एजुकेशन सिस्टम में करप्शन को घोलती ये 5 फिल्में, दूसरे नंबर की है सबकी फेवरेट
बॉलीवुड में हर मुद्दे पर फिल्में बनती हैं और यहां शिक्षा की आज व्यवस्था के ऊपर भी कई फिल्में बनी हैं जिन्हें दर्शकों ने बहुत ज्यादा पसंद किया. बॉलीवुड में शिक्षा के ऊपर फिल्में बनने का दौर भी बहुत पुराना है, इस बात का सबूत साल 1954 में आई फिल्म जागृति है जिसमें दिखाया गया था कि एक अध्यापक को अपने छात्रों के साथ कैसे पेश आना चाहिए. फिर आज के समय में लोग 3 इडियट्स के बारे में बात किया करते हैं, इसके अलावा कुछ फिल्मों में ये भी दिखाया गया है कि जब बच्चों का मन पढ़ने में नहीं लगे तो उसे जबरदस्ती नहीं बल्कि उसका महौल बदलकर उसे अलग तरह से पढ़ाना शुरु कर देना चाहिए. इसी तरह से भारत के एजुकेशन सिस्टम में आए लचीलेपन को भी ये फिल्में बयां करती हैं. एजुकेशन सिस्टम में करप्शन को घोलती ये 5 फिल्में, जो हर स्टूडेंट्स को लुभाती हैं.
एजुकेशन सिस्टम में करप्शन को घोलती ये 5 फिल्में
1. तारे जमीं पर
साल 2007 में आई फिल्म ‘तारे जमीन पर’ लोगों की सबसे ज्यादा पसंदीदा फिल्म है. जिसमें आमिर खान ने एक आर्ट टीचर का किरदार निभाया है जो बच्चों को गाकर, नाचकर और प्यार से पढ़ाने में विश्वास रखता है. उनकी क्लास में एक ईशान अवस्थी नाम का विद्यार्थी होता है जिसका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता है. सभी टीचर उसे डांटते और मारते हैं लेकिन कोई उसकी परेशानी को नहीं समझता. फिर आमिर अपना ध्यान उसके ऊपर लगाते हैं तो पता चलता है कि ईशान को कोई बीमारी है. ऐसे में वे ईशान के अंदर के टैलेंट को पहचानकर उसे उसकी राह पर ले जाने में पूरी मदद करते हैं, इसके साथ ही वे स्कूल मैनेजमेंट से भी उसके अधिकार के लिए लड़ते हैं.
2. थ्री इडियट्स
साल 2009 में राजकुमार हिरानी की फिल्म थ्री इडियट्स आई, जिसमें आमिर खान एक बार फिर एजुकेशन के सिस्टम से लड़ते हैं. इस फिल्म का भी वही कॉन्सेप्ट था इसमें भी तेज बच्चों को आगे बढ़ाने की प्रेरणा दी जाती है लेकिन कमजोर बच्चों पर ध्यान नहीं दिया जाता. करियर में वो करो जिसका फायदा है वो नहीं जो आपकी मर्जी है. इसमें यही दिखाया गया है कि बच्चे का जिस विषय में ज्यादा रुझान हो उसे वहीं पढना चाहिए ऐसे में तीन छात्रों पर आधारित फिल्म ‘3 इ़डियट्स’ में आमिर ने बताया कि पढ़ाया कैसे जाता है और इतना ही नहीं फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि छात्रों पर जरूरत से ज्यादा प्रेशर डालने से वे आत्महत्या करने का प्रयास करते हैं.
3. पाठशाला
साल 2012 में आई फिल्म पाठशाला में बॉलीवुड के चॉकलेटी ब्वॉय शाहिद कपूर ने एक अध्यापक का किरदार निभाया था. इसमें उन्होंने एक डांस टीचर का किरदार निभाया था. शाहिद उस दौरान ये महसूस करते हैं कि स्कूल के प्रशासकीय तौर-तरीके, अध्यापकों के बच्चों के साथ रवैये और बच्चों पर किसी काम को लेकर कितना प्रेशर है ये सब भ्रष्ट सिस्टम को वे बदलने की कोशिश करते हैं.
4. फालतू
फिल्म ‘फालतू’ भी चार ऐसे युवाओं की कहानी है जो पढ़ने में एवरेज है और एवरेज पढ़ाई करने वालों के लिए कॉलेज में कोई जगह नहीं होती. ये फिल्म शिक्षा पर आधारित मगर एक कॉमेडी फिल्म थी. इस फिल्म को कोरियोग्राफर रेमो डिसुजा ने निर्देशित किया था और फिल्म की शिक्षा प्रणाली और पैरेंट्स का दबाव हर छात्रों के दिल को छू गई. ये फिल्म लोगों को खूब पसंद आई थी, जिसमें हर छात्र को दिल की बात सुनने की बात बताई गई है. 35 से 70 प्रतिशत नंबर की श्रेणी में बहुत से छात्र आते हैं, जिन्हें बड़े कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलता. इंजीनियरिंग और मेडिकल तो छोड़िए उन्हें आर्ट कोर्सेस के लिए एडमिशन नहीं मिल पाता.
5. आरक्षण
फिल्म ‘आरक्षण’ में भी हमारी शिक्षा प्रणाली की मौजूदा स्थिति को विस्तृत रूप से बताया गया था. ये फिल्म शैक्षित आरक्षण के मसले को लेकर शुरु होती है जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत का आरक्षण तय करने पर बात की गई है. फिल्म में अमिताभ बच्चन, सैफ अली खान, मनोज बाजपेयी और दीपिका पादुकोण मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे. ये एक सामाजिक-राजनीतिक पर आधारित फिल्म थी जिसे प्रकाश झा ने डायरेक्ट किया था. इसमें पिछड़ों और एससी /एसएसटी को सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिलने पर आधारित इस फिल्म में कई पहलुओं को समझाने की कोशिश की गई लेकिन बहुत से लोग उसे समझ नहीं पाए.