अध्यात्म

माँ दुर्गा की महिमा: शेरावाली माँ के 9 रूपों की कहानियाँ

माँ दुर्गा की महिमा: दानवों का नाश करने वाली दुर्गा माँ हिंदू पौराणिक कथाओं में सबसे शक्तिशाली देवी के रूप में जानी जाती हैं. दुर्गा माँ के 9 रूपों की कहानियाँ हमे बुराई पर अच्छाई की जीत का महत्व समझती हैं. इस आर्टिकल में आप दुर्गा माँ की महिमा और उनके नौ रूपों के बारे में जानेंगे. दुर्गा माँ को कुछ लोग शेरावाली माँ के नाम से भी जानते हैं. अपने हर रूप में दानवों का विनाश करने वाली दुर्गा माँ की महिमा अपरंपार है. इस लेख में आप दुर्गा माँ के 9 रूप की कहानियाँ पढ़ सकते हैं.

माँ दुर्गा की महिमा- शैलपुत्री का रूप

शैलपुत्री दुर्गा मां का सबसे पहला रूप है. इस रूप में दुर्गा मां ने पर्वतों के राजा हिमालय की पुत्री के रूप में जन्म लिया. राजा हिमालय की पत्नी मेनका ने कठिन तपस्या की जिसके बाद भगवान ने प्रसन्न होकर उन्हें दुर्गा मां बेटी के रूप में दी. इसी कारण उनका नाम शैलपुत्री रखा गया जहां शैल का अर्थ पर्वत और पुत्री का अर्थ बेटी है. शैलपुत्री का वाहन बैल माना जाता है ऐसी मान्यता है कि वह बैल पर बैठ कर दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का फूल पकड़ती थी. दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया और फिर दोबारा भगवान शिव की दिव्य पत्नी बनकर जन्म लिया. शैल पुत्र की कहानी बहुत प्रेरणादायक है.

माँ दुर्गा की महिमा- “_Brahmacharini” ब्रह्मचारिणी

ब्रह्मचारिणी  मां दुर्गा का दूसरा रूप है जहां ब्रह्म का मतलब तपस्या माना जाता है. इस रूप में दुर्गा मां अपने हाथ में एक जप माला पकड़ी रखती हैं और बाएं हाथ में कमंडल. पौराणिक कथाओं के अनुसार जब नारद मुनि ने ब्रह्मचारिणी को भगवान शिव के के साथ विवाह करने की सलाह दी तो ब्रह्मचारिणी  ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या की. इस रूप से मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया जिसके कारण बाद में उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा. ब्रह्मचारिणी को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान के लिए भी जाना जाता है.

माँ दुर्गा की महिमा- चंद्रघंटा

चंद्रघंटा दुर्गा मां का तीसरा रूप है. उनका यह रूप चंद्र की रोशनी का प्रतीक है. अर्थात दुर्गा मां परम शांति प्रदान करने वाली देवी हैं. मां के इस रूप की आराधना करने से हमें सुख एवं शांति मिलती है. इस रूप के अनुसार मां का स्वर्ग तेज के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है. चंद्रघंटा मां के 10 हाथ हैं और इन हाथों में उन्होंने कई तरह के अस्त्र-शस्त्र जैसे कि कमंडल, त्रिशूल, पदम फूल आदि पकड़े हुए हैं. ऐसी मान्यता है कि मां की आराधना से सभी तरह की मुश्किलें और पाप मिट जाते हैं और इनकी घाटियों की भयानक आवाज से सभी तरह के राक्षस भाग जाते हैं.

