अध्यात्म

जानिये क्यों वर्जित है नवरात्री में प्याज और लहसून का खाना, इसे खाना माना जाता है महापाप

10 अक्टूबर से नवरात्रि के दिन शुरु हो गए हैं और ऐसे में हिंदू धर्म में बहुत सारी चीजों को करना वर्जित माना जाता है. ऐसे में हर कोई सावधानी के साथ जीवन यापन करता है क्योंकि ऐसे में मौसम भी करवट लेता है और बहुत से लोगों में अच्छी और बुरी आदतें बदलती हैं. लोग निगेटिव थिंकिंग को पॉजिटिव में बदलने की कोशिश करते हैं इसके अलावा वे अपने घरों में कुछ चीजों की सावधानियां रखते हैं जिसमें लहसुन और प्याज भी शामिल होता है.

आपने अक्सर सुना होगा कि नवरात्रि के समय लोग लहसुन प्याज नहीं बनाते इसके पीछे एक जायज कारण है जो हर किसी को नहीं पता होता और वे लहसुन प्याज खाते हैं. मगर असल में ऐसा करना माता रानी को क्रोधित करता है और उनके क्रोध से तो देवता गण भी बहुत डरते हैं. अगर आप भी नवरात्रि में खाते हैं ये चीज तो हो जाइए सावधान, देवी मां के इन दिनों में अगर आप भी प्याज और लहसून खाते हैं तो ये खबर पढ़ लीजिए शायद आप इस पाप से बच जाएं.

अगर आप भी नवरात्रि में खाते हैं प्याज और लहसून तो हो जाइए सावधान

शास्त्रों में अगर कोई बात लिखी है तो उसके पीछे हर बात का कोई ना कोई कारण जरूर होता है और नवरात्रि के दौरान लहसुन प्याज खाना वर्जित है इसके पीछे का कारण भी कथा के रूप में लिखित है. अगर हम इसे संक्षेप में बताएं तो ये है कि लहसुन और प्याज को तामसिक भोजन माना जाता है और इसका सेवन नवरात्रि के समय करने से मां जगदम्बे के पूजन में बाधा पड़ती है जो सही नहीं होता.

अगर आप अपने घरों में नवरात्रि के दिनों में माता की विशेष पूजा करते हैं और 9 दिन का व्रत रखते हैं तो आपको भी लहसुन और प्याज खाना से बचना चाहिए वरना आपको भी लग सकता है महापाप. लेकिन अगर आप नहीं मानते हैं हैं तो आपके घर की सुख और समृद्धि कहीं खो जाएगी और फिर लाख मनाने पर भी माता नहीं मानती हैं. इसके अलावा इसके पीछे एक पौराणक कथा भी है और वो ये है कि जिस समय समुंद्र मंथन किया जा रहा था तो अमृत निकलने के बाद जब देवताओं में इसका बंटवारा हो रहा था तब एक असुर राक्षस ने इसका सेवन धोखे से कर लिया था.

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तामसिक भोजन माना जाता है प्याज और लहसून

ऐसा हो ये देवता नहीं चाहते थे इसलिए भगवान विष्णु ने क्रोधित होते हुए उसका सिर धड़ से अलग कर दिया लेकिन अमृत के प्रभाव से उस असुर की मृत्यु नहीं हुई. इसी असुर के सर को राहू और धड़ को केतू कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जब इस राक्षस का सिर धड़ से अलग हुआ था तब जो भी रक्त की बूंदें पृथ्वी पर गिरी थीं उसी से लहसुन और प्याज की उत्पत्ति हुई इसलिए इसे तामसिक भोजन माना जाता है और पूजा पाठ वाले घरों में इसका सेवन वर्जित है खासकर नवरात्रि के दिनों में ये बहुत गलत माना जाता है. इसलिए उन दिनों अगर इन तामसिक भोजन का प्रयोग किया तो इससे शरीर में आलस भर जाता है.

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