एससी/एसटी एक्ट पर शिवराज सिंह के बयान के बाद भड़के उदित राज और अठावले, भाजपा में कलह
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के SC/ST पर बयान के बाद उदित राज और रामदास अठावले नाराज़ हो गए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने बयान वापस लेने चाहिए। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री के बयान के बाद दलितों में नाराज़गी बढ़ेगी। बता दें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट करके कहा था कि मध्य प्रदेश में एससी/एसटी एक्ट के तहत बिना जाँच के किसी की भी गिरफ़्तारी नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा था कि मध्य प्रदेश में एससी। एसटी एक्ट का दुरुपयोग नहीं होगा।
मुझे जो कहना था मैंने वो कह दिया:
शिवराज सिंह से जब सवाल किया गया कि क्या राज्य केंद्र सरकार के अध्यादेश के एवज़ में कोई अध्यादेश लाएगी। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि, मुझे जो कहना था वो मैंने कह दिया। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सवर्ण, पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, जनजाति सभी वर्गों के हितों को सुरक्षित रखा जाएगा। जो भी शिकायत आएगी उसकी सही ढंग से जाँच के बाद ही किसी को गिरफ़्तार किया जाएगा। इस मामले में भाजपा संसद उदित राज ने कहा कि मैं तकलीफ़ महसूस कर रहा हूँ कि ऐसा बयान क्यों दिया है।
हमारी सरकार क़ानून को मज़बूत कर रही हैं और हमारे मुख्यमंत्री डायल्यूट करते हैं। इससे बड़ी बेचैनी महसूस कर रहा हूँ। फ़ोन आ रहे हैं। समाज के अंदर फिर से निराशा है। जनता में आक्रोश पैदा हो गया है। इसलिए इसपर पुनर्विचार करने की ज़रूरत है। उदित राज ने कहा कि यह जो हमारा समाज है, इसमें एकता होनी चाहिए। जो अंतर्विरोध हैं वह ख़त्म होने चाहिए। फ़ासला ख़त्म होना चाहिए। इससे जातिवाद बढ़ेगा। मैं यह बात पार्टी में रखूँगा। चौहान साहब से बातचीत करूँगा। मैं इसके बारे में राष्ट्रीय अध्यक्ष से भी बात करूँगा। एससी/एसटी के मामले में ही ऐसा दोहरा चरित्र, दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है।
अध्यादेश लाकर केंद्र ने बदल दिया सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला:
वहीं चौहान के बयान के बाद आरपीआई नेता और सांसद रामदास अठावले भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है शिवराज सिंह ने अपना यह बयान उच्च जातियों को ख़ुश करने के लिए दिया हो। लेकिन उन्हें ऐसा कुछ नहीं बोलना चाहिए था, जिससे दलित समुदाय में भय और असुरक्षा की भावना पैदा हो। अठावले ने कहा कि चौहान को अपना बयान वापस लेना चाहिए, क्योंकि राज्य का मंत्री अगड़े और पिछड़े दोनों के लिए होता है। बता दें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद भी केंद्र सरकार ने एससी/एसटी एक्ट पर अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले को बदल दिया।
इस अध्यादेश के अनुसार एससी/एसटी समाज के व्यक्ति की तरफ़ से शिकायत किए जानें पर बिना जाँच के ही मामला दर्ज किया जाएगा और आरोपी को छह महीने की जेल होगी। बता दें केंद्र के इस फ़ैसले के बाद विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाला है। ऐसे में सवर्णों का विरोध बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा और क्षत्रिय महासभा ने भाजपा के ख़िलाफ़ खुलकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश में अभी भाजपा की सरकार है, इसलिए क़ानून का दोष पार्टी के ऊपर लगाते हुए महासभा ने भाजपा को हराने तक का संकल्प ले लिया।