अध्यात्म

जानिए कैसे राधा ने कहा था इस दुनिया को अलविदा और क्यों श्रीकृष्ण ने तोड़ दी थी अपनी बाँसुरी

2-3 सितम्बर को पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन यानी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे धूम-धाम से मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। जब भी प्रेम की मिसाल दी जाती है तो सबसे पहले श्रीकृष्ण और राधा का नाम लोगों की ज़ुबान पर आता है। राधा और श्रीकृष्ण के प्रेम को जीवात्मा और परमात्मा का मिलन भी कहा जाता है। यह बात किसी से छुपी हुई नहीं है कि राधा बचपन से ही श्रीकृष्ण को प्यार करती थीं। जब श्रीकृष्ण मात्र 8 सालके थे तभी दोनो ने प्रेम की अनुभूति की थी।

हर सामंत अपने पास रखते थे बाँसुरी:

उस समय राधा श्रीकृष्ण के दैविय गुणों से परिचित थीं। उन्होंने ज़िंदगी भर अपने मन में श्रीकृष्ण की प्रेम की स्मृतियों को बसाए रखा। यही दोनो के रिश्ते की सबसे बड़ी ख़ासियत है। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण को संसार में केवल दो ही चीज़ों से सबसे ज़्यादा लगाव था और दोनो चीज़ें एक दूसरे से जुड़ी हुई भी थी। पहला बाँसुरी और दूसरा राधा। श्रीकृष्ण के बाँसुरी की धन ही थी, जिसकी वजह से राधा उनकी तरफ़ खिंची चली आयी थी। राधा की वजह से श्रीकृष्ण हर समय अपनी बाँसुरी को अपने पास रखते थे।

कंस के बुलाने की वजह से हुए थे राधा से अलग:

भले ही राधा और श्रीकृष्ण का मिलन नहीं हो सका, लेकिन इसके बाद भी दोनो को बाँसुरी ने हमेशा एक सूत्र में बांधे रखा। भगवान श्रीकृष्ण के जितने भी चित्रण मिलते हैं, उसमें उनकी बाँसुरी ज़रूर होती है। बाँसुरी श्रीकृष्ण के राधा के प्रति प्रेम का प्रतीक है। वैसे तो राधा के बारे में कई कहानियाँ प्रचलित हैं, लेकिन एक कहानी हम आज उनके बारे में आपको बताने जा रहे हैं। भगवान श्रीकृष्ण राधा से पहली बार उस समय अलग हुए थे जब मामा कंस ने श्रीकृष्ण और बलराम को मथुरा बुलाया था। यह ख़बर सुनकर वृंदावन के लोग दुखी हो गए थे।

मथुरा जानें से पहले श्रीकृष्ण राधा से मिले थे। राधा श्रीकृष्ण के मन में चलने वाली हर बात को जानती थी। राधा को अलविदा कहकर श्रीकृष्ण उनसे दूर चले गए। कृष्ण राधा से यह वादा करके वृंदावन से निकले थे कि वो वापस ज़रूर आएँगे। लेकिन उसके बाद श्रीकृष्ण राधा के पास कभी नहीं आए। कृष्ण की शादी रुक्मिनी से हुई थी। श्रीकृष्ण से विवाह के लिए रुक्मिनी अपने भाई के ख़िलाफ़ चली गयी थी। राधा की तरह ही वह भी कृष्ण से प्यार करती थी। रुक्मिनी ने कृष्ण को एक प्रेम पत्र भी लिखा था, जिसमें लिखा था कि वो आए और उन्हें लेकर जाएँ। कृष्ण गए और रुक्मिनी से शादी कर ली।

सभी कर्तव्यों से मुक्त होकर गयी कृष्ण से मिलने:

कृष्ण के वृंदावन छोड़ने की वजह से राधा के बारे में बहुत काम वर्णन मिलता है। जब राधा से कृष्ण दूर जा रहे थे, उस समय राधा ने कहा था कि भले ही वह दूर जा रहे हैं, लेकिन हमेशा कृष्ण उनके साथ ही रहेंगे। मथुरा में कंस को मारने के बाद क्रिशन द्वारका चले गए। कृष्ण के वृंदावन से जाते ही राधा का जीवन बदल गया। राधा की शादी भी हो गयी और उन्होंने अपना दाम्पत्य जीवन भी निभाया और बूढ़ी हुई। लेकिन तब भी उनके मन में कृष्ण की ही मूरत बसी हुई थी। अपने सभी कर्तव्यों से मुक्त होने के बाद आख़िर में राधा कृष्ण से मिलने के लिए गयी। जब वह द्वारका पहुँची तो उन्होंने कृष्ण को रुक्मिनी और सत्यभामा से विवाह करने के बारे में सुना, लेकिन वह दुखी नहीं हुई।

महल में रहते हुए नहीं कर पा रही थी पहले जैसा जुड़ाव महसूस:

जब कृष्ण ने राधा को देखा तो ख़ुश हो गए। दोनो ने काफ़ी देर तक संकेतो में बात भी किया। राधा को वहाँ कोई नहीं पहचानता था। राधा के अनुरोध करने पर कृष्ण ने महल में उन्हें एक देविका के रूप में नियुक्त कर दिया। राधा महल में रहकर महल के कार्य करती थीं। जब भी कृष्ण से मिलने का मन करता तो वह कृष्ण से मिल भी लेती। लेकिन महल में रहते हुए राधा कृष्ण के साथ पहले जैसा जुड़ाव नहीं महसूस कर पा रही थीं। इस वजह से उन्होंने महल से दूर जाना ही बेहतर समझा। उन्होंने सोचा की दूर जाकर ही वह दुबारा कृष्ण से गहरा आत्मीय सम्बंध स्थापित कर पाएँगी।

