संसद भवन में क्यों लगते हैं उलटे पंखे, जानिए क्या है ऐसा करने की वजह
पंखों का इस्तेमाल तो हम सभी अपने घर, स्कूल, कॉलेज या दफ्तर में करते हैं, क्योंकि हमें गर्मी से बचाता है जिस जगह हम बैठकर अपना काम करते हैं वहां ठंडक बनी रहती है. पंखे का इस्तेमाल सदियों पुराना है जो आज भी ज्यादातर घरों में उपयोगी है, हालांकि आजकल कूलर और एयरकंडीशन होने की वजह से इसका इस्तेमाल कम हो गया है लेकिन मिडिल क्लास फैमिली और कई जगहों पर पंखा आज भी शान से लगा हुआ है और इस्तेमाल होता है. आम जगहों की तरह भारतीय संसद में भी सीलिंग फैन का इस्तेमाल होता है लेकिन यहां कि एक अजीब बात ये है कि यहां पंखे साधारण तौर पर नहीं लगे हैं. संसद भवन में क्यों लगते हैं उलटे पंखे, इसके पीछे का राज भी कुछ खास और दिलचस्प है, जिसे हर भारतीय को जरूर पता होना चाहिए.
संसद भवन में क्यों लगते हैं उलटे पंखे
अगर आपने भारतीय संसद का कोई भी वीडियो या न्यूज चैनल पर दिखाए गए संसद को ध्यान से देखा होगा तो आपने एक बात शायद ही गौर की हो. यहां पर पंखे संसद के छत पर या सीलिंग के तौर पर नहीं बल्कि कुछ खंबे बनाकर उनपर उल्टे लगाए गए हैं, ऐसा करने की क्या वजह रही होगी. अब आप इन बातों पर गौर करेंगे और सोचेंगे कि हां ऐसा देखा तो है लेकिन क्या इसे जानने की कोशिश की है ? अगर नहीं की तो आज हम आपको इससे जुड़ा एक गहरा राज बताएंगे जो बहुत ही ज्यादा दिलचस्प है. भारतीय संसद के सेंट्रल हॉल में जो बड़े-बड़े पंखे उल्टे लगे हैं इसके पीछे की बात ये है कि जब ये संसद बनाई गई तो इसका गुंबद बहुत ही ऊंचा बनाया गया और सेंट्रल हॉल का गुंबग पूरे संसद का मेन प्वाउंट है. उस समय जब पंखे लगाने की बारी आई तो छत बहुत ही ऊंची होने के कारण सीलिंग फैन लगाना बहुत मुश्किल हो रहा था और फिर लंब डंडे के जरिए पंखे लगाने की बात हुई लेकिन ऐसा हो ना सका. बहुत ज्यादा लंबा डंडा लगाना भी किसी को सही नहीं लग रहा था इसलिए फिर सेंट्रल हॉल की छत की ऊंचाई को ध्यान में रखकर अलग से खंबे लगाए गए और उनपर उल्टे पंखे लगाए गए थे. ऐसा करने से संसद के कोने-कोने में हवा अच्छे से फैल जाती है और वहां बैठे लोगों को राहत मिलती है.
हालांकि बाद में वहां एसी लगाने की बात हुई लेकिन भारतीय संसद के उल्टे पंखे को ऐतिहासिक तौर पर लगे रहने की घोषणा की गई. इस ऐतिहासिकता को बनाए रखने के लिए संसद में पंखो को उल्टा रखने की बात को आज भी माना जाता है जो भारत की संसद की सबसे खास और अलग बात है.