2004 का चुनाव इस वजह से हारी थी भाजपा, अटल जी को पहले ही चल गया था इसका पता लेकिन उन्होंने
जब अटल बिहारी वाजपेयी 2004 के लोकसभा चुनाव का प्रचार कर रहे थे, उसी सायं उन्हें इस बात का आभास हो गया था कि शायद यह चुनाव भाजपा हार जाए। उनके सहायक रहे शिव कुमार पारीक ने लम्बे समय तक कही। पारीक ने कहा कि वाजपेयी के समय भाजपा और कार्यकर्ताओं के बीच में जो समन्वय बना हुआ था, आज के समय में वह देखने को नहीं मिलता है। लगभग पाँच दशकों तक वाजपेयी के साथ हर सुख-दुःख में रहने वाले पारीक ने कहा कि, 2004 मी मिली हार की दो वजहें थी। पहला शाइनिंग इंडिया नारा, जो हमारे ही ख़िलाफ़ चला गया।’
पारीक ने बताया की जल्दी चुनाव कराने का फफ़ैसला भी भाजपा के हार की वजह बना था। अटल जी जल्दी चुनाव कराने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन पार्टी का फ़ैसला था कि जल्दी चुनाव कराए जाएँ। पारीक ने ख़ुलासा किया कि वाजपेयी को 2004 के अंतिम चुनाव के वोट डालने के एक दिन पहले ही यह आभास हो गया था कि शायद भाजपा हार जाए और हुआ भी यही। वाजपेयी लखनऊ चुनाव अभियान से लगभग आधी रात को वापस आए थे और शिवकुमार ने कहा था, सरकार तो गयी, हम हार रहे हैं।
लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी है भाजपा:
पारीक ने बताया कि, जब मैंने यह कहा कि हम हार नहीं सकते तो वाजपेयी ने कहा, आप कौन सी दुनिया में जी रहे ओ? में लोगों के बीच प्रचार अभियान चलाकर आ रहा हूँ। भाजपा एक बार फिर सत्ता में है और 2019 में लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस के बैठी हुई है। जब शिवकुमार से पूछा गया कि मोदी सरकार का कामकाज आपको कैसा लग रहा है? और क्या वह वाजपेयी के दिखाए रास्ते पर ही चल रही है? इसके जवाब में पारीक ने कहा, यह एक राजनीतिक सवाल है। जब में किसी की तारीफ़ करता हूँ तो खुले दिल से करता हूँ और जब किसी की आलोचना करता हूँ तो उसे भी खके तरीक़े से ही करूँगा।
अटल जी के रास्ते पर चलने का मतलब उनकी तरह ज़िंदगी जीन, हर किसी के साथ उन्ही की तरह व्यवहार करना, जैसे उन्होंने प्रधानमंत्री के तौर पर काम किया, ठीक उसी तरह काम करना। मुझे उम्मीद है कि मोदी उस रास्ते पर चलेंगे। पारीक ने कहा कि यह वाजपेयी की ही देन है जिस वजह से भाजपा ने ना केवल 2014 में आधी से ज़्यादा सीटों पर क़ब्ज़ा किया बल्कि पहली ऐसी ग़ैर कांग्रेस पार्टी बनी, जिसने अपने दम पर पूर्ण बहुमत हासिल किया। आपको बता दें केंद्र के अलावा भाजपा इस समय 19 राज्यों में क़ाबिज़ है। अगर नींव मज़बूत हो तो ढाँचा भी स्थायी रहेगा।
आज ग़ायब हो चुका है भाजपा कार्यकर्ताओं में समन्वय:
जब पारीक से यह सवाल पूछा गया कि क्या देश दूसरा वाजपेयी देख सकता है तो शिवकुमार पारीक ने कहा कि, मेरा मानना है कि एक शिल्पकार किसी भी मूर्ति की रचना कर सकता है। चाहे वह किसी भी देवी-देवता की हो। लेकिन लोग उसके सामने तब तक सिर नहीं झुकाएँगे जब तक उसे मंदिर में स्थापित ना किया जाए। अटल जी ने कार्यकर्ताओं के साथ यही किया। वर्तमान समय में किसी के अंदर भी ऐसी क्षमता नहीं है। वाजपेयी के समय पार्टी कार्यकर्ताओं में जो समन्वय देखने को मिलता था, आज वह ग़ायब हो चुका है। मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है और वाजपेयी की पहलों को आगे ले जा रही है। 2019 में देश के लोग इस सरकार का फ़ैसला करेंगे।