राधा को यह पता नहीं था कि वह कहाँ जा रही हैं, लेकिन श्रीकृष्ण इसके बारे में जानते थे। समय के साथ-साथ राधा अकेली और कमज़ोर हो गयी। आख़िरी समय में उन्हें कृष्ण की आवश्यकता हुई और श्रीकृष्ण उनके सामने आ गए। कृष्ण ने कहा कि वह उनसे कुछ माँगे, लेकिन राधा ने इनकार कर दिया। दुबारा कहने पर राधा ने कहा कि वह दुबारा श्रीकृष्ण को बाँसुरी बजाते हुए देखना चाहती हैं। कृष्ण ने सुरीली धुन में बाँसुरी बजाना शुरू किया। कृष्ण ने दिन-रात बाँसुरी बजायी, जब तक राधा आध्यात्मिक रूप से श्रीकृष्ण में विलीन नहीं हो गयी। बाँसुरी सुनते-सुनते ही राधा ने अपना देह त्याग दिया।

भगवान श्रीकृष्ण जानते थे कि उनका प्रेम अमर है, लेकिन वह राधा की मृत्यु को बर्दाश्त नहीं कर पाए। श्रीकृष्ण के प्रेम के प्रतीक के रूप में अपनी बाँसुरी को तोड़कर वहीं झाड़ी में फेंक दिया। उसके बाद श्रीकृष्ण ने जीवनभर बाँसुरी या कोई अन्य वादक यंत्र नहीं छुआ। कहा जाता है कि जब द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने नारायण का जन्म लिया था तब राधा ने माता लक्ष्मी के रूप में जन्म लिया था, ताकि मृत्यु लोकि में भी दोनो-साथ-साथ रह सकें।

Back to top button
https://ndi.fda.moph.go.th/
https://bemfh.ulm.ac.id/id/ https://newstrend.news/swen/ https://rentohotels.com/ https://whlconsultants.com/ galaxy77bet
slot gacor slot demo
https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/200/ https://www.lifebeyondcertificate.com/wp-includes/scatter-hitam/
https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/thailand/ https://komunitas.bobotoh.id/wp-content/dana/
https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/oneplay77gala/ https://heylink.me/turbobet77login/ https://heylink.me/mustang77pro/ https://heylink.me/galaxy77betpro/ https://heylink.me/marvel77game/ https://heylink.me/taipan77login/ https://heylink.me/republik77alter/ https://heylink.me/binjaiplay77-login/ https://heylink.me/dutaslot77-loginn/ https://heylink.me/doremiplay77-login/ https://heylink.me/slotnesia77-loginn/ https://heylink.me/mandala77_login/ https://heylink.me/arenaslot77_login/ https://heylink.me/arenabet77-login/ https://heylink.me/Sultanbet77.daftar/ https://heylink.me/sultanplay77.login/ https://heylink.me/marina77game/ https://heylink.me/kotacuanplay/ https://heylink.me/play77betpro/ https://heylink.me/tokofun/ https://heylink.me/fun77betpro/ https://heylink.me/captain77warrior/ https://heylink.me/Jaguar77pro/ https://heylink.me/thebestmustang77/ https://heylink.me/tokoholyplay/ https://heylink.me/rukocuan/ https://heylink.me/indopedia77pro/ https://heylink.me/tokoindofun17/ https://heylink.me/sultanbet77gaming/ https://heylink.me/sultanplay77gaming/ https://heylink.me/oneplay77alternatif/ https://heylink.me/marina77maxwin/ https://heylink.me/play77alternatif/ https://heylink.me/cukongplay77gaming/ https://heylink.me/playwin77-/ https://lynk.id/play77new https://lynk.id/fun77new https://lynk.id/captain77 https://lynk.id/jaguar77new https://lynk.id/mustang77new https://lynk.id/indopedia77new misteritogel galaxy77bet galaxy77bet https://104.219.251.144/ https://www.incolur.cl/ galaxy77bet galaxy77bet https://galaxy77bet-jaya.com/ https://138.68.164.8/ https://137.184.36.152/ https://139.59.119.229/
https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/thai/ https://www.nuovamazzucchelli.com/wp-content/xgacor/ https://www.mscba.org/hitam/ https://www.priboi.news/wp-includes/thailand/ https://www.tecnocontrol.cl/ https://www.quiporte.it/ https://www.mariscosgontelo.com/ https://presensi.upstegal.ac.id/ https://perpus.stik-sintcarolus.ac.id/ http://rengo921.lionfree.net/ https://www.desmaakvanitalie.nl/thailand/ https://b-happyrealisatie.com/ https://b-smartfundering.com/ http://context2.ai/ slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor slot gacor https://www.mmsu.edu.ph/storage/uploads/xgacor/ https://alumni.mmsu.edu.ph/storage/uploads/hitam/ https://sas.mmsu.edu.ph/storage/uploads/thailand/ https://ieg.mmsu.edu.ph/storage/uploads/pulsa/
slot gacor slot thailand slot thailand slot gacor maxwin scatter hitam slot gacor slot demo slot demo https://officialstore.it.com/