माँ दुर्गा की महिमा- कुष्मांडा

देवी दुर्गा के चौथे रूप को कुष्मांडा के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि जब पृथ्वी पर कोई जीव नहीं था तो हर जगह अंधकार ही अंधकार था. इस अंधकार को रोशनी में बदलने के लिए माता कुष्मांडा ने सृष्टि को जन्म दिया. उस समय माता कुष्मांडा सूर्यलोक में रहती थी. वहीं सूर्य की ऊर्जा से उन्होंने सृष्टि की रचना की. कुष्मांडा रूप में दुर्गा देवी के 8 हाथ थे इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है. इस रूप में उनका वाहन सिंह है और उनके हाथों में कमंडल, चक्र, कमल का फूल, अमृत मटका और जप माला होते हैं. कुष्मांडा शुद्धता की देवी है इनकी पूजा करने से हर तरह के दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं.

माँ दुर्गा की महिमा-  स्कंदमाता

दुर्गा माँ का स्कंदा रूप पांचवा रूप है. इस रूप में उन्होंने देवताओं को सही ज्ञान देने के लिए भगवान शिव से ब्याह किया था. शिव पार्वती के पुत्र कार्तिक को स्कंद कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि कार्तिक अर्थात स्कंदा को माँ पार्वती अपनी गोद में बैठा के रखती थी. सिंह वाहन की माता का यह रूप स्कंदमाता के नाम से जाना जाता है. इसमें माँ की चार भुजाएं हैं. ऊपर के हाथ में माँ ने कमल का फूल पकड़ा हुआ है और नीचे के हाथ से माँ वरदान देती है तथा तीसरे हाथ से वह कार्तिक को पकडे रखती हैं. स्कंदमाता का रूप भक्तों की सभी इच्छाओं की पूर्ती करता है.

माँ दुर्गा की महिमा- “_Katyayani” कात्यायनी

कात्यायनी दुर्गा देवी का छठा रूप है. इसमें महर्षि कात्यायना एक महान ज्ञानी थे जो अक्सर अपने आश्रम में महिषासुर के नाश के लिए तपस्या का अंत हो सके. कहा जाता है कि एक दिन ब्रह्मा , विष्णु, महेश्वर एक साथ महर्षि के सामने प्रकट हुए और उन्होएँ अपनी शक्ति से दुर्गा को प्रकट किया. उस समय अश्विन माँ की 14वीं रात थी. पिअत के नाम के कारण उनका नाम कात्यायनी रखा गया. ऐसी मान्यता है कि अश्विन माह के दसवें दिन महिषासुर का अंत हुआ था. इस रूप में माँ के चार हाथ होते हैं.

माँ दुर्गा की महिमा- कालरात्रि

कालरात्रि दुर्गा मां का सातवां रूप है. काल का विनाश करने के चलते इस रूप में उन्हें कालरात्रि कहा जाता है. कालरात्रि के शाब्दिक अर्थ है -अंधकार की रात. इस रूप में दुर्गा मां के बाल बिखरे हुए  होते हैं और शरीर अग्नि के समान तेज होता है. दुर्गा मां के स्वरूप को प्रचंड रूप कहा जाता है. इस रूप की पूजा करने से भूत, सांप, आग, बाढ़ और भयानक जानवरों के डर से मुक्ति मिलती है.

माँ दुर्गा की महिमा- महागौरी

महागौरी दुर्गा मां का आठवां रूप है इसमें उनका रंग सांवला था. भगवान शिव इस रूप में महागौरी को कालिके के नाम से पुकारा करते थे. एक बार मां पार्वती ने कठिन तपस्या की जिसके बाद शिव जी प्रसन्न हो गए और उन्होंने गंगा के पानी को माता पार्वती के ऊपर डाल कर उन्हें गोरा रंग दे दिया. तभी से माता पार्वती को महागौरी के नाम से पूजा जाने लगा.

माँ दुर्गा की महिमा- सिद्धिदात्री

दुर्गा मां के अंतिम रूप अर्थात नौवे रूप को सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है. सिद्धिदात्री के अनुकंपा से ही शिव जी को अर्धनारीश्वर का रूप मिला. अपने इस रूप में वह भक्तों कि सभी मनोकामना को पूर्ण करती हैं. सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है और उनका आसन कमल का फूल है.

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