अध्यात्म

जन्माष्टमी : क्या है श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का महत्व, जानिए दिलचस्प संयोग

हिंदू धर्म में हर त्योहार का अपना अलग ही महत्व होता है, उन्हीं में से एक है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी जो इस साल 2 या 3 सितंबर को पूरे भारत में मनाई जाएगी. जन्माष्मी की खास बात ये होती है कि इसे भारत के अलावा भी कई देशों में धूमधाम से मनाया जाता है, कृष्णजी की लीला से हर हिंदू वाकिफ है और वैसा ही स्वभाव देस का हर बच्चा रखता है. श्रीकृष्ण के जीवन में बहुत सारी बातें खास हैं, जैसे कि मक्खन-मिश्री, गायोंको चराना और गोपियों के साथ रासलीला करने जैसी बातें शामिल हैं. कहने को कृष्ण जी ने सिर्फ राधा से प्यार किया था लेकिन उनके ऊपर हर गोपियां मरती थीं. वैसे आपको एक खास बात बताते हैं कि श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का बहुत ज्यादा महत्व रहा है. इस जन्माष्मी जानिए श्रीकृष्ण से जुड़ी कुछ ऐसी दिलचस्प बात जो इससे पहले शायद ही आपने कहीं पढ़ी या सुनी हों.

श्रीकृष्ण के जीवन में 8 अंक का महत्व

कृष्ण के जीवन में वो सारे रंग पाये जाते हैं जो एक मानव के जीवन में होने चाहिए. वे एक गुरु थे, तो शिष्य भी थे, आदर्श पति थे तो लाजवाब प्रेमी भी, आदर्श मित्र थे तो कंस के शत्रु भी, वे आज्ञाकारी पुत्र थे, तो एक उत्तम पिता थे. युद्ध में वे कुशल थे तो बुद्धजीवी की तरह सारथी भी थे. कृष्ण के जीवन में हर वो रंग पाया गया था इसलिए ही उन्हें पूर्णावतार कहा गया था. अब चलिए बताते हैं आपको श्रीकृष्ण से जुड़े 8 अंक का महत्व बताते हैं.

1. श्रीकृष्ण के जीवन में आठ अंक का बहुत ही अद्भुत संयोग पाया गया. उनका जन्म आठवें मनु के काल में अष्टमी के दिन हुआ, वे वासुदेव के आठवें पुत्र के रूप में जन्मेंथे और उनकी आठ सखियां, आठ पत्नियां, आठमित्र और शत्रु भी आठ ही थे. इस तरह उनके जीवन में आठ अंक का बहुत बड़ा संयोग पाया गया है.

2. कृष्णजी के आठ मुख्य नाम नंदलाल, गोपाल, बांके बिहारी, कन्हैया, केशव, श्याम, रणछोड़दास, द्वारिकाधीश और वासुदेव हैं, इसके अलावा उन्हें मुरलीधर, माधव, गिरधारी, घनश्याम, माखनचोर, मुरारी, मनोहर, हरि और रासबिहारी नाम से भी जाना जाता है.

3. श्रीकृष्ण की आठ पत्नियां रुक्मिणी, जाम्बवंती, सत्यभामा, मित्रवंदा, सत्या, लक्ष्मणा, भद्रा और कालिंदी थीं, जिनसे उन्हें कई सारे पुत्र और पुत्रियां थे

4. कृष्णजी की 8 सखियां राधा, चन्द्रावली, श्यामा, शैव्या, पद्या, ललिता, विशाखा और भद्रा थीं और 8 मित्र श्रीदामा, सुदामा, सुबल, स्तोक कृष्ण, अर्जुन, वृषबन्धु, मन:सौख्य, सुभग, बली और प्राणभानु थे.

5. कृष्णजी के 8 अंधभक्त सूरदास, ध्रुवदास, रसखान, व्यासजी, मीराबाई, चैतन्य महाप्रभु, श्रीभट्ट और स्वामी हरिदास थे, इन्होंने कृष्णजी के ऊपर अलग-अलग रस में गुणगान किया है.

6. श्रीकृष्ण के लीला स्थान और जहां-जहां वे रहे हैं उन जगहों के नाम मथुरा, गोकुल, नंदगाव, वृंदावन, गोवर्धन, बरसाना, मधुवन और द्वारिका हैं. ये सभी अब तीर्थस्थल के नाम से भी जाने जाते हैं.

7. जिन 8 चीजों को देखकर श्रीकृष्ण का स्मरण उनके भक्त करते हैं उनके नाम इस प्रकार हैं- सुदर्शन चक्र, मोर मुकुट, बंसी, पितांभर वस्त्र, पांचजन्य शंख, गाय, कमल का फूल और माखन मिश्री.

8. कृष्णजी ने जिनका वध किया और वध के कुछ समय पहले जिन्होंने गोपाला को अपना गुरु माना उनके नाम पूतना, ताड़का, कालिया, बकासुर, नरकासुर, व्योमासुर, कंस और शटकासुर हैं.

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