भानगढ़ का किला: यहाँ सूरज छिपते ही जाग जाती हैं आत्माएं
भानगढ़ का किला: इस दुनिया में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जिन्हें डरावनी अर्थात श्रापित जगहें कहा जाता है. इन्ही में से भानगढ़ का किला भी एक है. राजस्थान में जयपुर और अलवर के बीच स्थित भानगढ़ के किले को भूतों का किला कहा जाता है. इस किले को लेकर कईं कहानियां प्रचलित है. कुछ लोग इस किले का नाम सुन कर ही डर से कांप उठते हैं. पुराने किलों, खंडरों या महलों का अपना कोई ना कोई अतीत या रहस्य होता है जो उन्हें रूहों से जोड़ता है. ऐसी जगहों पर इंसान चाह कर भी अपने डर पर काबू नहीं पा पाता. दुनिया में ऐसे कईं रहस्मयी किले हैं, जिनका अपना अलग ही काला अतीत है. इन्ही में से भानगढ़ का किला सबसे अधिक मशहूर है. कह जाता है कि सूर्यादय से पहले और सूर्यास्त के बाद भानगढ़ के किले में जाना मौत को बुलावा देने के सामान समझा जाता है. लोगों को शाम होते ही किले से दूर रहने की चेतावनी दे दी जाती है. ऐसी मान्यता है कि सूर्य ढलने के बाद इस किले में प्रेत आत्माएं भटकने लगती हैं.
किले का निर्माण
भानगढ़ की कहानी तो लगभग सबने सुनी है लेकिन इसके बावजूद भी कोई व्यक्ति भानगढ़ का रहस्य नहीं जान पाया है. बताया जाता है कि भानगढ़ का किला सत्रहवीं शताब्दी में बनवाया गया था. इस किले को मान सिंह के छोटे भाई माधो सिंह ने बनवाया था. राजा माधो सिंह अकबर की सेना में जनरल पद पर रह चुके हैं. विशाल आकृति में बना भानगढ़ का किला एक समय में 10 हज़ार जनसंख्या से भरा पड़ा था. इस किले को बनाने के लिए बेहतरीन शिल्पकलाओ का इस्तेमाल किया गया है. किले के पांच मुख्य द्वार हैं और इसे बनाने के लिए मजबूत पत्थरों का प्रयोग किया गया है.
जादूगर सिंघिया
दिखने में भानगढ़ का किला जितना बड़ा एवं विशाल है इसका अतीत उतना ही घिनौना एवं भयानक है. एक मान्यता के अनुसार भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती ने इस किले को मुंह में निगल लिया था. पुरातन ग्रंथों से पता चलता है कि रत्नावती बेहद खूबसूरत थी और उसकी खूबसूरती के चर्चे पूरे राज्य में फैले हुए थे. रत्नावती से विवाह करने के लिए हर राजकुमार इच्छुक था. रत्नावती की उम्र केवल 18 वर्ष ही थी जब उसके लिए राज्यों से विवाह के प्रस्ताव आने शुरू हो गए. राजकुमारी अक्सर अपनी सखियों के साथ बाजार घूमने निकलती थी. एक दिन राजकुमारी इत्र की दुकान पर इत्र खरीदने पहुंची तो दुकान से कुछ ही दूरी पर सिंघिया नाम का जादूगर खड़ा उन्हें गौर से देख रहा था सिंघिया उसी राज्य में रहता था परंतु वह काले जादू का महारथी था. वह राजकुमारी से प्रेम करता था और उसे पाने के लिए कुछ भी कर सकता था. इत्र की बोतल खरीदता हुआ देखकर उसने राजकुमारी को काले जादू से अपने वश में करना चाहा.
राजकुमारी की मौत
इसके लिए उसने इत्र की बोतल पर काला जादू कर दिया.रत्नावती ने उस इत्र के बोतल को उठाया, लेकिन उसे वही पास के एक पत्थर पर पटक दिया. पत्थर पर पटकते ही वो बोतल टूट गया और सारा इत्र उस पत्थर पर बिखर गया. इसके बाद से ही वो पत्थर फिसलते हुए उस तांत्रिक सिंघीया के पीछे चल पड़ा और तांत्रिक को कुलद दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गयीलेकिन मरने से पहले जादूगर ने श्राप देते हुए कहा कि किले में रहने वाले सभी लोग जल्द मर जाएंगे और उनकी आत्माएं तमाम उम्र इस किले में भटकती रह जाएंगी. तांत्रिक के कहे अनुसार कुछ दिन बाद ही भानगढ़ और अज़ब्गढ़ के बीच एक युद्ध की शुरुआत हो गयी और किले में रहने वाले सभी लोगों की मृत्यु हो गई.
इतना ही नहीं इस श्राप ने राजकुमारी को भी घेर लिया और उनकी भी मृत्यु हो गयी. कहा जाता है कि इतने बड़े कत्लेआम के बाद आज भी उस किले में चींखे सुनाई देती हैं और रूहे घूमती हैं. इसलिए शाम होते ही भानगढ़ का किला खाली कर दिया जाता है और लोगों को उस किले में जाने से रोक दिया जाता है. भानगढ़ की कहानी या भानगढ़ का रहस्य आज भी लोगों के बीच एक डर बन कर जिंदा है इसलिए लोग किले के नाम से ही कांप उठते हैं.