क्या आप जानते हैं शनि देव को तेल क्यों अर्पित किया जाता है, जानिए इसके पीछे की वजह
शनिदेव का नाम जैसे ही आता है लोगों के अंदर डर का अनुभव होने लगता है उनके मन में यही विचार रहता है कि कहीं शनिदेव की वजह से उनके जीवन में संकट ना आ जाए वैसे देखा जाए तो ज्यादातर लोगों के मन में शनि देव के प्रति यह धारणा है कि शनि देव हमेशा व्यक्ति को परेशान करते रहते हैं परंतु यह बातें सत्य नहीं है कभी भी शनि देव व्यक्तियों का बुरा नहीं करते हैं शनि देव को न्यायधीश की उपाधि दी गई है जो व्यक्ति गलत कार्य करते हैं उन्हीं लोगों को शनि देव सजा देते हैं ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति बुरे कार्यों में रहते हैं उनके ऊपर शनि देव की बुरी दृष्टि पड़ जाती है और उनके जीवन में कई तरह की परेशानियां आने लगती हैं व्यक्ति अपने जीवन में आए संकटों का जिम्मेदार खुद होता है शनिदेव कभी भी किसी निर्दोष व्यक्ति का बुरा नहीं करते हैं हमेशा शनिदेव गलत व्यक्तियों के द्वारा की गई उनकी भूल की सजा देते हैं जिसकी वजह से व्यक्तियों को अपने जीवन में संकट का सामना करना पड़ता है।
शनिदेव से लोग भयभीत होकर इनको प्रसन्न करने के लिए हर संभव कोशिश में लगे रहते हैं और इनकी पूजा-अर्चना करते हैं ताकि यह प्रसन्न हो सके आप सभी लोगों ने किसी भी शनि मंदिर में देखा होगा कि काले पत्थर पर सभी लोग तेल अर्पित करते हैं और उनकी उपासना करते हैं परंतु कभी आपने इस बारे में सोचा है कि आखिर शनिदेव को तेल क्यों अर्पित किया जाता है आखिर इसके पीछे की वजह क्या हो सकती है? आज हम आपको इस लेख के माध्यम से शनिदेव पर तेल अर्पित करने के पीछे की वजह क्या है इसके बारे में जानकारी देने वाले हैं इससे जुड़ी रामायण काल की एक बहुत ही रोचक कहानी है।
दरअसल, जब भगवान श्री राम जी और रावण के बीच युद्ध समाप्त हो गया था और श्री राम जी माता सीता के साथ अपनी पूरी सेना लेकर अयोध्या वापस आ गए थे तब एक बार भगवान हनुमान जी ध्यान में बैठे हुए थे इसी दौरान शनि देव को अपनी शक्तियों का घमंड था परंतु शनि देव भगवान हनुमान जी द्वारा युद्ध में दिखाए गए पराक्रम की कई कहानियां सुनकर उनके अंदर ईर्ष्या की भावना जाग उठी थी तब शनिदेव ने अपनी सत्ता को मजबूत करने के उद्देश्य से हनुमान जी से युद्ध करना चाहा ताकि युद्ध में हनुमान जी को हराकर अपनी शक्तियों की प्रभुता सुनिश्चित कर सके।
शनि देव को अपनी शक्तियों पर घमंड था और इन्हीं शक्तियों के लोभ की वजह से शनिदेव ने हनुमान जी से युद्ध करने के लिए उनके पास पहुंचे और उनको युद्ध के लिए चुनौती दी तब हनुमान जी का ध्यान भंग हो गया था परंतु हनुमान जी ने शनिदेव से विनम्रता पूर्वक कहा कि उन्हें युद्ध नहीं करना है लेकिन शनिदेव ने हनुमान जी की एक भी बात नहीं मानी और उनसे गलत व्यवहार करने लगे हनुमान जी ने शनिदेव को काफी बार समझाने की कोशिश की परंतु शनि देव नहीं माने तब भगवान हनुमान जी ने मजबूर होकर शनिदेव से युद्ध किया और युद्ध में शनि देव हनुमानजी से बुरी तरह से पराजित हो गए थे।
शनि देव ने अपनी हार स्वीकार करते हुए हनुमान जी से क्षमा याचना की और अपने अहंकार और ईर्ष्या की बात को स्वीकार किया तब हनुमानजी ने शनिदेव को युद्ध में लगी चोट पर तेल लगा कर क्षमा कर दिया और कहा कि अब से जो भी व्यक्ति अपने सच्चे मन से तुम्हारे ऊपर तेल अर्पित करेगा और तुम्हारी उपासना करेगा उसको अपने जीवन के कष्टों से छुटकारा मिलेगा तभी से शनि देव को न्याय का देवता और कष्ट दूर करने वाला कहा जाता है और इनकी पूजा में तेल अर्पित किया जाता है।