगे-
श्री कृष्ण ने फैसला किया की वो बर्बरीक को इस युद्ध में सम्मलित नहीं होने देंगे। उन्होंने ब्राह्मण वेश धारण किया और बीच रास्ते में ही उन्हें रोक दिया। उन्होंने Barbarik से कहा कि सिर्फ तीन बाण से कोई युद्ध कैसे जीत सकता है। बर्बरीक श्रीकृष्ण को पहचान ना सके। उन्होंने कहा कि उनका एक बाण ही युद्ध जीतने के लायक है अगर तीनों बाण चला दिए तो ब्रह्मांड का विनाश हो जाएगा। श्री कृष्ण ने उन्हें चुनौती दी कि पेड़ के सारे पत्तों को भेद के दिखाओ। Barbarik ने शिव का स्मरण करते हुए बाण चलाए और सारे पत्ते पलक झपकते ही धाराशाही हो गए। बाण श्रीकृष्ण के पैर के आगे पीछे घूमने लगा तो barbarik ने कहा कि आप अपना पैर पत्ते से हटा लें, वर्न ये आपके पैर को भेदते हुए पत्ते को खत्म करेगा।
श्रीकृष्ण ने पूछा कि वो युद्ध में किसकी तरफ से शामिल होने जा रहा है? बर्बरीक ने बताया कि वो युद्ध में किसकी तरफ से सम्मलित होगा जो हार रहा होगा। श्रीकृष्ण जानते थे कि युद्ध में कौरवों की हार होने लगेगी इसे बदलने के लिए उन्होंने बर्बरीक से दान में उनका सिर मांग लिया। बर्बरीक चौंके, लेकिन वो समझ गए कि ये ब्राह्मण नहीं कोई और हैं। उन्होंने प्रार्थना की वो महाभारत का युद्ध अंत तक देखना चाहते हैं। कृष्ण ने उनके शिश को एक पहाड़ पर रख दिया जहां से उन्होंने ने पूरा युद्ध देखा। युद्ध समाप्त होने पर कृष्ण उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें श्याम नाम दिया।