सुप्रीम कोर्ट ने दिया सरकार को झटका, मोबाइल-बैंक खातों से आधार जोड़ना ग़लत
नई दिल्ली: केंद्र सरकार की चाहत को सुप्रीम कोर्ट ने झटका दे दिया है। आधार कार्ड की हर जगह अनिवार्यता को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पाँच जजों की पीठ ने अपना फ़ैसला सुनाया है। सबसे पहले जस्टिस एके सीकरी ने अपना फ़ैसला पढ़ा। इसके साथ ही उन्होंने अपने अलावा चीफ़ जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस एएम खानविलकर की तरफ़ से भी फ़ैसला पढ़ा। उन्होंने अपने फ़ैसले में कहा कि आधार कार्ड आम आदमी की पहचान है। इसपर हमला संविधान के ख़िलाफ़ है। फ़ैसला पढ़ते हुए जस्टिस सीकरी ने कहा कि ये ज़रूरी नहीं है कि हर चीज़ बेस्ट हो, कुछ अलग भी होना चाहिए।
तकनीकी फिर से ले जा रही है अंगूठे की तरफ़:
आपकी जानकारी के लिए बता दें पिछले कुछ सालों से आधार कार्ड चर्चा में बना हुआ है। कुछ दिनों पहले तक इसको लेकर ही हर जगह चर्चा की जाती थी। जज ने कहा कि आधार कार्ड ग़रीबों की ताक़त का ज़रिया बना है, इसमें डुप्लीकेसी की सम्भावना नहीं है। उन्होंने कहा कि आधार कार्ड पर हमला करने का मतलब है लोगों के अधिकारों पर हमला करना। जस्टिस सीकरी ने कहा कि शिक्षा हमें अंगूठे से हस्ताक्षर की तरफ़ ले आयी है, लेकिन एक बार फिर तकनीकी हमें अंगूठे की तरफ़ ले जा रही है।
जस्टिस सीकरी ने आगे कहा कि आधार बनाने के लिए जो डाटा लिया जा रहा है, वो भी बहुत कम है। उसके मुक़ाबले इससे जो फ़ायदा मिलता है, वह बहुत ज़्यादा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 6-14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड ज़रूरी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि आधार कार्ड ना होने की स्थिति में किसी व्यक्ति को उसके अधिकारों को लेने से नहीं रोका जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CBSE, NEET, UGC, अगर आधार को ज़रूरी बनाते हैं तो यह ग़लत है, वो ऐसा नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा कि मोबाइल नम्बरों और बैंक खातों को आधार से जोड़ना ग़ैर संवैधानिक है। कोर्ट ने स्कूल में भी आधार की अनिवार्यता को ख़त्म कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने के लिए आधार कार्ड की ज़रूरत है। सरकार ने आधार कार्ड के लिए कोई तैयारी नहीं की थी। कोर्ट ने कहा कि आधार एक्ट में ऐसा कुछ नहीं है, जिससे किसी की निजता पर सवाल खड़ा हो सके जस्टिस सीकरी के बाद जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपना फ़ैसला पढ़ा। उन्होंने कहा कि आधार एक्ट को किसी मनी बिल के तौर पर नहीं पास किया जा सकता है।
जानकारी के अनुसार इस मामले की सुनवाई 17 जनवरी को शुरू हुई थी। जो 38 दिनों तक चली। वैसे तो आधार पर सुनवाई की शुरुआत 2012 में हुई थी। जब सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका के आधार पर इस मामले को सुना था। मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा, न्यायधीश एके सीकरी, न्यायधीश एएम खानविलकर, न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायधीश अशोक भूषण की 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि जब तक मामले में कोई फ़ैसला नहीं आ जाता है, तब तक आधार लिंक करवाने का आप्शन खुला रहना चाहिए। इसके अलावा सख़्त रूख अपनाते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया था कि सरकार आधार को अनिवार्य करने के लिए लोगों पर दबाव नहीं बना सकती है।