बैंक अकाउंट और मोबाइल नम्बर से नहीं वोटर आईडी से जोड़ा जाएगा आधार, चुनाव आयोग ने शुरू की तैयारी
नई दिल्ली: भारत में इस समय एक नहीं बल्कि कई मामले में हैं, जिनकी ख़ूब चर्चा हो रही है। 2018 का साल क़ानून में बदलाव के हिसाब से काफ़ी महत्वपूर्ण साल साबित हुआ है। इस साल देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कई ऐसे क़ानूनों में बदलाव किया है, जो सदियों पुराने थे और भारत को अन्य देशों की तुलना में काफ़ी पीछे कर रहे थे। अपने कार्यकाल के ख़त्म होने से पहले मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा और उनकी बेंच ने ने काफ़ी क्रांतिकारी फ़ैसले दिए हैं।
आपको बता दें भारत में काफ़ी समय से आधार का मामला विवादों में चल रहा था। एक तरह जहाँ केंद्र सरकार आधार को हर जगह ज़रूरी कर रही थी, वहीं विपक्ष इसका जमकर विरोध कर रहा था, केंद्र सरकार ने तो आधार को यहाँ तक ज़रूरी कर दिया था कि बिना इसके छात्रों का स्कूल में एडमिशन तक नहीं होता था। लेकिन केंद्र सरकार ने देश की जनता को राहत देते हुए कहा कि आधार कार्ड संवैधानिक है, लेकिन इसकी कुछ सीमाएँ हैं। यह हर जगह ज़रूरी नहीं हो सकता है। केवल यही नहीं, बिना आधार कार्ड के भी सरकारी योजनाओं का लाभ लिया जा सकता है।
आदेश के अनुरूप दुबारा शुरू की जाएगी प्रक्रिया:
कोर्ट ने यह भी कहा था कि अब बैंक अकाउंट और मोबाइल नम्बर से आधार को लिंक करवाने की ज़रूरत नहीं है। जिन लोगों का आधार पहले ही लिंक हो चुका है, उसका डेटा डिलीट करने का भी निर्देश कोर्ट ने दिया था। अब जानकारी के अनुसार भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का अध्ययन करने के बाद मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया आदेश के अनुरूप दोबारा शुरू की जाएगी। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि निर्वाचन आयोग के सचिवालय को आधार और चुनावी राजनीति को अपराधमुक्त करने सम्बंधी सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसलों का अध्ययन करने के लिए कहा गया है।
बता दें आधार को सुप्रीम कोर्ट ने वैद्य क़रार दिया है। इसे वोटर आईडी से जोड़ने के सवाल पर उन्होंने कहा, यह परियोजना अदालत में आधार का मामला विचाराधीन होने की वजह से रोकनी पड़ी थी। अब फ़ैसले के अध्ययन के बाद अदालत के आदेश के अनुरूप इसे फिर से शुरू किया जा सकेगा। रावत ने आगे कहा कि मतदाता सूची को त्रुटिहीन बनाने के लिए फ़रवरी 2015 में आधार को मतदाता पत्र से जोड़ने की योजना शुरू की गयी थी। अगस्त 2015 में आधार की वैद्यता से जुड़ा मामला सर्वोच्च न्यायालय तक पहुँच गया।
पहुँचाने को कहा था आपराधिक मामलों की जानकारी:
बता दें उस समय तक लगभग 33 करोड़ मतदाताओं के पहचान पत्र को आधार से जोड़ा जा चुका था। इसे आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनाव से पहले पूरा करने के सवाल पर रावत ने कहा, इस योजना को शुरू करने भर की देर है। काम को जल्दी से जल्दी पूरा करने की कोशिश होगी, देखते हैं कितना समय लगता है। अपराधियों को चुनाव लड़ने से रोकने के बारे में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को लागू करने के सम्बंध में रावत ने कहा कि आयोग इस फ़ैसले का अध्ययन कर इसे जल्दी से जल्दी लागू करने का उपाय करेगा। बता दें अदालत ने अपने फ़ैसले में उम्मीदवारों से उनके ख़िलाफ़ चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी को विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं तक पहुँचाने को कहा था।