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दशहरा का महत्व: जानिए क्यूँ मनाया जाता है दशहरा

दशहरा का महत्व: भारत देश त्योहारों का देश है. यहाँ हर साल ढ़ेरों त्यौहार मनाए जाते हैं. ख़ास बात है यह है कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जहाँ हिंदू, सिख, ईसाई जैसे हर धर्म के लोग मिलकर त्यौहार मनाते हैं. इन्ही त्योहारों में से दशहरा भी एक ऐसा ही त्यौहार है. यह हर साल दिवाली से कुछ दिन पहले और नवरात्रि के 10वें दिन मनाया जाता है. इस त्यौहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. दशहरा का महत्व हिंदू धर्म में काफी ख़ास है. दरअसल, इस दिन को बुरे पर अच्छाई का प्रतीक भी माना जाता है. यह बुरे किसी भी रूप में हो सकती है जैसे कि क्रोध, असत्य, बैर, इर्षा, आलस्य आदि. दशहरे का दिन इन सभी बुराईयों का अंत करता है और लोगोब के मनो में एक नई उम्मीद एवं ख़ुशी पैदा करता है.

दशहरा का महत्व

दशहरा अर्थात विजयदशमी बुरे आचरण पर अच्छे आचरण की जीत का त्यौहार है. इसको लोग बेहद धूमधाम से मनाते हैं. भारत के हर राज्य में दशहरा मनाने का अपना अलग अलग रीति रिवाज़ है. वहीँ यह त्यौहार कुछ किसानो की नई फसल के घर आने की खुशियों का संकेत है. सदियों पहले लोग इस दिन का जश्न मनाने के लिए हथियारों की पूजा करते थे. इसके इलावा सैनकों के लिए यह दिन युद्ध में मिली जीत के जश्न के सामान है.कुछ लोगो की ये मान्यता है कि इस दिन दुर्गा माँ ने 9 रात्रि और दसवां दिन मिला के महिषासुर से युद्ध किया था और उसको हरा कर सच्चाई पर जीत हासिल की थी. आपको बता दें कि हर साल दशहरा का पर्व अश्विन मॉस के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है.

दशहरा का महत्व- साल 2018 का दशहरा

हिंदू धर्म में दशहरा का महत्व काफी सराहनीय है. इस दिन कुछ लोग शमी वृक्ष की पूजा करते हैं. खासकर क्षत्रियों में इस पूजन का महत्व ज्यादा है. गौरतलब है कि सालों पहले महाभारत के युद्ध के दौरान पांडवों ने इसी वृक्ष के पीछे अपने हथियार छिपाए थे जिसके बाद उन्हें कौरवों से जीत प्राप्त हुई थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि गुजरात के कच्छ जिले के भुज शहर में लगभग 450 साल पुराना शमी वृक्ष है. इस साल दशहरा का त्यौहार 18 अक्टूबर यानि गुरुवार को मनाया जाएगा.

दशहरा का महत्व- दशहरे से जुडी रावण गाथा

दरअसल दशहरे को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं जिनमें से सबसे प्रचलित कथा भगवान राम एवं रावण की है. इस दिन भगवान राम ने बुराई पर जीत प्राप्त करके रावण का विनाश किया था. बताया जाता है कि राम अयोध्या नगरी के राजकुमार थे और उनकी पत्नी का नाम सीता था. जब मां कैकई ने भगवान राम को वनवास के लिए 14 वर्ष बाहर जाने को कहा तो उनके साथ उनके भाई लक्ष्मण भी मौजूद थे. इसी वनवास के दौरान रावण ने संत का भेस बनाकर सीता का अपहरण कर लिया.

रावण की अपनी सोने की लंका थी. वे महा-बलशाली राजा था और शिव का भक्त था. रावण में ब्राह्मण के समान ज्ञान था और राक्षस के समान शक्ति दो बातों के चलते उसने अहंकार कूट कूट कर भरा हुआ था. राम ने सीता मां को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए, उस से युद्ध किया युद्ध के दौरान हनुमान जी ने राम जी का बखूबी साथ निभाया. आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी कि घर का भेदी लंका ढाए, ऐसा ही कुछ रावण के साथ हुआ था जिसके कारण यह कहावत प्रचलित हुई. दरअसल रावण के छोटे भाई विभीषण में है भगवान राम को उसके अंत के बारे में बताया जिसके बाद भगवान राम ने उसका विनाश तरीके सीता मां को बचाया और सच्चाई पर विजय हासिल की. तब से लेकर आज तक हर साल लोग रावण का पुतला बनाकर जलाते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत साबित करते हैं.

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