अध्यात्म

जानें कैसे हुआ था शनिदेव का जन्म, किन चीजों से शनिदेव हो जाते हैं क्रोधित

शनिदेव का नाम सुनते ही कुछ लोगों को घबराहट होने लगती है। लोग शनिदेव को क्रुर मानते हैं। उनका मानना है कि शनिदेव हर किसी को दंड देते हैं। ऐसा नहीं है, शनिदेव न्याय प्रिय देवता हैं। वो जिस पर अपना क्रोध निकालते हैं उसे भस्म कर देते हैं, लेकिन जिस पर अपनी कृपा बनाते हैं से जीवन की सारी खुशियां मिल जाती हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए बहुत संभलकर पूजा पाठ करनी चाहिए और किन चीजों का इस्तेमाल करना है किन चीजों का नहीं इसका भी ध्यान रखना चाहिए। इनके प्रकोप के पीछे का कारण क्या है ये जानना है जरुरी। आपको बताते हैं पहले इनके जन्म की कहानी।

एक कथा के अनुसार संज्ञा का विवाह सूर्य देवता के साथ हुआ था। सूर्य देव का तप इतना ज्यादा थी की वो परेशान रहती थीं। सूर्य देव और संज्ञा की तीन संताने हुईं वैवस्तव मनु, यमराज और यमुना। इसके बाद भी संज्ञा का डर कम नहीं हुआ। संज्ञा ने अपनी हमशक्ल संवर्णा को पैदा किया और बच्चों की जिम्मेदारी संवर्णा को दे दी और स्वयं अपने पिता के घर चली गईं। पिता के पास गई संवर्णा को बहुत डांट पड़ी इसके बाद उन्होंनी घोड़ी का रुप लेकर तपस्या करना शुरु कर दिया।

वहीं छाया को सूर्यदेव के तप से कोई परेशानी नहीं हुई और सूर्यदेव को कभी भनक नहीं लगी की वो संज्ञा के साथ नहीं संवर्णा के साथ हैं। इनके भी तीन संतान हुई – मनु, शनिदेव और भद्रा। छाया शिव की बहुत बड़ी भक्त थीं। जब शनिदेव छाया के गर्भ में थे छाया शिव की कठोर तपस्या में भंग थी। तपस्या करने के कारण उन्हें खाने-पीने की सुध नहीं रही। इसके बाद जब शनिदेव का जन्म हुआ तो वो गर्मी धूप के कारण काले हो गए।

शनिदेव के जन्म पर सूर्यदेव दूखी हो गए। सूर्यदेव बहुत खूबसूरत थे, लेकिन शनिदेव का रंग काला होने के कारण उन्होंने अपनी पत्नी पर शक किया। शनिदेव अपने माता के अपमान को नहीं सह पाए और सूर्यदेव को देखा तो वो काले हो गए। इसके बाद जब शिव जी ने सूर्यदेव को समझाया को उन्हें अपनी गलती का एहसास हुआ। हालांकि शनि देव का अपने पिता से मन हट गया और उसके बाद आज तक सूर्य देव और शनि को हमेशा एक दूसरे का विद्रोही माना गया।

शनिदेव बहुत जल्दी क्रोधित होते हैं इसलिए जरुरी है कि उन्हें शांत रखा जाए। शनिदेव की पूजा के समय भूलकर भी पीली चीजों का प्रयोग ना करें। शनि और बृहस्पति आपस में शत्रु भाव रखते हैं। ऐसे में शनिवार को पीले चीजों का दान नहीं करना चाहिए।शनिदेव को भूलकर भी सफेद सामान अर्पित ना करें जैसे सफेद मिठाई, चावल आदि।
लाल रंग का संबंध सूर्य से होता है और शनिदेव अपने पिता से शत्रुभाव रखते हैं इसलिए कभी भी शनिवार को लाल वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए।ना तो लाल चीजों का दान करें और ना ही उन्हें लाल रंग का फूल चढ़ाएं। शनिदेव तो काली वस्तुएं पसंद हैं। शनिवार को शनिदेव को उड़द दाल, काले तिल, सरसों का तिल और काली वस्तुओं की दान करें।

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