शरद पवार ने राफ़ेल डील में दिया पीएम मोदी का साथ, कहा मोदी के इरादों पर शक नहीं
नई दिल्ली: राफ़ेल डील इस समय देश का सबसे ज्वलंत मुद्दा है। इसपर देश की राजनीतिक पार्टियाँ ही नहीं आम आदमी भी बहस करता हुआ दिखाई पड़ जाता है। राफ़ेल डील की वजह से मोदी सरकार को काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हर कोई राफ़ेल डील में पीएम मोदी को दोषी मानते हुए उनके ऊपर निशाना साध रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष पिछले कई महीनों से राफ़ेल डील का मुद्दा पकड़कर बैठे हुए हैं और इसी मुद्दे को लेकर लगातार भाजपा पर हमला कर रहे हैं। वहीं भाजपा हर बार अपना बचाव करती हुई दिखती है।
कांग्रेस के दावों की खोल दी पोल:
कई ऐसे मौक़े आए जब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा और नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। यही नहीं उन्होंने देश की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण को भी नहीं छोड़ा। आपको बता दें कांग्रेस शुरू से ही राफ़ेल डील में बदलाव का आरोप लगाते हुए भाजपा को घेरने में लगी हुई है। वहीं भाजपा कांग्रेस के सभी दावों को बेबुनियाद बता रही है। जहाँ एक तरफ़ कांग्रेस राफ़ेल डील की वजह से हमला बोले हुए हैं, वहीं यूपीए की सहयोगी दल राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी (NCP) ने राफ़ेल मामले को लेकर कांग्रेस के सभी दावों की पोल खोल दी।
क़ीमतों का ख़ुलासा करने पर नहीं होता सरकार को ख़तरा:
बता दें एनपीसी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि पीएम मोदी के इरादों पर शक नहीं किया जा सकता है। देश के पूर्व रक्षामंत्री रह चुके शरद पवार ने मराठी न्यूज़ चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू में राफ़ेल सौदे की जानकारी को लेकर उल्टा कांग्रेस पर ही सवाल उठाए। पवार ने कहा कि कांग्रेस की माँगों का कोई औचित्य नहीं है। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि फ़ाइटर प्लेन की क़ीमतों का ख़ुलासा करने से सरकार को कोई ख़तरा नहीं होता। उन्होंने आगे कहा कि मुझे निजी तौर पर यह लगता है कि लोगों को पीएम मोदी के इरादों पर कोई शंका नहीं है।
हालाँकि उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने जिस तरह से मामले को लेकर सरकार के पक्ष को रखा है, उससे लोगों के मन में दुविधा की स्थिति पैदा हुई है। जबकि अब वित्त मंत्री अरुण जेटली रक्षा मंत्री की जगह इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रख रहे हैं। बता दें भारत और फ़्रांस के बीच 36 राफ़ेल लड़ाकू विमानों का समझौता 2016 में हुआ था। उस समय फ़्रांस के राष्ट्रपति फ़्रांस्वा ओलांद थे। ओलांद ने कुछ दिन पहली ही एक बयान देकर भारत सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। उन्होंने कहा था कि रिलायंस को उन्होंने नहीं चुना बल्कि भारत सरकार ने उसका नाम आए बढ़ाया था।
हालाँकि बाद में उन्होंने यह भी कहा कि रिलायंस और दसॉ के बीच हुए समझौते के बारे में दसॉ ही कुछ कह सकती है। राफ़ेल सौदे को लेकर भारत में चल रहे विवाद के बीच फ़्रांस के वर्तमान राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने इससे किनारा कर लिया है। मैंक्रो ने कहा कि जिस वक़्त भारत और फ़्रांस के बीच राफ़ेल डील हुई वे सत्ता में नहीं थे। संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली से हटकर पत्रकारों से बातचीत करते हुए मैंक्रो ने कहा कि, यह दो देशों के बीच का सौदा था। मैं पीएम मोदी की कही हुई बात को ही दुहराऊँगा कि मैं उस समय सत्ता में नहीं था। मैं जानता हूँ कि हमारे यहाँ बहुत स्पष्ट नियम हैं।