ब्लैक मनी पर सर्जिकल स्ट्राइक से पहले उठाए थे ये 7 कड़े कदम, सालों पहले से चल रही थी तैयारी!
नई दिल्ली – पीएम मोदी ने 8 नवंबर की रात को जब से ऐलान किया है कि 500 और 1000 के नोट अब लीगल टेंडर नहीं रहेंगे यानि बैन लगाने का पूरे देश में भू-चाल आ गया है। 500 और 1000 के नोट बैन होने से सभी काला धन रखने वालों कि नीदें उड़ गई हैं। मोदी के इस ऐलान से पूरी दुनिया हिल गई। कुछ लोगों ने कहा कि ये निर्णय पीएम मोदी ने जल्दबाजी में लिया है और यह गलत है। Surgical strike on black money.
लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या भारत जैसे देश के भविष्य का निर्णय एक या दो दिन में लिया जा सकता है? ऐसा नहीं हो सकता न कि देश में 500 और ह़जार के नोटों पर बैन लगाया जाए जो भारतीय व्यापार के रीड़ हो और इसका निर्णय एक या दो दिन में ले लिया जाए।
आइयें हम बताते हैं कि मोदी सरकार ने नोटबंदी से पहले किस तरह से प्लानिंग कि और कैसे सालों पहले से इस बड़े कदम कि तैयारी की –
ब्लैक मनी पर SIT का गठन –
सत्ता में आने के साथ ही मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर काले धन के खिलाफ एसआईटी का गठन करने का फैसला किया। इस एसआईटी में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एमबी शाह अध्यक्ष और रिटायर्ड जज जस्टिस अरिजित पसायत उपाध्यक्ष बने थे।
जन धन योजना –
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना का शुभारंभ किया था। इस योजना में मोदी ने व्यक्तिगत रुचि दिखाई थी। जिन लोगों के बैंक में किन्ही वजहों से खाते नहीं खुल पाते थे, उनके खाते खुल गए। जिसकी वजह से पहले ही दिन देश भर में रिकॉर्ड 1.5 करोड़ बैंक खाते खोले गए। योजना के तहत इस समय तक 25.45 करोड़ लोगों के बैक अकाउंट खुल गए हैं। इस तरह दूर-दराज गांव के लोग जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं था और वे अपने पैसे जमा नहीं कर पाते थे, उनको ये सुविधा मिली।
विदेशी काला धन और इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट, 2015 –
विदेशो में भारतीय काला धन पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार ने कालाधन और इम्पोजिशन ऑफ टैक्स एक्ट, 2015 को संसद में पारित किया था। इसके साथ ही सरकार ने कालाधन कानून के तहत विदेश से होने वाली आय और संपत्ति का मू्ल्यांकन के नियमों को लागू कर दिया। यह नियम 1 जुलाई, 2015 से लागू किया गया। इसमें विदेशी संपत्तियों और आय का खुलासा नहीं करने पर सख्त सजा का प्रावधान किया गया है। इसके जरिए विदेशी संपत्तियों से होने वाली आय को छुपाने और कर चोरी पर 10 साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा 300 प्रतिशत जुर्माना भी लगाया जाएगा।
कर संधियों की पुन: वार्ता और स्वत: सूचना विनिमय समझौते –
काले धन की लड़ाई में सबसे प्रमुख रोड़ा था लोगों द्वारा काला धान स्विस बैंकों में जमा करना। दो देशों की बीच होने वाले अहम समौझते की वजह से भारत सरकार को ऐसे लोगों के नाम पता करने और उसका खुलासा करने में समस्या आ रही थी। इसलिए मोदी सरकार ने स्विस बैंकों में रखे गए काले धन के बारे में सूचना साझा करने के मकसद से भारत और स्विट्जरलैंड के बीच संशोधित दोहरा कर बचाव संधि (डीटीएए) को अमल में लाने का प्रयास किया। डीटीएए के तहत कई देशों के समझौते किए गए। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के देश साल 2017 से अपने वहां काला धन जमा करने वालों के नाम की लिस्ट देने के लिए सहमत हो गए हैं।
बेनामी लेन-देन (प्रतिबंध) संशोधन –
काले धन पर अंकुश लगाने के बेनामी लेन-देन (प्रतिबंध) संशोधन बिल को संसद में पास किया गया। यह 1 नवंबर 2016 को लागू हो गया। इसके जरिए रियल एस्टेट और सोने की खरीदारी में बेनामी रूप से हो रहे लेन-देन पर लगाम लगाई जाएगी। इस विधेयक में विदेश में काला धन छिपाने वालों को दस साल तक की सजा और नब्बे फीसद का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। यह जुर्माना उस पर लगने वाले तीस प्रतिशत कर के अतिरिक्त होगा। नए कानून में यह प्रावधान भी है कि रिटर्न फाइल में संपत्ति की जानकारी छिपाने पर सात साल तक की सजा होगी।
इनकम डिक्लेरेशन स्कीम, 2016 –
मोदी सरकार ने काला धन पर लगाम लगाने के लिए आईडीएस इनकम डिक्लेरेशन स्कीम 1 जून 2016 से लागू किया. यह स्कीम 30 सितंबर तक जारी रहा। काले धन को बाहर लाने के लिए यह स्कीम बनाई गई। इस स्कीम के तहत काले धन का खुलासा करने वाले को 45 फीसदी टैक्स देना था। इस टैक्स को किस्तों में चुकाने की सुविधा थी। नगदी में भी टैक्स जमा किया जा सकता था। इसके तहत काला धन घोषित करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. काला धन घोषित करने वालों का नाम पुरी तरह से गुप्त रखा गया।
रियल एस्टेट में काले धन पर लगाम –
मोदी सरकार ने रियल एस्टेट में काले धन पर लगाम लगाने के लिए इनकम टैक्स एक्ट में भी बदलाव किया। इस एक्ट के सेक्शन 269SS और 269T के प्रावधान में संशोधन किया गया। इसके तहत रियल एस्टेट में 20 हजार से ज्यादा के नगद लेन-देन पर रोक लगा दी गई। इसे ज्यादा लेन-देन पर 20 फीसदी जुर्माना लगाया गया। 1 लाख से ज्यादा की खरीददारी और संपत्ति की बिक्री पर पैन देना अनिवार्य कर दिया गया।