राफेल डील मामले मेंं केंद्र की मोदी सरकार लगातार विपक्ष के हमले झेल रही है। राफेल डील विवाद का रूप ले चुका है। इसी बची वायुसेना के प्रमुख बीएस धनोवा ने राफेल डील को क्लीन चीट देते हुए कहा है कि राफेल लड़ाकू विमान गेमचेंजर साबित होंगे। राफेल विमान सौदों को वायुसेना प्रमुख ने सही ठहराया है। उन्होंने राफेल विमान की संख्या को लेकर कहा कि 126 से 36 किए जाने पर वायुसेना से उचित स्तर पर परामर्श ली गई थी। धनोवा ने कहा कि वायुसेना ने कुछ विकल्प दिए थे। उनमें से चयन करना सरकार का काम है।
राफेल विवाद पर वायुसेना प्रमुख- राफेल विवाद पर वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने सरकार को पूरी तरह से क्लीन चीट दे दिया है। उन्होंने राफेल बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट का भारतीय साझेदार बनाए जाने के विवाद पर कहा है कि दसॉल्ट को ऑफसेट साझेदार का चयन करना था और इसमें सरकार या वायुसेना की किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं है।
राफेल एक अच्छा विमान-धनोवा – वायुसेना प्रमुख ने कहा है कि राफेल एक अच्छा विमान है। और जब यह उपमहाद्वीप में आएगा तो अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। उन्होंने कहा कि राफेल सौदे से हमें अच्छा पैकेज मिला है और भी कई प्रकार के फायदे हुए हैं। धनोवा ने राफेल विमान को गेंमचेंजर बताया है और कहा है कि ये सरकार का एक बोल्ड फैसला है।
कांग्रेस लगातार हमलावर- वायुसेना प्रमुख का ये बयान तब आया है जब कांग्रेस और तमाम विपक्षी पार्टियां राफेल मामले में सरकार पर लगातार हमलावर हो रही हैं। कांग्रेस लगातार आरोप लगा रही है कि मोदी सरकार ने अनिल अंबानी को फायदा पहुँचाने के लिए फ्रांस की सरकार के पास अंबानी के कंपनी का नाम रखा जबकि एचएएल को दरकिनार कर दिया गया। कांग्रेस के इस दावे को मजबूती और मिल गई जब फ्रांस के ही पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने कहा कि अंबानी के रिलायंस कंपनी का नाम भारत सरकार की ओर से ही आया था। भारत सरकार ने सिर्फ एक ही नाम दिया इसलिए हम मजबूर थे।
HAL पर खड़े किए सवाल- वायुसेना प्रमुख बीएस धनोवा ने एचएएल के बारे में कहा कि जो कान्ट्रैक्ट एचएएल को पहले से दिए गए हैं उनके डीलवरी में लगातार देरी हो रही है। उन्होंने कहा है कि सुखोई-30 की डीलवरी मेंं 3 साल की देरी हो चुकी है। जगुआर विमान में 6 साल की देरी हुई। LCA में पांच साल की देरी हुई और मिराज 2000 अपग्रेड की डीलवरी में भी 2 साल की देरी हुई है।