नित्य पूजा विधि: घर में पूजा करने के सही नियम और क्षमा मंत्र
नित्य पूजा विधि: दुनिया में खुश रहने के लिए भगवान में आस्था होना बेहद जरूरी है. ऐसे में यदि आप घर परिवार की सुख समृद्धि बनाये रखना चाहते हैं तो आपका ईश्वर पर अटूट विश्वास होना चाहिए. कहते हैं सच्चे मन से यदि भगवान को याद किया जाए और उनकी पूजा की जाए तो हमारी मनोकामनाएं आवश्य पूरी होती हैं. वहीँ हिंदू धर्म में नित्य पूजा को ईश्वर के हृदय के सबसे करीब माना गया है. ऐसी मान्यता है कि नियमित रूप से नित्य पूजा करने से ईश्वर की प्राप्ति हो जाती है. आज हम आपको नित्य पूजा विधि, नित्य पूजा के मंत्र और नित्य कर्म पूजा विधि के कुछ जरूरी नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं. नित्य पूजा को करने से मन में एकाग्रता बनी रहती है और इच्छा शक्ति में वृद्धि होती है. इसके इलावा यह हमे हर कठिन से कठिन कार्य करने के भी सक्षम बनाती है.
नित्य पूजा विधि – जरूरी सामग्री
किसी भी पूजा या हवन के लिए कुछ जरूरी नियम बनाये गए हैं ऐसे में यदि सामग्री सही हो तो पूजा का फल अवश्य मिलता ही है. वहीँ बात अगर नित्य पूजा की करें तो इस पूजा में हम सूर्य, गणेश, दुर्गा माँ, शिव जी और विष्णु का पूजन करते हैं. इन भगवानो को पंचदेव भी कहा जाता है. रोज़ाना पंचदेव की पूजा करने से लक्ष्मी माँ की कृपा हम पर सदैव बनी रहती है धन की प्राप्ति होती है. नित्य पूजा के लिए आवश्यक सामग्री निम्नलिखित है-
- भगवानो की प्रतिमा या तस्वीर
- पुष्प, फूल एवं माला
- रोली और कंकू
- चंदन
- अक्षत
- सिन्दूर
- दिया और बाती
- तेल या घी
- अगरबत्ती या धूपबत्ती
- जल का लोटा
- मिठाई और फल
नित्य कर्म पूजा विधि – पूजा का सही तरीका
1. सुबह स्नान के बाद मंदिर में घी और तेल का दीपक जलाएं
2. अब अगरबत्ती या धूपबत्ती से मंदिर को सुगंधित करें.
3. सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें और उन्हें स्नान करवा कर वस्त्र अर्पित करें. अब धुप, रोली, अक्षत और पुष्प से उनकी प्रतिमा की पूजा करें.
4. इसके बाद विष्णु भगवान का ध्यान करें और उन्हें धूप, दीप, चंदन, जौ और पुष्प अर्पित करें.
5. अब भगवान शिव का ध्यान करके उन्हें पुष्प, अक्षत, चंदन आदि अर्पित करें.
6. इसके बाद दुर्गा माँ और सूर्य देव का ध्यान करके उन्हें पुष्प, दीप आदि चढ़ाएं.
7. अब पंचदेव को मिठाई एवं फल अर्पित करें और स्वच्छ जल चढ़ाएं.
8. पंच देव की आरती करके जल अर्पित करें.
9. आरती के पश्चात पंचदेव की परिक्रमा करें.
10. अंत में पुष्पांजली समर्पित करके पूजा दौर हुई गलतियों की क्षमा मांगे और नीचे दिए गए नित्य पूजा मंत्र का जाप करें.
ॐ पूर्णमद: पूर्णमिदं पूर्णात्, पूर्ण मुदच्यते
पूर्णस्य पूर्णमादाय, पूर्ण मेवा वशिष्यते।
ॐ शांति: शांति: शांतिः
नित्य पूजा विधि – नियम
- पंचदेव को तुलसी नहीं अर्पित करनी चाहिए.
- जल को लोटे में रखें ध्यान रहे कि लोटा प्लास्टिक का ना हो. इसके लिए तांबे का बर्तन सबसे उत्तम माना जाता है.
- दुर्गा माँ की पूजा के समय उन्हें एक प्रकार की घास ना चढ़ाएं.
- सूर्यदेव को शंख से अर्घ्य नही दें.
- तुलसी का पत्ता बिना स्नान किये नहीं तोड़ना चाहिए क्योकि शास्त्रों में बताया गया है की यदि कोई व्यक्ति बिना नहाए ही तुलसी के पत्तो को तोड़ता है तो पूजा के समय तुलसी के ऐसे पत्ते भगवान द्वारा स्वीकार नहीं किये जाते.