स्वास्थ्य

क्या आपके शरीर में भी पड़ जाता है नीला निशान तो ज़रूर जानिए इसके पीछे की वजह क्या है?

अगर आपके शरीर में अचानक से नील के निशान जम जाते हैं तो इसे नजरअंदाज न करें, अगर आप अपने शरीर के प्रति ध्यान देते हैं तो कई बार नोटिस किया होगा कि आपके शरीर में अचानक से नील के निशान जम जाते हैं। बिना चोट के भी कई बार नील के निशान दिखते हैं। कई बार होता है कि ये निशान कई दिनों तक महीनों तक जमे रहते हैं। नील के निशान का सामान्य कारण तो यही है कि शरीर में कोई चोट लगना इसके बिना अगर भी आपके शरीर में नील के निशान जमे होते हैं तो ये शरी के लिए खतरनाक संकेत हो सकते हैं। तो चलिए जानते हैं कि क्यों नील के निशान जमते हैं और इसकी वजह क्या क्या हैं।

क्यों पड़ते हैं  नील के निशान- भीतरी चोट के कारण रक्त धमनियों को नुकसान पहुंचता है,और खून रिसकर आसपास की धमनियों में फैल जाता है, जिससे नील जैसा निशान पड़ने लगता है। ये भीतरी चोट लगने से शरीर की एक तरह की प्रतिक्रिया होती है। मेडिकल की भाषा में इस तरह की स्थिति को कन्टूशन कहते हैं।

लेकिन अगर बिना चोट लगे शरीर में नील पड़ जाते हैं तो ये चिंतनीय विषय है तो आइये जानते हैं शरीर में बिना चोट लगे क्यों बेवजह नील जम जाती है।

  • बुढ़ापा आना- अक्सर आपने देखा होगा कि आपके घर में जो बड़े-बूढ़े लोग होते हैं उनमें ये समस्या ज्यादा दिखाई देती है। हाथों पैरों में इसके अलावा आंखों में भी ये समस्या आती है। इस प्रकार के निशान बुढ़ापे में इसलिए पड़ जाते हैं क्योंकि इतने वर्षों तक सूरज की रोशनी का सामना करते हुए वो कमजोर हो जाती है।
  • ज्यादा एक्सरसाइज- शरीर मेंं नील जमने का एक और कारण अधिक एक्सरसाइज करना भी है। कई बार लोग जरूरत से ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं। और एक्सरसाइज के दौरान वजन भी उठाते हैं। अधिक वजन उठाने से कई बार लोग चोटिल भी हो जाते हैं। वजन उठाने से हाथों की छोटी छोटी धमनियां चोटिल हो जाती हैं। जिसकी वजह से शरीर में नील के निशान पड़ने लगते हैं।
  • कैंसर और कीमोथेरेपी- अगर आप कैंसर जैसी घातक बीमारी से पीड़ित हैं और आपका कीमोथेरेपी हो रहा है तो आपके प्लेटलेट्स नीचे आ जाते हैं, इसकी  वजह से भी शरीर में नील के निशान दिखाई देने लगते हैं।

  • दवाइयां- कुछ दवाइयों के कारण भी शरीर में नील के निशान दिखने लगते हैं। वार्फेरिन और एस्पिरिन जैसे खून को पतला करने वाली दवाइयों के कारण भी खून जमने से रूक जाता है। इसके अलावा मछली का तेल, लहसुन आदि के अधिक इस्तेमाल से भी खून पतला हो जाता है जिसके कारण शरीर पर जगह जगह नील के निशान पड़ जाते हैं।
  • थ्रोबोंफिलीया- कई बार शरीर में ब्लीडिंग डिसऑर्डर की समस्या भी आ जाती है। थ्रोबोंफिलीया हो जाने से शरीर के प्लेटलेट्स कम हो जाते हैं। इसके कारण शरीर के ब्लड क्लॉट की क्षमता कम हो जाती है। इसी कारण शरीर में नील के निशान पड़ने लगते हैं।
  • वॉन विलीब्रांड डिजीज- ये शरीर की एक ऐसी अवस्था है जो शरीर में अत्यधिक रक्तस्त्राव का कारण बनता है। यह बीमारी रक्त में प्रोटीन के स्तर में कमी के कारण होती है। इस बीमारी से पीड़ित लोगों के छोटी सी चोट में भी अधिक खून बहने लगता है। इससे शरीर में अक्सर बड़े बड़े नील के निशान पड़ जाते हैं।

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