110 साल बाद बना है अद्भुत संयोग, दो नवरात्रि पड़ेंगे एक साथ, ये काम करने से होगी माँ की कृपा
हिंदू धर्म में देवी मां की पूजा का अपना अलग ही महत्व है. नवरात्रि के समय कोई किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं करना चाहता क्योंकि माता को नाराज करके इस दुनिया में कोई खुश नहीं रह पाता. इस बात का जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है. इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 10 अक्टूबर के दिन से शुरु हो रहा है जो कि 18 अक्टूबर को खत्म होकर 19 अक्टूबर के दिन पूरा देश दशहरा का उत्सव मनाएगा. माता रानी की कृपा अपने भक्तों पर बनी रहे इसके लिए भक्त भजन-कीर्तन करवाते हैं, भंडारे करवाते हैं और सबसे खास कि 9 दिन का उपवास रखकर माता रानी को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं. मगर क्या आप जानते हैं कि इस नवरात्रि पर 110 साल बाद बना है ऐसा अद्भुत संयोग, इसमें अगर भक्त सही समय पर पूजन और सही समय पर कलश स्थापना कर दें तो माता रानी की कृपा से घर में सुख-समृद्धि हमेशा वास करेगी.
इस नवरात्रि पर 110 साल बाद बना है ऐसा अद्भुत संयोग
कई विद्वान पंडितों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार शारदीय नवरात्रि बहुत ही खास होने वाली है. इसका कारण ये है कि 10 अक्टूबर को शुरु होने वाले नवरात्रि पर 110 सालों के बाद अद्भुक संयोग बनने वाले हैं जो हर किसी के लिए अच्छा ही करके जाएगा. ऐसे में एक ही दिन दो नवरात्रि होने के बावजूद नवरात्रि पूरे नौ दिन चलेंगे और दूसरे नवरात्रि का आगाज चित्रा नक्षत्र में होगा और श्रवण नक्षत्र में महानवमी आगमन होना तय है. एक दिन दो नवरात्रि होने के बावजूद मां दुर्गा नौ दिन कृपा बरसाने वाली हैं. 17 को सूर्य तुला राशि में प्रवेश करेंगे और ऐसे में नौ कन्याओं को खीर-पूड़ी का भोजन कराना बहुत लाभकारी सिद्ध होगा. दरअसल 10 अक्टूबर से शुरु होने वाले नवरात्रि 18 अक्टूबर तक चलेंगे और 19 को दशहरा मेला लगेगा. कलश स्थापना और पूजा का शुभ मुहुर्त सुबह 7:40 पर है और अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 बजे बीच में होगा. इस दौरान पूजा करना और मूर्ति या कलश स्थापित करना बहुत शुभ माना जाएगा. माता रानी की कृपा आपके ऊपर हमेशा बरसेगी.
ऐसे करें कलश की स्थापना
कहते हैं माता की मूर्ति रखने के साथ-साथ रेत पर जौ की खाद्द बनाकर उसके ऊपर कलश की स्थापना करना ही देवी मां की सही रूप में पूजा होती है. ऐसे में चांदी, तांबा, पीतल या मिट्टी का कलश स्थापित करना सही होता है लेकिन पहले उसे गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. इसके बाद उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछाएं और कलश के चारों ओर मौली बांधें. इसमें केसर सिक्का और गेंहूं के साथ जौ के बीज भी डाल दें. इसके बीचों बीच नारियल भी रख दें. इसके बाद इसमें रोज दोनों समय दीपक जलाकर पूजा अर्चना करना सही माना जाता है. नवरात्रि में दिन के समय नींद नहीं लेना चाहिए और जिस घर में कलश स्थापित हो उस घर को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए और याद रहे कि पूजा स्थल के पास चमड़े से बनी कोई भी वस्तु नही होनी चाहिए.