स्वर्गलोक में नहीं बल्कि इस छोर पर निवास करते हैं देवता, जानें ब्रह्मांड में कितने लोक हैं
हर धर्म की अपनी-अपनी मान्यताएँ होती हैं। उसी तरह हिंदू धर्म में भी कई तरह की मान्यताएँ हैं। इन्ही मान्यताओं में से एक मान्यता है लोकों के बारे में। बचपन से हम सभी यही सुनते आ रहे हैं कि इस ब्रह्मांड में तीन लोक हैं, स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक और नर्क लोक। हमेशा से यही कहा जाता रहा है और धार्मिक पुस्तकों में भी यही वर्णित है कि स्वर्ग लोक देवताओं के निवास की जगह है, नर्क में दुष्ट आत्माएँ रहती हैं, जबकि पृथ्वी नश्वर जीवों का निवास स्थान है। यानी मनुष्य जैसे जीवों का।
लेकिन हाल ही में लोकों से सम्बंधित एक ऐसी जानकारी के बारे में पता चला है, जो हम आपको बताने जा रहे हैं। यक़ीनन इससे पहले आपने ऐसा कहीं भी नहीं सुना होगा। ब्रह्मांड में तीन नहीं बल्कि 10 लोक हैं। जी हाँ आप सही सुन रहे हैं। स्वर्ग लोक को सबसे ऊपर का दर्जा दिया जाता है, लेकिन इन 10 लोकों में स्वर्ग लोक का स्थान पाँचवें नम्बर पर आता है। आइए जानते हैं इन 10 लोकों में से सबसे ऊपर कौन सा लोक है और सबसे नीचे कौन सा लोक है।
लोकों की इस नई थियरी के अनुसार सबसे ऊपर सत्यलोक आता है। इस लोक में ब्रह्मा, सरस्वती और अन्य कई धार्मिक हस्तियाँ निवास करती हैं। सत्यलोक की प्राप्ति केवल उन्ही लोगों को होती है, जिन्होंने अनंत काल तक तपस्या कर भौतिक जगत के मोह को त्याग चुका हो। इसके बादबाद आता है तपो लोक, जो सत्यलोक से 12 करोड़ योजन (चार कोस का एक योजन) नीचे स्थित है। तपोलोक में चारों कुमार सनत, सनक, सनंदन, सनातन निवास करते हैं। उनका शरीर एक पाँच साल के बच्चे की तरह है, इसी वजह से उन्हें कुमार कहा जाता है। अपनी पवित्रता की वजह से ये कुमार ब्रह्मलोक और विष्णु के स्थान वैकुण्ठ में जा सकते हैं।
देवलोक में देवताओं के साथ है अप्सराएँ भी:
तपो लोक से 8 करोड़ योजन नीचे स्थित है महर लोक। यहाँ ऋषि-मुनि रहते हैं। ये अगर चाहें तो भौतिक लोक और सत्य लोक में घूम सकते हैं। जन लोक या महर लोक में रहने वाले लोग बहुत जल्दी अलग-अलग लोकों में जा सकते हैं। इनकी रफ़्तार इतनी तेज़ होती है कि इसे विज्ञान भी नहीं समझ सकता। अब स्वर्ग लोक आता है, जिसे अबतक सबसे ऊपर समझा जाता था। इस लोक में 33 करोड़ देवी-देवताओं का निवास है। पृथ्वी के बीचों-बीच मेरु पर्वत पर यह स्थान स्थित है। इसकी ऊँचाई 80 हज़ार योजन है। इस लोक में देवताओं के अलावा अप्सरा, गंधर्व और देवदूत भी रहते हैं।
ध्रुव लोक में हैं सूर्य और सौरमंडल के सभी ग्रह:
स्वर्गलोक में रहने वाले लोग अगर भौतिक जुड़ाव पूरी तरह से त्याग देते हैं तो वो मुनि लोक में चले जाते हैं। इसके उलट अगर उनका आकर्षण भौतिक लोक की तरफ़ बढ़ता है तो इन्हें भू लोक में जन्म लेना पड़ता है। इसके अलावा महर लोक से 1 करोड़ योजन नीचे ध्रुव लोक भी है, जहाँ आकाशगंगाओं और विभिन्न तारामंडलों का स्थन है। ऐसा कहा जाता है कि सभी लोकों के ख़त्म हो जानें के बाद भी ध्रुव लोक का अस्तित्व बना रहेगा। यहाँ पर सूर्य के अलावा सौरमंडल के सभी ग्रह भी निवास करते हैं।
पाताल लोक में निवास करती हैं आत्माएँ:
ध्रुव लोक से 1 लाख करोड़ योजन नीचे स्थित है सप्तऋषियों का निवास स्थान, जिसे सप्तऋषि लोक कहा जाता है। हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण सात ऋषियों का समूह अनंतकाल तक इसी लोक में रहता है। अब आता है नश्वर लोक, यानी हमारी पृथ्वी और इसके बाद बारी आती है पाताल लोक की जो असुरों का निवास स्थान माना जाता है। यहाँ पर आसुरी शक्तियों का निवास स्थान है।