तीन तलाक अध्यादेश पर घमासान, ओवैसी बोले- ‘अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ’
हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर करारा हमला बोला है। और कहा है कि ये अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। ओवैसी ने कहा कि अध्यादेश मुस्लिम महिलाओं को न्याय नहीं दिलाएगा। इसके खिलाफ अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और मुस्लिम महिलाओं को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए। ओवैसी ने इस अध्यादेश को असंवैधानिक करार दिया है। और कहा है कि ये संविधान में उल्लेखित नागरिक समानता के अधिकार के खिलाफ है, क्योंकि ऐसा कानून सिर्फ मुस्लिमों के लिए लाया जा रहा है।
ओवैसी ने कहा कि इस्लाम में विवाह एक सामाजिक अनुबंध है और इसमें दंड प्रावधान के अंतर्गत लाना सरासर गलत है। अध्यादेश के संदर्भ में ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहा कि कानून उन शादी शुदा महिलाओं के लिए भी लाया जाए जिनके पति चुनावी शपथ पत्र में कहते हैं कि वे शादी शुदा हैं। लेकिन असल में उनकी पत्नी उनके साथ नहीं रहती । ओवैसी ने कहा कि ऐसी महिलाओं की संख्या पूरे देश में 24 लाख के आस पास है।
तीन तलाक बिल लोकसभा में तो पास हो चुकी है। लेकिन राज्यसभा में ये बिल अटका हुआ है. क्योंकि राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या बल नहीं है।
अलग अलग राजनीतिक पार्टियां लगातार कर रही हैं विरोध- एआईएमआईएम के अलावा अन्य विपक्षी दल भी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं। आज मोदी सरकार की ओर से अध्यादेश लाए जाने के बाद कांग्रेस ने भी सरकार पर करारा हमला बोला है। और कहा है कि मोदी सरकार के लिए तीन तलाक का मामला मुस्लिम महिलाओं के न्याय का नहीं है बल्कि राजनीतिक फुटबाल का है
क्या कहा कांग्रेस ने- कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि तीन तलाक एक अमानवीय प्रथा थी। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया। और अब इस पर कानून बना है। हमारे लिए कांग्रेस पार्टी के लिए ये हमेशा से मानवीय मामला और महिलाओं को अधिकार दिलाने वाला मामला रहा है। तीन तलाक मामले में हमारे कई नेताओं ने कोर्ट में महिलाओं की पैरवी भी की है।
इसके आगे उन्होंने कहा कि मामला पीड़ित मुस्लिम महिलाओं के गुजारे भत्ते का है। यह गुजारा उन्हें उनके पति के पास मौजूद संपत्ति से मिलना चाहिए। क्योंकि गुजारे भत्ते के बिना बच्चों का भरण पोषण मुश्किल है। हमने सरकार को गुजारा भत्ता देने का सुझाव दिया था। लेकिन मोदी सरकार ने इस सुझाव नहीं माना। इससे साफ जाहिर है कि सरकार के लिए ये मामला मुस्लिम महिलाओं के न्याय का नहीं है। बल्कि ये सरकार के लिए राजनीतिक फुटबाल है।