नोटबंदी के फैसले पर केन्द्र को सुप्रीम कोर्ट का समर्थन: कहा – देश के भविष्य के लिए कुछ तो परेशानी होगी
नई दिल्ली – सुप्रीम कोर्ट ने 1000 और 500 रुपए के नोटों पर बैन के सरकार के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। बैन के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई जिसमें अदालत ने याचिकाकर्ता की अपील पर कहा कि वो इस मामले में दखल नहीं देगे। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा – सरकार के फैसले का मकसद सराहनीय है लेकिन इसको लेकर काफी परेशानियां भी नजर आ रही हैं। कोर्ट ने कहा – आप ब्लैकमनी के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक कर सकते हैं लेकिन इस देश की जनता के खिलाफ नहीं Demonstration Petition in Supreme court.
अदालत ने सरकार से पूछा कि लोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए क्या उपाय किए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई अब 25 नवंबर को होगी।
फैसला सर्जिकल स्ट्राइक नहीं कारपेट बॉम्बिंग जैसा –
याचिकाकर्ता की अपील पर सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘नोटबंदी का फैसला सर्जिकल स्ट्राइक जैसा ना प्रतीत होकर लोगों पर बम फोड़ने (कार्पेट बम) जैसा है।’ कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया जिसमें सरकार द्वारा किए गए नोटबंदी के फैसला को वापस लेने की बात कही गई थी। बेंच ने सरकार को आदेश दिया कि वह एक एफिडेविट दे और बताए कि उसने नोटबंदी के बाद लोगों की सुविधा लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं।
दिसंबर तक बैंक खातों में जमा होंगे 11 लाख करोड़ –
सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल ने कहा कि काले धन की वजह से देश की अर्थव्यवस्था के अस्थिर होने का खतरा है। नोटों पर पाबंदी के ऐलान के बाद अब तक करीब अलग-अलग बैंकों में करीब तीन लाख करोड़ जमा कराए गए हैं। उन्होंने कहा कि दिसंबर के अंत तक करीब 11 लाख करोड़ जमा हो जाएंगे।
कोई भी अंतरिम आदेश से पहले सरकार का पक्ष सुने अदालत –
जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाले एक बेंच के सामने इस याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए लाया गया था। लेकिन बेंच ने कहा कि इस पर मंगलवार को सुनवाई होगी। इस तरह की याचिका की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और एक कैवियट दाखिल कर कहा कि कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अदालत सरकार का पक्ष भी सुने।
याचिकाकर्ता का क्या कहना है –
याचिकाकर्ता का आरोप है कि सरकार के अचानक लिए गए इस फैसले से चारों तरफ अफरा-तफरी मच गई और लोगों को काफी परेशानी हुई है। ऐसे में आर्थिक मामलों के विभाग की इस नोटिफिकेशन को या तो खारिज कर दिया जाना चाहिए या कुछ समय के लिए इस पर रोक लगाई जानी चाहिए।
केन्द्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कैविएट दाखिल की गई। इसमें कहा गया है कि अगर बेंच नोट पर पाबंदी को चुनौती देने वाली किसी अपील पर सुनवाई करती है या कोई आदेश जारी करती हैं तो उससे पहले केन्द्र का पक्ष भी सुना जाना चाहिए।