सुब्रमण्यम स्वामी ने राम मंदिर निर्माण के लिए खोला भाजपा का सीक्रेट प्लान
नई दिल्ली: राम जन्मभूमि मसले पर देश की राजनीति हमेशा से ही गर्म रही है। जानकारी के अनुसार इस विवादित जन्मभूमि के मामले पर देश की सर्वोच्च अदालत 28 सितम्बर को अपना फ़ैसला सुना सकती है, कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का अभिन्न हिस्सा है या नहीं। लेकिन उससे पहले भाजपा के विवादित बयान देने वाले सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर से राम जन्मभूमि का राग अलापना शुरू कर दिया है। स्वामी ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला राम मंदिर के पक्ष में नहीं आता है तो इसका रास्ता निकाला जाएगा।
28 सितम्बर तक सुप्रीम कोर्ट सुना सकती है अपना फ़ैसला:
सुब्रमण्यम स्वामी की बातों से साफ़ लग रहा है कि सरकार राम मंदिर मामले पर अध्यादेश ला सकती है। सुब्रमण्यम स्वामी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर लिखा है कि पाँच जजों की बेंच का यह फ़ैसला कि मस्जिद इस्लाम का एक अनिवार्य हिस्सा नहीं है, जिसे अब 7 जजों की बेंच को पुनर्विचार की ज़रूरत है। अगर फ़ैसला नहीं में आता है तो हम राम मंदिर निर्माण के लिए बढ़ेंगे। अगर फ़ैसला हाँ में आता है तो हम संसद से इसका रास्ता निकालेंगे। बता दें राम जन्मभूमि मामले पर 28 सितम्बर तक सुप्रीम कोर्ट अपना फ़ैसला सुना सकती है।
बता दें वरीयता सूची के मुताबिक़ 28 सितंबर को राम जन्मभूमि मामले पर फ़ैसला सूचीबद्ध है। इससे पहले इस मामले पर 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में सुनाई हुई थी। उस दौरान कोर्ट ने इस मामले पर फ़ैसला सुरक्षित रखा था कि संविधान पीठ के 1994 के फ़ैसले पर फिर से विचार करने की ज़रूरत है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा भी 2 अक्टूबर को अपने पद से सेवानिवृत्त हो जाएँगे। इसलिए यह क़यास लगाया जा रहा है कि जाते-जाते दीपक मिश्रा इस मामले पर ख़ुद ही फ़ैसला सुनाकर जाएँगे।
1994 में पाँच जजों के पीठ ने राम जन्म भूमि में यथास्थिति बरक़रार रखने का निर्देश दिया था, ताकि हिंदू पूजा-पाठ कर सकें। पीठ ने ये भी कहा था कि मस्जिद में नमाज़ पढ़ना इस्लाम का महत्वपूर्ण अंग है या नहीं। 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फ़ैसला सुनाते हुए विवादित राम मंदिर भूमि का एक तिहाई हिस्सा हिंदू, एक तिहाई हिस्सा मुस्लिम और एक तिहाई हिस्सा राम लाल को दिया था। इस फ़ैसले के बाद भी राम मंदिर पर विवाद थमा नहीं और आजतक यह मामला कोर्ट में अटका हुआ है।
किसी एक पक्ष में फ़ैसला जानें से विवाद और बढ़ सकता है:
आपको बता दें यूपी में जब भाजपा की सरकार बनी और योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो लगा कि अब राम मंदिर का मुद्दा सुलझ जाएगा और राम मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन योगी सरकार के लगभग 2 साल के कार्यकाल के दौरान अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है। राम मंदिर को लेकर आए दिन कोई ना कोई भाजपा नेता बयान भी देता रहता है कि राम मंदिर अब बनेगा तब बनेगा, लेकिन राम मंदिर कब बनेगा किसी को नहीं पता है। राम मंदिर पर फ़ैसला देते समय देश के न्यायालय भी इस बात का ख़याल रखती हैं कि किसी की धार्मिक भावनाएँ आहत ना हो जाए। किसी एक के पक्ष में फ़ैसला गया तो यह विवाद और भी बढ़ सकता है।