अध्यात्म

द्रौपदी की लाज बचाने के पीछे ये थे कारण, नहीं जानते होंगे दूसरा कारण

महाभारत के युद्ध के बारे में सभी ने पढ़ा और देखा होगा। वो संसार में हुआ अब तक का सबसे बड़ा युद्ध था जो धर्म और अधर्म के लिए लड़ा गया था। एक ऐसा युद्ध जिसमें शत्रु ही भाई थे और भाई ही शत्रु। इस युद्ध के होने के पीछे कई कारण थें। उनमें से एक बड़ा कारण थीं पांडवों की पत्नी द्रौपदी। एक कहानी ये भी प्रचलित है कि द्रौपदी का जब चीर हरण हुआ तो उनकी लाज की रक्षा भगवान श्री कृष्ण ने की थी हालांकि इसके पीछे भी दो कारण थे।

द्रौपदी बेहद ही खूबसूरत राजकुमारी थी औऱ अर्जुन ने उनके साथ स्वंयवर रचाया था। जब अर्जुन स्वंयवर रचा के लौटे तो अपनी मां से कहा कि देखों –हम भिक्षा में क्या लाएं हैं। ध्यान में मग्न कुंती के मुंह से निकल गया कि जो भी लाए हो उसे 5 भाईयों में बांट लो। ये सुनते ही सब सदमें में आ गए कि मां ने ये कैसी बात कह दी । इसके बाद चूंकि वो मां का कहां टाल नहीं सकते थे द्रौपदी ने पांचों भाइयों से शादी कर ली।

पांडव जब एक बार फिर सत्ता में लौटे तो उनसे गद्दी छीनने के लिए शकुनी ने चौसर का खथेल सजाया। युधिष्ठिर को चौसर का खेल प्रिय तो था, लेकिन वो इसमें जीत नहीं पाते थे। सभी को लगा की ये कौरवों की तरफ से जाल बिछाया गया है, लेकिन युधिष्ठिर नहीं माने और उन्होंने न्यौता स्वीकार कर लिया।

खेल के दौरान युधिष्ठिर अपनी सत्ता के साथ अपने भाईयों को भी हार गए। जब एक आखरी दांव बचा तो उन्होंने जीत के लालच में द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया। खेल में कौरवों की जीत हुई। इसके बाद अपने अपमान का बदला लेने के लिए दुर्योधन ने दुशाषन को आदेश दिया कि दासी द्रौपदी को बालों समेत खींचते हुए यहां ले आओ।

दुशाषन ने द्रौपदी के साथ जंगलियों सा व्यवहार करते हुए उसे बाल खींचता हुआ ले आया। भरी सभा में उसने द्रौपदी की साड़ी उतारनी शुरु की। उस वक्त सभा में भीष्मपितामह, द्रोणाचार्य, धृतराष्ट्र सभी मौजूद थे, लेकिन किसी ने ये पाप होते नहीं रोका। इसके बाद द्रौपदी ने अपनी लाज की रक्षा के लिए भगवान कृष्ण को याद किया। दुशासन चीर खींचते खींचते थक गया, लेकिन कृष्ण की कृपा से साड़ी की लंबाई कम ही नहीं पड़ी।


भगवान कृष्ण ने द्रौपदी की लाज वैसे ही बचाई जैसा कोई भी भाई अपने बहन की लाज बचाता। हालांकि इसके पीछे भी द्रौपदी की महानता थी। एक बार द्रौपदी गंगा में स्नान कर रही थीं। एक साधु वहां सन्नान करने के लिए आए। नदी के वेग से साधु के कपड़े बह गए। उस वक्त द्रौपदी नें अपनी साड़ी उन्हें लपेटने के दे दी इसके बाद साधु ने उन्हें आशीर्वाद दिया। एक कथा ये भी है कि श्रीकृष्ण जब शिशुपाल का वध किए तो चक्र से उनकी उंगली कट गई। द्रौपदी से ये देखा ना गया और अपनी साड़ी का किनारा फाड़ते हुए उन्होंने श्रीकृष्ण की चोट पर कपड़ा बांध दिया। इस पर कृष्ण ने कहा कि मैं तुम्हारी साड़ी का ऋण एक दिन जरुर अदा करूंगा।

Back to top button
?>
https://bemfh.ulm.ac.id/id/ https://newstrend.news/swen/ https://rentohotels.com/ https://whlconsultants.com/ galaxy77bet
slot gacor slot demo
https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/200/ https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/scatter-hitam/
https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/thailand/ https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/dana/
https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/oneplay77gala/ https://heylink.me/turbobet77login/ https://heylink.me/mustang77pro/ https://heylink.me/galaxy77betpro/ https://heylink.me/marvel77game/ https://heylink.me/taipan77login/ https://heylink.me/republik77alter/ https://heylink.me/binjaiplay77-login/ https://heylink.me/dutaslot77-loginn/ https://heylink.me/doremiplay77-login/ https://heylink.me/slotnesia77-loginn/ https://heylink.me/mandala77_login/ https://heylink.me/arenaslot77_login/ https://heylink.me/arenabet77-login/ https://heylink.me/Sultanbet77.daftar/ https://heylink.me/sultanplay77.login/ https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/kotacuanplay/ https://heylink.me/play77betpro/ https://heylink.me/tokofun/ https://heylink.me/fun77betpro/ https://heylink.me/captain77warrior/ https://heylink.me/Jaguar77pro/ https://heylink.me/thebestmustang77/ https://heylink.me/tokoholyplay/ https://heylink.me/rukocuan/ https://heylink.me/indopedia77pro/ https://heylink.me/tokoindofun17/ https://heylink.me/sultanbet77gaming/ https://heylink.me/sultanplay77gaming/ https://heylink.me/oneplay77alternatif/ https://heylink.me/marina77maxwin/ https://heylink.me/play77alternatif/ https://heylink.me/cukongplay77gaming/ https://heylink.me/playwin77-/ https://lynk.id/play77new https://lynk.id/fun77new https://lynk.id/captain77 https://lynk.id/jaguar77new https://lynk.id/mustang77new https://lynk.id/indopedia77new misteritogel galaxy77bet galaxy77bet https://104.219.251.144/ https://www.incolur.cl/ galaxy77bet galaxy77bet https://galaxy77bet-jaya.com/ https://138.68.164.8/ https://137.184.36.152/ https://139.59.119.229/
https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/thai/ https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/xgacor/ https://www.mscba.org/hitam/ https://www.priboi.news/wp-includes/thailand/ https://www.tecnocontrol.cl/ https://www.quiporte.it/ https://www.mariscosgontelo.com/ https://presensi.upstegal.ac.id/ https://perpus.stik-sintcarolus.ac.id/ http://rengo921.lionfree.net/ https://www.desmaakvanitalie.nl/thailand/