इस तरह से नहीं करेंगे कन्यापूजन तो नहीं मिलेगा मां का आर्शीवाद
पिर्त पक्ष खत्म होने के बाद आती है नवरात्रि जिसमें देवी मां के नौ स्वरूपों की आराधना और पूजा, अर्चना की जाती हैं।वेद शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में कन्या पूजन को विशेष महत्व दिया गया हैं जिसमें कन्याओं को घर बुलाकर उनकी आवभगत की जाती है। दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन इन कन्याओं को नौ देवी का रूप मानकर इनको घर बुलाकर इनका स्वागत, सत्कार किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृधि का वरदान देती हैं.लेकिन अगर आप यह सभी कार्य सही विधि और ढंग से नहीं करते हैं तो इस पूजा,सत्कार का कोई महत्व नहीं बचता है।अगर आप कन्या पूजन की सही विधि नहीं जानते हैं तो आपको नौ दिनों के व्रत, उपवास का कोई भी लाभ नहीं मिलता है।तो आज हम आपको बताएंगे कि किस विधि और नियम के अनुसार आप कन्या पूजा करें जिससे आपको देवी मां का आर्शीवाद मिलें।
क्या होता है कन्या पूजन का सही निर्धारण–
शास्त्रों में कहा गया है कि नवरात्रि में छोटी कन्या की पूजा करने से देवशक्तियों का आर्शीवाद प्राप्त होता है।धर्म-ग्रंथ – रुद्र-यामल ने नवरात्र में देवी के स्वरूप के पूजन के लिये कन्याओं की आयु का विशेष निर्धारण कर रखा है।इस दिन कन्याओं को भोजन कराने और उनको दक्षिणा देने से देवी मां प्रसन्न होती हैं।
किस उम्र की कन्या का करें पूजन
नवरात्र में नौ दिन का व्रत करने के बाद सप्तमी, अष्टमी और नवमीं में से किसी भी दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता हैं।ऐसे में उन कन्याओं को बुलाया जाता है जिनकी उम्र 2 साल से लेकर 7 साल की ही हो, नौं कन्याओं के साथ एक बालक को भी भोज के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिसे हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है ऐसी मान्यता है कि यदि आपने कन्याओं के साथ एक बालक को भोजन नहीं कराया तो आपका ये कार्य पूर्ण नहीं माना जाएगा।इसके साथ ही अगर आप इस उम्र से ज्यादा उम्र की कन्याओं का पूजन करते हैं तो पूजन करने वाले को किसी भी प्रकार का दैविय लाभ शायद ही मिल सके।
कैसे करें कन्याओं का स्वागत
कन्याओं को स्वच्छ जगह पर बिठाकर सभी के पैरों को दूध और पानी से उनके पैर धोने चाहिए और उनके पैर छूकर उनका आशीष लेना चाहिए। उसके बाद माथे पर अक्षत, फूल और कुमकुम लगाना चाहिए.
कन्या हो यह भोजन कराएं
वैसे तो कन्याओं को भोज में कुछ मीठा खिलाना चाहिए जिसमें खीर, पूड़ी मुख्य होती है, लेकिन अगर आप कुछ नमकीन खिलाना चाहते हैं तो बिना लहसुन-प्याज की आलू या कद्दू की सब्जी भी खिला सकते हैं।
कन्याओं को यह दान करें
भोजन कराने के बाद कन्याओं के पैरों को लाल मोहर लगाकर पूजन उनको दान में रूमाल, लाल चुनरी, फल, खिलौने, रूपए या अपनी श्रद्धा अनुरूप दक्षिणा देकर उनके चरण स्पर्श कर उनको घर से विदा करना चाहिए।
उपरोक्त नियम के साथ कन्या पूजन करने के बाद अवश्य ही आपकी नवरात्र साधना सफल होगी हो माता रानी सभी मनोकामनाएं पूरी भी करेंगी ।