नासा ने जारी की केरल में आई विनाशकारी बाढ़ की तस्वीरें, जानिए क्या था तबाही का कारण
केरल राज्य अपने सबसे विनाशकारी दौर से गुजर रहा है। राज्य में आए भीषण बाढ़ के बाद केरल में चारों ओर विनाश का मंजर है। इस प्राकृतिक आपदा की वजह से लाखों लोग बाढ़ की चपेट में आकर बर्बाद हो गए। कईयों की जानें चलीं गईं, तो लाखों की संख्या में लोग विस्थापित भी हो गए। बाढ़ की भयंकर चपेट में आए कुछ लोग अभी भी राहत कैंप में गुजर बसर कर रहे हैं।
पूरा राज्य लगभग ध्वस्त हो गया है। जिससे सड़कों से लेकर मकानों तक पानी की चपेट में आकर खत्म हो गए हैं। हर जगह कचरा और मलबा ही दिखाई दे रहा है। इसे साफ करने के लिए राज्य में विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसी बीच अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने बाढ़ के पहले और बाढ़ के बाद की तस्वीरें जारी की हैं। नासा का मानना है कि केरल में बांध के पानी ने बाढ़ को और भीषण बना दिया है।
नासा द्वारा पहली तस्वीर जो ली गई है वो 6 फरवरी की है। जो लैंडसेट 8 सेटेलाइट पर अॉपरेशनल इमेजर द्वारा ली गई है। जिसमें केरल की वेम्बानद लेक, कोट्टयम, अलपुज्झा के बांधों में पानी दिख रहा है। जबकि बाढ़ के बाद की तस्वीर यूरोपियन स्पेस एजेंसी की सेंटीनेल-2 सेटेलाइट पर मल्टी स्पेक्ट्रल इस्ट्रूमेंट के जरिए ली गई है। और दोनों ही चित्रों में जो बाढ़ के पहले और बाढ़ के बाद की है। अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है।
6 फरवरी वाली तस्वीर में बांधों, झीलों और नदियों में पानी का जमाव दिख रहा है और समुद्र के आस पास का इलाका भी हरा भरा लग रहा है। वहीं 22 अगस्त की तस्वीर में बाढ़ में पूरी तरह से डूबा केरल नजर आ रहा है जिसमें पूरे केरल में सिर्फ पानी ही पानी दिख रहा है। इस चित्र में झीलें, नदियां और जमीन सब आपस में मिली जुली सी दिख रही है।
दूसरी तस्वीर में साफ देखा जा सकता है कि करूवन्नूर नदी का पानी आस पास के 50 गांवों में फैला रहा है। और जमीन, सड़कें सब बर्बाद हो गई हैं। इसमें पेरियार नदी का पानी साफ दिख रहा है जो अपनी सीमाओं को लांघता हुआ कई गांवों में घुस आया और भयानक त्रासदी दे गया। यह तस्वीर पूरी तरह से केरल में आए बाढ़ का ब्यौरा प्रस्तुत कर रहा है। और बता रहा है कि वहां किस प्रकार से प्राकृतिक आपदा और त्रासदी और तबाही का मंजर है। इस पूरे आपदा ने लाखों की जनता को प्रभावित कर उन्हें विस्थापित कर दिया।
चित्र में दिख रहा गहरा नीला रंग पूरे राज्य में बाढ़ के पानी को दिखा रहा है। वहीं हरे रंग खेत,मैदान, वनस्पति आदि को दिखा रहा है। इससे पहले अमेरिका की स्पेस एजेंसी ने दक्षिण कर्नाटक और केरल में जलवायु विकास को उत्पन्न करने में पश्चिमी घाटों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को दिखाने के लिए केरल में वर्षा के लिए कुछ सैटेलाइट्स के माध्यम से माप जारी किए गए थे।
नासा की गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर ने कहा है कि हिमालय का स्थालाकृति जलवायु के लिए बहुत अधिक प्रसिद्ध है। लेकिन भारत के पश्चिमी घाट की जलवायु दक्षिण पश्चिम तट में भारी बारिश का एक महत्वपूर्ण कारक है।