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इस मंदिर के चमत्कार के आगे वैज्ञानिकों ने भी टेक दिए घुटने, कई चमत्कार छुपे हैं इस मंदिर में
आप लोगों ने भारत देश में ऐसे बहुत से मंदिर देखे होंगे या इनके बारे में सुना होगा जो अपने-अपने चमत्कारों और रहस्यों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है वैसे देखा जाए तो भारत में बहुत से मंदिर मौजूद है आपको हर गली में कोई ना कोई किसी न किसी देवी देवता का मंदिर देखने को अवश्य मिल जाएगा आपको चाहे किसी जगह इंसान नजर ना आए परंतु आपको मंदिर जरूर देखने को मिलेगा इसीलिए हमारा भारत देश धार्मिक देशों में माना गया है यहां पर उपस्थित मंदिरों के ऐसे कई रहस्य और चमत्कार हैं जिसका अनुमान कोई भी नहीं लगा पाया है जिसके बारे में कोई भी व्यक्ति नहीं जानता है आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसे मंदिर के विषय में जानकारी देने वाले हैं जिसके आगे वैज्ञानिकों ने भी हार मान ली है।
दरअसल, हम जिस मंदिर के बारे में आपको जानकारी देने वाले हैं यह मंदिर भगवान जगन्नाथ का मंदिर है इसके अतिरिक्त इस मंदिर में बलभद्र और सुभद्रा मुख्य देव है इन देवताओं की मूर्तियों पर एक रत्न पंडित पाषाण चबूतरे पर गर्भ गृह में स्थापित है विश्व भर में इस मंदिर को सबसे भव्य और ऊंचा मंदिर माना गया है यह चार लाख वर्ग फुट और लगभग 214 फुट ऊंचा है इस मंदिर को विशेष इसलिए माना गया है क्योंकि इस मंदिर के चमत्कार के आगे वैज्ञानिक भी फेल हो गए हैं।
भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर की सबसे आश्चर्य कर देने वाली बात यह है कि इस मंदिर के ऊपर जो ध्वजा स्थित है वह हमेशा हवा के विपरीत दिशा में लहराता रहता है मान लीजिए अगर हवा दक्षिण की ओर बह रही है तो यह ध्वजा उत्तर की ओर लहराएगा अब इसके पीछे का क्या कारण है इसके बारे में कोई भी पता नहीं लगा पाया है इसके अलावा आश्चर्य कर देने वाली बात इस मंदिर में यह भी है कि इस मंदिर के गुंबद के पास कभी भी कोई पक्षी उड़ता नजर नहीं आएगा यहां तक कि मंदिर के शिखर तक के करीब कोई भी पक्षी आपको मंडराता हुआ भी नजर नहीं आ सकता।
इस भव्य मंदिर के बहुत से आचार्य कर देने वाली खास बातें है जिसको जानने के बाद आप भी सोच में पड़ जाएंगे दरअसल, इस मंदिर के पास एक बहुत बड़ा समुंदर है जिसकी लहरों की आवाज बहुत तेज सुनाई देती है परंतु जब मंदिर के अंदर मेन गेट से प्रवेश कर लेते हैं तो समुंद्र की इन तेज लहरों की आवाज बिल्कुल भी नहीं सुनाई देती है और इस मंदिर के अंदर रसोई घर में खाना सिर्फ 7 बर्तनों में बनाया जाता है जिनको लकड़ी पर रखकर पकाया जाता है इस प्रक्रिया में सबसे पहले नीचे की जगह ऊपर वाले बर्तन का खाना पकता है और उसके बाद नीचे रखे हुए बर्तन का खाना पकता है।
भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में मूर्तियां तो विशाल है ही बल्कि यहां के रसोईघर में भी बीस लाख से अधिक व्यक्तियों के लिए प्रसाद बनाया जा सकता है इस मंदिर के अंदर लगभग 500 रसोइए कार्य करते हैं और त्योहारों पर इतने सारे व्यक्तियों के लिए हर साल प्रसाद बनाते हैं इस मंदिर के बारे में ऐसा भी माना जाता है कि अगर प्रसाद कुछ हजार व्यक्तियों के लिए भी बनाया जाए तो कभी भी प्रसाद कम नहीं पड़ता है और ना ही प्रसाद बेकार जाता है।
भगवान जगन्नाथ मंदिर के इस चमत्कार के आगे वैज्ञानिक भी हैरान है इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ भाई बलराम और बहन सुभद्रा का मंदिर भी है तीनों ही मूर्तियां काष्ठ से बनी हुई है मंदिरों का यह असूल है कि इन मूर्तियों को केवल दर्शन के लिए रखा गया है इनकी पूजा नहीं की जाती है हर 12 साल में इन मूर्तियों की नई प्रतिमा बनाई जाती है परंतु इनके आकार और रूप में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं आता है यह वैसा का वैसा ही रहता है।