बीजेपी से नाराज अयोध्या संतो का बड़ा बयान ‘गिरगिट की तरह रूप बदलना भगवान राम के साथ धोखा’
राम मंदिर का मुद्दा 2014 के लोकसभा चुनाव से ही गरमा हुआ है। जी हां, राम मंदिर को लेकर सरकार और विपक्ष तो आपस में भिड़ते ही रहते हैं, लेकिन इस बार सरकार के सामने अयोध्या के साधु संत आ गये हैं। अयोध्या के साधु संतों ने बीजेपी को पूरी तरह से इस मुद्दे पर घेर लिया है, लेकिन याद दिला दें कि यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर आखिरी फैसला सुप्रीम कोर्ट को ही लेना है, लेकिन इन सबके बीच राम मंदिर के मुद्दे को बार बार उछाला जाता है। तो चलिए जानते हैं कि अयोध्या के साधु संत आखिर बीजेपी से नाराज क्यों हैं?
अयोध्या के संत यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के बयान से पूरी तरह से नाराज हो गये हैं। दरअसल, यूपी के सीएम योगी ने शनिवार को एक कार्यक्रम में राम मंदिर पर बयान देते हुए कहा था कि जो काम होना है, वह होकर ही रहेगा, नियति ने जो तय किया है, वो होगा ही। इस बात को लेकर अयोध्या के संत पूरी नाराज दिख रहे है, क्योंकि 2014 में बीजेपी का मुद्दा था कि वो 2019 तक राम मंदिर बनवाएंगे, लेकिन अब सीएम योगी की इस तरह के बयान से संत मायूस हो गये हैं।
रविवार को सीएम योगी के बयान की आलोचना करते हुए श्री रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सतेंद्र दास ने इस पर कहा कि दो सांसदों से लेकर सत्ता तक बीजेपी को भगवान राम ने भेजा, वही आकर अयोध्या में अपनी भाषा को बदल रहे हैं। इसके अलावा पुजारी ने यह भी कहा कि बीजेपी गिरगिट की तरह रंग बदलकर श्रीराम को धोखा दे रही है, जिसका फल उसे आने वाले चुनावों में ज़रूर मिलेगा। संतो ने यह भी कहा कि अगर रामलल्ला सत्ता दिलवा सकते हैं, तो वो सत्ता छीन भी सकते है, ऐसे में 2019 में बीजेपी को सत्ता नहीं मिलने वाली है।
अक्टूबर से संत करेंगे अनशन –
योध्या तपस्वी छावनी के महंत स्वामी परमहंस ने कहा कि सीएम योगी को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए था, क्योंकि उन्हें राम की कृपा से ही सत्ता मिली है, लेकिन वो इस तरह की बयान बाजी करते हैं। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि अक्टूबर में राम मंदिर को लेकर फैसला आने वाला है, अगर फैसला नहीं आया तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगे, लेकिन मंदिर बनवाकर ही रहेंगे। साथ ही परमहंस ने यह भी कहा कि मंदिर बनवाना पीएम और सीएम का कर्तव्य है।
याद दिला दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अक्टूबर में फैसला सुना सकती है, जिसका आगामी चुनाव से कोई लेना देना नहीं होगा, क्योंकि यह पूरी तरह से अब न्यायिक प्रक्रिया से सुलझाया जा रहा है, लेकिन देखने वाली बात यह होगी कि क्या बीजेपी एक बार फिर से अयोध्या की जनता को भरोसा दिलाने में सफल हो पाएगी या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा।