नार्मल डिलीवरी के लिए जरूरी होती है बिछिया, भूलकर भी पुराना फैशन समझकर ना करें गलती
महिलाएं कुदरत का सबसे खूबसूरत नजराना होती हैं. जिन्हें ऊपरवाले ने बहुत ही फुरसत और मन लगाकर बनाया होगा. इनकी खूबसूरती पर तो कई गाने, गज़ल और कविताएं बन चुकी हैं. इस बात को पूरी दुनिया मान चुकी है कि भारतीय महिलाएं पूरी दुनिया में सबसे खूबसूरत मानी जाती हैं साथ ही महिलाओं में जो कुछ भी सभ्यता दिखाई देती है वो भारतीय संस्कारों की वजह से ही है इसलिए ही हो भारत की महिलाओं को देवी का स्वरूप कहा जाता है. वे किसी भी परिस्थिति में अपने आस-पास रहने वाले खासकर अपने परिवार के लोगों को हर बला से बचाती है. शादी के बाद हर भारतीय महिलाओं की पहचान उनके सिंदूर, मंगलसूत्र और पैरों में पहनी हुई बिछिया से होती है लेकिन क्या आप जानते हैं कि नार्मल डिलीवरी के लिए जरूरी होती है बिछिया, बहुत से लोग बिछिया को पुरानी परंपराएं मानते हैं लेकिन इसकी विशेषताएं मेडिकल साइंस में भी लिखा गया है.
नार्मल डिलीवरी के लिए जरूरी होती है बिछिया
आज हम आपको बिछिया के बारे में कुछ बहुत ही अहम बात बताने जा रहे हैं. बहुत सी शादीशुदा महिलाओं को आपने पैरों में सोने या चांदी की बिछिया पहने देखा होगा जो वे दोनो पैरों के अंगूठे से दूसरी अंगूली में पहनती हैं जिसे सुहाग की निशानी मानी जाती है. शहरी क्षेत्रों की महिलाएं इन बातों पर कम विश्वास करती हैं लेकिन गांव की महिलाएं इसे ईश्वर का आदेश मानकर कभी बिछिया खुद से दूर नहीं करती हैं. वर्तमान में शहर में रहने वाले कुछ लोग इसे बैकडेटेड या अंधविश्वास कहते हैं लेकिन मेडिकल साइंस में इसका सीधा मतलब बताया गया है. बिछिया हमेशा दोनों पैरों के बीच की उंगली में पहनी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पैर की दूसरी उंगली की तंत्रिका का संबंध गर्भाशय से होता है और ये हृदय से होकर जाता है. इस वजह से एक्यूप्रेशर के कारण बिछिया पहनते हैं जिससे गर्भाशय को लाभ होता है.
इस बात से तो सभी अवगत हैं कि गर्भाशय का काम गर्भधारण करना ही होता है. शादी के बाद निश्चित समय के बाद हर महिला को गर्भधारण करना अनिवार्य होता है, फिर 9 महीने की प्रेग्नेंसी पीरीयड के कंप्लीट होने पर डिलीवरी का समय आता है और प्रसव क्रिया में गर्भाशय की मांसपेशियों में खिचाव होता है. बिछिया की वजह से पैर की उंगलियां दबती है और ऐसे में उन उंगलियों से जुड़ी नसें गर्भाशय की मांसपेशियों के खिंचाव में लचीलापन आ जाता है. जिससे बिना किसी परेशानी के नॉर्मल डिलीवरी होने की पूरी संभावना हो जाती है.
शास्त्रों के साथ-साथ इस बात को विज्ञान भी मानता है कि दोनों पैरों में चांदी की बिछिया पहनने से पीरियड्स भी नियमित रूप से होता है. चांदी को एक अच्छा सुचालक माना जाता है और ये धरती से प्राप्त होने वाली ध्रूवीय ऊर्जा को अपने अंदर खींचकर पूरे शरीर तक पहुंचाती है जिससे महिलाओं का मन अच्छा हो जाता है. आर्युवेद में ऐसा कहा गया है कि बिछिया साइटिक नर्व की नस को दबाने का काम करती है. इससे उसके आस-पास की दूसरी नसों में रक्त प्रवाह तेज गति से होता और गर्भाशय, ब्लैडर और आंतों तक रक्त का प्रवाह भी ठीक रहता है.