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5 कहान‌ियां जो बताती हैं क्यों पत‌ि अपनी पत्नी से डरते हैं

why wife dominate in house story of puran

मंत्री हों या पुल‌िस, अध‌िकारी हों या मुलाज‌िम आप भले ही घर के बाहर अपना प्रभाव और ताकत द‌िखालें लेक‌िन घर में आते ही आपका प्रभाव और आपकी ताकत कम हो जाती है क्योंक‌ि वहां आपकी पत्नी मौजूद होती है ज‌िनकी ताकत के आगे आपकी एक नहीं चलती है। ऐसी बातें अक्सर लोग एक दूसरे से करते हैं और इस व‌िषय पर बहुत से चुटकले और जोक्स भी बने हैं। इन सबकी वजह क्या है आपने कभी सोचा है। दरअसल इन सबके पीछे पांच पौराण‌िक कहान‌ियां हैं ज‌िनमें इस प्रश्न का उत्तर छुपा हुआ है।
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सृष्ट‌ि में स्‍त्र‌ियों को उत्पन्न करने वाले भगवान भोलेनाथ माने जाते हैं। इन्होंने अर्धनारीश्वर का रूप धारण कर सृष्ट‌ि में स्‍त्री को उत्पन्न क‌िया और जब उस स्‍त्री को पत्नी रूप में स्वीकार क‌िया तब उन्हें स्‍त्री की शक्त‌ि का बोध हुआ। स्‍त्री की शक्त‌ि का अंदाजा भगवान श‌िव को तब हुआ जब सती को उन्होंने मायके जाने से मना क‌िया। क्रोध‌ित होकर सती ने व‌िकराल रूप धारण क‌िया और 10 महाव‌‌िद्याओं को उत्पन्न क‌िया ज‌िसने श‌िव जी पर आक्रमण कर द‌िया। दस महाव‌िद्याओं से बचने के ल‌िए अंत में श‌िव जी को सती की शरण में आना पड़ा। यानी भगवान श‌िव और सती ने इस बात को तय कर द‌िया क‌ि पत‌ि पर हमेशा पत्नी का राज रहेगा।
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भगवान श‌िव ही नहीं पत्नी का प्रभाव बैकुंठ में भी द‌िखता है। भगवान व‌िष्‍णु की पत्नी देवी लक्ष्मी यूं तो हमेशा व‌िष्‍णु भगवान के पैर दबाते हुए द‌िखती हैं लेक‌िन एक बार दुर्वाशा ऋष‌ि के शाप के कारण नाराज होकर देवी लक्ष्मी बैकुंठ छोड़कर अपने मायके सागर में चली गई। इसके बाद देवलोक सह‌ित बैकुंठ में भी अधेरा छा गया। बैकुंठ का वैभव समाप्त हो गया। इसके बाद सागर मंथन करने पर देवी लक्ष्मी पुनः प्रकट हुई और फ‌िर व‌िष्‍णु ने कभी देवी लक्ष्मी को नाराज करने का जोख‌िम नहीं उठाया। कहते हैं हर स्‍त्री में देवी लक्ष्मी का वास होता है जो गृहलक्ष्मी कहलाती है। यह जानती है क‌ि इनके कारण ही घर में सुख शांत‌ि है इसल‌िए यह अपनी ताकत का लोहा मनवाकर रखती हैं।
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श‌िव और व‌िष्‍णु जब पत्नी की ताकत को स्वीकार करते हैं तो भला ब्रह्मा जी इससे कैसे बच सकते हैं। त्र‌िदेवों में सृष्ट‌ि कर्ता के पद पर व‌िराजमान ब्रह्मा जी देवी सरस्वती की सत्ता को स्वीकार करते हैं। क्योंक‌ि एक बार पुष्कर में ब्रह्मा जी ने यज्ञ का आयोजन क‌िया और देवी सरस्वती के यज्ञ स्‍थल तक पहुंचने में समय लग गया तो गायत्री नाम की कन्या से व‌िवाह कर ल‌िया। देवी सरस्वती ने जब ब्रह्मा के साथ गायत्री को देखा तो ब्रह्मा जी को शाप दे द‌िया क‌ि आपकी पूजा कहीं नहीं होगी और रुठकर रत्नाग‌िरी पर्वत पर चली गई। यहां देवी सरस्वती की साव‌ित्री रूप में पूजा होती है। यानी पत्‍नी रुठी तो सब रुठे इसल‌िए पत्‍नी को मनाए रखने में ही पत‌ि अपनी भलाई मानते हैं।

 

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देवी सती ने जब पार्वती के रूप में पुनर्जन्म ल‌ेकर भगवान श‌िव से व‌िवाह क‌िया तब भगवान श‌िव के सामने संतान प्राप्त‌ि की इच्छा प्रकट की। भगवान श‌िव ने देवी पार्वती की इस इच्छा को पूरा करने से मना कर द‌िया और कैलाश से चले गए। देवी ने तब अपनी इच्छा पूरी करने के ल‌िए अपने शरीर के उबटन से एक बालक का न‌िर्माण क‌िया और उसमें प्राण डाल द‌िया। यहां देवी पार्वती ने इस बात को साब‌ित कर द‌िया क‌ि उन्हें अपनी चाहत पूरी करने के ल‌िए क‌िसी की खुशामद करने की जरूरत नहीं है। इस तरह देवी पार्वती ने अपनी शक्त‌ि का पर‌िचय देकर श‌िव को चौंका द‌िया और अंत में श‌िव को देवी के सामने झुकना पड़ा। यानी स्‍त्री चाहे तो अपनी चाहत को अपने बल पर पूरा करने की ताकत रखती है यह बात पुरुष मन अच्छी तरह जानता है इसल‌िए स्‍त्री शक्त‌ि के आगे हमेशा स‌िर झुकाता है।

 

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ज‌िन शन‌ि महाराज से पूरी दुन‌िया डरती है उन्हें भी क‌िसी से डर लगता है तो वह हैं उनकी पत्नी। इसल‌िए ज्योत‌िषशास्‍त्र में बताया गया है क‌ि शन‌ि के भय से मुक्त‌ि चाह‌िए तो इनकी पत्‍नी की पूजा क‌ीज‌िए। इनकी पत्‍नी के नाम का जप शन‌ि के कोप से मुक्त‌ि द‌िलाने में बहुत ही कारगर माना गया है। इसकी वजह है क‌ि शन‌ि महाराज की वक्र दृष्ट‌ि भी उनकी पत्नी के शाप का पर‌िणाम है। इस संदर्भ में कथा है क‌ि एक बार शन‌ि महाराज ने पत्‍नी की इच्छा का अनादर क‌िया ज‌िससे पत्नी क्रोध‌ित हो गई और शाप दे द‌िया क‌ि आप ज‌िसे देखेंगे उसका व‌िनाश हो जाएगा। श‌िव की कृपा से इस शाप में कमी आई और शन‌ि की वक्र दृष्ट‌ि ही व‌िनाशकारी रह गई। यानी पत्‍नी जब क्रोध‌ित होती है तो व‌िनाशकारी बन जाती हैं इसका एक उदाहरण देवी काली भी हैं।

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