करवा चौथ व्रत की कहानी एवं उद्यापन विधि
करवा चौथ व्रत की कहानी: भारत देश रीति रिवाजों और परंपराओं का देश है. यहाँ हर शुभ और अशुभ कार्य के लिए कुछ रस्में बनाई गई हैं. वहीँ बात अगर त्योहारों की करें तो हर साल भारत में ढेरों त्यौहार मनाए जाते हैं. इन्ही में से आज हम जिस त्यौहार की बात करने जा रहे हैं. उसे स्त्रीयों का त्यौहार माना जाता है. यह त्यौहार कोई और नहीं बल्कि करवा चौथ है. यह हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है. करवा चौथ व्रत की कहानी स्त्रीयों में काफी प्रचलित है. ऐसी मान्यता है कि करवा चौथ वाले दिन यदि कोई महिला सच्चे मन से व्रत रखती है तो उसके पति की आयु लंबी हो जाती है.
इस दिन हर विवाहित महिला अपने घर के रिवाजों के चलते पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती है और दिन भर अन्न एवं जल त्याग देती है. यह व्रत सुबह तारों की छाँव में सरगी खा कर रखा जाता है उसके बाद पूरा दिन औरतें भूखी रहती है. व्रत तोड़ने के लिए चाँद का निकलना बेहद मायने रखता है. चाँद निकलने के बाद सभी स्त्रीयों को उनके पति पानी पिला कर उनका व्रत तोड़ते हैं. आज के समय में बहुत सी कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं.
करवा चौथ व्रत की कहानी
सदियों पहले एक साहूकार के घर वीरवती नाम की लड़की ने जन्म लिया. वीरवती अपने 7 भाइयों की इकलौती बहन थी इसलिए उसका लालन पोषण बहुत ही लाड प्यार से किया गया जब वह बड़ी हुई तो उसकी शादी एक राजकुमार से करवा दी गयी. शादी के बाद में करवा चौथ का व्रत रखने के लिए अपनी मां के घर पहुंची और भूल होने के साथ ही करवा चौथ का व्रत शुरू कर दिया. वीरवती बेहद नाजुक और कोमल थी इसलिए वह इस कठिन व्रत का सामना नहीं कर पाई और शाम होते होते वह कमजोरी से बेहोश हो गई. अपनी बहन वीरवती को इस हाल में देख कर सातों भाई बहुत परेशान थे और उन्होंने उस का व्रत तुडवाने के लिए एक साजिश रची. उन भाइयों ने एक पहाड़ी पर आग जला कर उसे चांद निकलना बताया और वीरवती का व्रत तुड़वा दिया.
जैसे ही वीरवती ने खाना खाया तो उसे अपने पति की मृत्यु का शोक समाचार मिला. इस बात पर वह बहुत दुखी हो गई और घर जाने के लिए रवाना हुई रास्ते में उसे भगवान शिव और माता पार्वती मिले उन्होंने उसे झूठे चांद की सच्चाई बताई और कहा कि उसके पति की मृत्यु इस व्रत को तोड़ने से हुई है. वीरवती ने अपनी गलती के लिए दोनों से क्षमा मांगी बदले में माता पार्वती और शिव जी ने उन्हें वरदान दिया कि उस्का पति जीवित हो जाएगा लेकिन वह पूरी तरह स्वस्थ नहीं रहेगा.
जब वीरवती घर पहुंची तो उसने देखा कि उसका पति बेहोश पड़ा हुआ था और शरीर में बहुत सारी सुइयां चुभी हुई थी. वीरवती ने अपने पति को ठीक करने के लिए दिन रात एक कर दी और हर रोज़ एक एक करके सुई निकालते गई. ऐसा करते करते पूरा एक साल बीत गया अब केवल राजा के शरीर में एक ही सुई शेष बची थी. वीरवती ने इस बार फिर से करवा चौथ का व्रत रखा और अपना करवा लेने के लिए बाजार चली गई. वीरवती की गैर हाजरी में एक दासी ने राजा के शरीर से अंतिम सुई निकाल दी.
जब राजा को होश आया तो उसने दासी को अपने रानी समझ लिया और रानी को दासी बना दिया. ऐसा बहुत समय तक चलता रहा. 1 दिन राजा किसी दूसरे राज्य के लिए रवाना हो रहा था तो उसने दासी वीरवती से भी पूछा कि उसको कुछ मंगवाना है तो वह राजा को बता दे. वीरवती ने राजा को एक जैसी दो गुड़िया लाने के लिए कहा. जब राजा वापस महल पहुंचा तो राजा उसके लिए दो गुड़िया ले आया. वीरवती अक्सर ” रोली की गोली हो गई …गोली की रोली हो गई… रानी दासी बन गई, दासी रानी बन गई… गीत गाती रहती थी.
एक दिन राजा ने वीरवती से इस गीत का मतलब पूछा तो वीरवती ने अपने साथ बीती सारी कहानी सुना दी राजा पूरा सच जानकर बहुत दुखी हुआ उसे अपनी गलती का पछतावा होने लगा. अपनी गलती को सुधारने के लिए अंत में राजा ने वापस अपनी दासी को रानी बना लिया और उसको पूरा शाही सम्मान लौटा दिया.
करवा चौथ उद्यापन विधि
करवा चौथ का उद्यापन बेहद खास तरीके से किया जाता है. इस दिन का उज्मं करने वाली सभी महिलाएं उद्यापन करने से एक वर्ष पहले तक के हर महीने पूर्णिमा का व्रत रखती हैं.
1. जो महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं उन्हें अपने घर भोज पर आमंत्रित करें.
2. अपने घर में हलवा एवं पूरी जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनवाएं.
3. एक थाली में चार चार पुरियां तेराह जगह रखें साथ ही इनपर हलवा भी रखें. अब थाली पर रोली से टिकी करके चावल लगा दें. अब हाथ में पल्लू लेकर 7 बार इस थाली को हारों और घुमाएं और ‘रोली की गोली’ गीत गाएं. यह भोजन आमंत्रित की गयी 13 महिलायों को पहले सर्व किया जाना चाहिए.
4. अपनी सास के लिए एक अलग थाली में भोजन लगायें. उस में एक बेस, सोने की लॉन्ग, लच्छा, बिंदी, काजल, बिच्चिया, मेहँदी, चूड़ा आदि जैसी सुहाग की निशानियाँ रखें और शगुन के तौर पार कुछ पैसे भी रखें. इस्सके उपरंत थाली को सिर पर पल्लू रख कर अपनी सासू माँ को दें और उनका आशीर्वाद लें.
5. सभी महिलायों को भोजन परोसे और इसके पश्चात उन्हें रोली से टिकी करे और एक प्लेट में सुहाग का सामन रख कर उन्हें भेंट करें.
6. यदि आपका जेठ या देवर है तो उन्हें साक्षी मानकर खाना खिलाएं साथ ही उन्हें नारियल और कुछ रुपए भेंट करें. इस प्रकार उद्यापन सम्पूर्ण होता है।