Shiv Sati Story प्रेम में बैरागी हो जाना तो शिव ने बताया है, सती से प्रेम में कर लिया था ये हाल
शिव – सती की कहानी(shiv sati story) जब आप भगवानों के प्रेम की बात करते हैं तो आपके मन में राधा-कृष्ण की छवि सामने आती होगी। सही भी है उनके जैसा प्रेम तो संसार में ही किसी जीव ने किया ने किया होगा, लेकिन आप महादेव के प्रेम के बारे में क्या सोचते हैं? महादेव जिन्हें मृत्यु का देवता कहा जाता है, जो भोले भी हैं तो बहुत जल्दी क्रोधित भो हो जाते हैं। उन भोले भंडारी का प्रेम भी उतना ही पावन और निश्च्छल है जितना राधा कृष्ण का, लेकिन हम किसी के प्रेम की तुलना कैसे कर सकते हैं।
शिव और मां सती की प्रेम कहानी (Shiv sati story)
महादेव तो प्रेम में बैरागी हो गए थे
मां सती से शिव के प्रेम के बारे में सुनकर हो सकता है आप अंचभित हों। आपको बता दें कि मां सती पार्वती का ही एक रुप हैं और मां पार्वती के एक कई जन्म में से एक थी। सती शिव से प्रेम करती थी और उन्हें अपना जीवनसाथी बनाना चाहती थीं। उनके पिता का नाम दक्ष था और वो कश्मीर घाटी के हिमालय क्षेत्र में रहते थें। राजा दक्ष को शिव बिल्कुल पसंद नहीं थे। उनका राक्षसों के साथ रहना और अजीब वेशभूषा राजा दक्ष का मन खराब करती थी, लेकिन उनकी पुत्री सती को शिव से ही प्रेम था। उन्होंने अपने पिता के विरुद्ध जाकर महादेव से शादी कर ली। (shiv sati story)
मां सती की भूल
मां सती और शिव के विवाह के बाद दक्ष ने एक विराट यज्ञ का आयोजन किया, लेकिन वो अपने दामाद और पुत्री से सारे रिश्ते तोड़ चुके थे अतः उन्होंने उन्हें निंमत्रण नहीं भेजा। सती को जब पता चला कि उनके मायके में कार्यक्रम है तो वो व्याकुल हो गईं। उन्होंने शिव से मायके जाने की अनुमति मांगी। शिव ने उन्हें समझाया कि हमें वहां निमंत्रित नहीं किया गया है इसलिए हमें वहां नहीं जाना चाहिए, लेकिन सती ने उन्हें किसी तरह मना कर अनुमति ले ली।
शिव का प्रेम (shiv sati story)
जब सती अपने मायके पहुंची तो पिता दक्ष ने बेटी का स्वागत करने के बजाय उनका अपमान कर दिया। उन्होंने शिव के प्रति काफी अपमानजनक बातें कह दीं जो सती सह नहीं पाईं। उन्हें मायके आने की गलती महसूस हुई और ग्लानी भाव से वहां बने अग्नि कुंड में कुद गईं। सती के अग्नि में प्राण त्यागने की खबर सुनकर शिव जी ने वीरभद्र को भेजा। वीरभद्र ने राजा दक्ष का सिर का दिया। शिव जब अपने ससुराल पहुंचे तो अपनी पत्नी का शरीर देखकर बेबस हो गए। उन्होंने सती को अपनी गोद मे उठा लिया और दूख से तांडव करने लगें। (और पढ़ें – शिव तांडव स्त्रोत के लाभ)
शिव के तांडव से तीनों लोक हिल गया। सभी विवश होकर भगवान विष्णु के पास पास पहुंचे। शिव सती को शरीर को लेकर यूं रहें जैसे किसी ने उनसे उनकी सांसे छीन ली हो। विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर टूकड़े कर दिए जिससे शिव का मोह भंग हो सके। इसके बाद जिस जगह सती के शरीर के टूकड़े गे वो शक्तिपीठ बन गई। इसके बाद सती का दूसरा जन्म पार्वती के रुप में हुआ और उन्होंने शिव से विवाह किया। शिव और पार्वती के तीन संतान हुई- गणेश, कार्तिकेय और अशोक सुंदरी ।तो यह थी (shiv sati story) शिव – सती की कहानी