भगवान श्रीकृष्ण की 8 पटरानियां कौन कौन थी, जानिए विस्तार से सभी के बारे में
भगवान श्रीकृष्ण को रासरसिया भी कहा जाता है। क्योंकि माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण गोपियों के साथ रासलीला किया करते थे। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण की 16108 पत्नियां थीं। लेकिन क्या आप इन 16108 पत्नियों के बारे में सच्चाई जानते हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको बताएंगे भगवान श्रीकृष्ण के 16108 पत्नियों का सच क्या है और इसके बारे में पुराणों में क्या उल्लेख मिलता है।
भागवत पुराण में उल्लेख मिलता है कि भगवान के आठ सिद्धातों को ही उनकी पत्नियां कहा गया है। यानि जिन आठ पत्नियों का उल्लेख मिलता है वो वास्तव में भगवान श्रीकृष्ण के आठ सिद्धांत थे, जो कि जीवन में अपनाए गए। शेष 16100 पत्नियों से भगवान का विवाह नहीं हुआ था। लेकिन उन्हें श्रीकृष्ण के पत्नी होने का बराबर दर्जा प्राप्त था। इन 16000 पत्नियों को लेकर भागवत पुराण में एक कथा उल्लेखित है।
भागवत पुराण के अनुसार ये 16000 स्त्रियां वास्तव में राजकुमारी थी। इन्हें नरकासुर नामक राक्षस ने विवाह के उद्देश्य से बंदी बना कर रखा था। नरकासुर से श्रीकृष्ण युद्ध करके इन 16000 राजकुमारियों को मुक्त किया था। लेकिन एक राक्षस के यहां लंबे समय से रहने के कारण इन राजकुमारियों से कोई भी राजकुमार या अन्य लोग विवाह को तैयार नहीं थे। इन्हें कोई अपनाना नहीं चाहता था। सभी जीवों को प्रेम करने वाले श्रीकृष्ण ने इन्हें अपनाया और इनके लिए एक विशाल महल बना दिया, जहां ये सुख शांति से रहती थीं।
महाभारत के एक खंड में इन रानियों को अप्सरा कहा गया है। जो पिछले जन्म में भगवान विष्णु से विवाह करना चाहती थीं। लेकिन इनके घोर तपस्या को देखकर भगवान विष्णु ने इन्हें श्रीकृष्ण के साथ विवाह का वरदान दिया था।
जानिए श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों के बारे में-
- रूक्मणी- विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणी भगवान श्रीकृष्ण से प्रेम करती थीं। और उनसे विवाह करना चाहती थीं। उनके माता पिता तो इसके लिए राजी थे। रूक्मणी सर्वगुण संपन्न और अति सुंदर थी। उनके माता पिता उनका विवाह श्रीकृष्कण के साथ करना चाहते थे। लेकिन ऐसा माना जाता है कि उनके भाई इसके लिए तैयार नहीं थे। और वे चाहते थे कि रूक्मणी का विवाह चेदिराज शिशुपाल के साथ हो। यही कारण है कि भगवान श्रीकृष्ण ने रूक्मणी का हरण करके उनसे विवाह किया।
- कालिंदी– सूर्य की पुत्री कही जाने वाली कालिंदी खांडव वन में भगवान को पति रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या कर रही थी। यह घटना पांडवों के लाक्षागृह से सफलता पूर्वक बच निकलने के बाद की है। जब कृष्ण पांडवों से मिलने इंद्रप्रस्थ पहुँचे। इसी दौरान कृष्ण अर्जुन को लेकर एक बार वन विहार में निकल पड़े। वहां कृष्ण ने देखा कि कालिंदी उनके लिए तप कर रही है। कालिंदी की मनोकामना पूरी करने के लिए और तपस्या से खुश होकर भगवान ने कालिंदी से ब्याह कर लिया।
- मित्रबिंदा– एक दिन वे उज्जयिनी की राजकुमारी मित्रबिंदा को स्वंयवर से ब्याह कर लाए।
- सत्या– कौशल के राजा नग्नजीत के साथ एक साथ बैलों को नाथकर उनकी कन्या सत्या से पाणिग्रहण किया।
- लक्ष्मणा– मद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण के साथ विवाह करना चाहती थीं। लेकिन उनके माता पिता श्रीकृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं थे। तब लक्ष्मणा का हरण कर श्रीकृष्ण ने विवाह कर लिया।
- सत्यभामा– सत्यभामा, शक्तिसेन की पुत्री थी। शक्तिसेन को सत्राजीत के नाम से भी जाना जाता है। सत्यभामा को कृष्ण की सबसे प्रिय पत्नी बताया जाता है।
- जामबंती– जामबंती, निषाद राज जामबंत की पुत्री थी। जामबंत बहुत ही ऐतिहासिक पौराणिक पात्रों में से हैं जो महाभारत और रामायण दोनों में मौजूद थे।
- भद्रा- भद्रा कृष्ण की अंतिम पत्नी थी। जो कैकेय राजा की पुत्री थी।