अक्टूबर में फैलता है जापानी बुखार, अभी जान लीजिए इसके लक्षण और उपाय क्या है?
इन्सेफेलाइटिस को सामान्य बोलचाल में जापानी बुखार भी कहा जाता है। ये एक प्रकाार का बुखार है जिसका कारण वायरल संक्रमण होता है। ये खास किस्म के वायरस के कारण लोगों के बीच फैलता है। ये वायरस मच्छर और सुअर के द्वारा फैल सकते हैं। ये क्यूलैक्स ट्राइरनोटिक्स नामक मच्छर के द्वारा फैलती है। माना जाता है कि सबसे पहले इस बुखार की पहचान जापान में हुई थी, इसलिए इसे जापानी बुखार भी कहा जाता है। ये एक उष्णकटिबंधीय बीमारी है, यह सितंबर और अक्टूबर के महीने में अधिक फैलता है।
जब क्यूलेक्स प्रजाति का मच्छर रोग ग्रस्त पशुओं को काटता है तो वह वायरस मच्छर में पहुँच जाते हैं। इसके बाद जब मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो वह व्यक्ति भी उस बीमारी का शिकार हो जाता है। इसके अलावा ज्यादा गंदगी वाले जगह पर भी ये वायरस पनपता है। तो चलिए जानते हैं कि इस बीमारी लक्षण क्या क्या हैं। और इसके बचाव के उपाय क्या क्या हो सकते हैं।
जापानी बुखार के लक्षण-
- तेज बुखार- जापानी ज्वर का ये प्रमुख लक्षण है। इस बीमारी का पता 5 से 15 दिन के भीतर चल जाता है और इस दौरान आपको तेज बुखार हो सकता है। तेज बुखार को नजरअंदाज न करें। अगर आपको तेज बुखार के साथ सिर दर्द की समस्या है तो तुरंत अपने चिकित्सक से संपर्क करें।
- सिरदर्द- इस संक्रमण के दौरान सिरदर्द होता है। सिरदर्द और बुखार दोनों एक साथ होना जापानी बुखार के लक्षण हो सकते हैं।
- मांसपेशियों का संकुचित होना- इस बीमारी के चपेट में आने वाले लोगों की मांसपेशियां अनायास ही संकुचित हो जाती हैं। अगर आपको भी मांसपेशियों में दर्द और अकड़न की समस्या है तो ये जापानी बुखार का लक्षण हो सकते हैं।
- सोचने समझने और सुनने की ताकत कम होना- तेज बुखार के कारण ये समस्या आती है। इस बीमारी के चपेट में आने के बाद तेज बुखार होना सामान्य है। तेज बुखार से सोचने समझने की ताकत कम हो जाती है।
- भ्रम के शिकार होना- कुछ विशेष केस में भ्रम के शिकार होने के साथ साथ साथ पागलपन के दौरे तक आते हैं। ये खतरनाक बीमारी है, अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
- छोटे बच्चों में ज्यादा देर तक रोना- इस बीमारी के शिकार छोटे बच्चे अधिक होते हैं। बहुत छोटे बच्चों में बहुत देर तक रोना साथ ही भूख नहीं लगना, उल्टी होना और बुखार के लक्षण दिखाई देते हैं।
जापानी बुखार का असर- इसका असर ज्यादातर छोटे बच्चों में होता है। 1 से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों में अधिक होती है। इस बुखार से पीड़ित होने के बाद सोचने, समझने की ताकत कम हो जाती है। जापानी बुखार को दिमागी बुखार भी कहते हैं।
जापानी बुखार से बचाव के उपाय- वैसे तो अगर इसके लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लेकिन इससे बचाव के लिए घरेलू उपाय कर सकते हैं।
- घरों की खिड़कियों और दरवाजों में मच्छरदानी लगवाकर रखें ताकि मच्छर घर में घुस न पाएं।
- अगर आपके घर में पालतू जानवर हैं तो उनके संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन या हैंडवाश से जरूर धोएं।
- साफ-सफाई का ध्यान रखें। अपने घर के आस पास कूड़ा जमा न होने दें।
- बरसात के मौसम या आपके घर में अधिक मच्छर हों तो कीटनाशक का छिड़काव जरूर करवाएं।