जानिये आख़िर इस बकरे में ऐसी क्या ख़ास बात है कि इसके मालिक ने 65 लाख में भी नहीं बेचा बकरे को
हाल ही में मुस्लिम समुदाय का दूसरा सबसे बड़ा त्योहार बक़रीद बीती है। बक़रीद के दिन लोग अपने-अपने हिसाब से क़ुर्बानी के लिए बकरे ख़रीदते हैं। इसी बीच देहरादून के अमीर अहमद का प्रिय मोनू चर्चा का विषय बना रहा। आपकी जानकारी के लिए बता दें मोनू कोई और नहीं बल्कि अमीर के बकरे का नाम है। आपको जानकर हैरानी होगी कि मोनू की क़ीमत बकरे वाली मंडी में एक ख़रीदार ने 65 लाख तक लगा दी थी, लेकिन अमीर 80 लाख से कम में बकरे का सौदा करने के लिए तैयार ही नहीं थे।
बकरे को देखने के लिए घर पहुँच रहे हैं इमाम:
अब आप यह सोच रहे होंगे कि आख़िर अमीर ने इतनी बोली लगने के बाद भी अपने बकरे को क्यों नहीं बेचा। तो आपकी जानकारी के लिए बता दें यह बकरा बहुत ही ख़ास है। इस बकरे की ख़ासियत यह है कि इसके शरीर पर एक तरफ़ अरबी में अल्लाह और मुहम्मद उभरा हुआ है, जबकि दूसरी तरफ़ फ़ातिमा लिखा हुआ है। जानकारी के अनुसार देहरादून के कारगी चौक निवासी 66 साल के अमीर कहते हैं कि मोनू कोई साधारण बकरा नहीं है। यह अल्लाह की नेमत है। अमीर ने बताया कि उसके बकरे को देखने के लिए इमाम भी उसके घर पहुँच रहे हैं।
मंगलवार को अमीर मोनू को लेकर आइएसबीटी के पास लगी बकरा मंडी गए थे। उस समय मोनू बकरा मंडी में आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। अमीर ने बताया कि मोनू के शरीर पर पहले चाँद जैसी आकृति बनी और फिर यह बदल गयी। अमीर के अनुसार उनके बकरे का वज़न 48 किलोग्राम है। यह बकरा परवरी प्रजाति का है। अमीर ने बताया कि अभी बकरे की उम्र पौने दो साल है। जब उसका जन्म हुआ था उस समय फज्र की अजान हो रही थी। पहले मोनू के शरीर पर केवल गहरी भूरी पट्टियाँ थीं।
मोनू के शरीर पर बन गया चाँद:
कुछ महीने पहले ही उसके शरीर में बदलाव होना शुरू हुआ। पहले चाँद की आकृति बनी और फिर बदल गयी। रमज़ान पर एक हाफ़िज़ उसके घर आए तो उन्होंने बताया कि यह कोई आम बकरा नहीं है। इसके शरीर पर अरबी में अल्लाह और मोहम्मद लिखा हुआ है। यह सुनकर सब हैरान हो गए। अमीर के अनुसार सप्ताह भर पहले ही मोनू के बायीं तरफ़ अरबी में फ़ातिमा भी उभर आया। ईदगाह और जामा मस्जिद के उपाध्यक्ष नसीम अहमद ने बताया कि इस्लामिक साल के अंतिम महीने में इदुल हिज्ज की दसवीं तारीख़ को यह पर्व मनाया जाता है।
हज़रत इब्राहिम ने एक दिन सपना देखा, जिसमें अल्लाह ने उनसे उनकी सबसे प्यारी चीज़ को क़ुर्बानी करने को कहा। इसपर हज़रत ने सोचा कि वह अपने इकलौते बेटे को अल्लाह को क़ुर्बान कर देते हैं। बेटे को क़ुर्बान करने के लिए वह मक्का के नज़दीक मीना नामक स्थान पर पहुँचे। बेटे इस्माइल ने पिता इब्राहिम की आँखों पर पट्टी बँधवा दी। हज़रत इब्राहिम ने बेटे के ऊपर छुरियाँ चलनी शुरू की, लेकिन बेटे को कुछ भी नहीं हुआ। जब हज़रत इब्राहिम ने पट्टी खोलकर देखा तो वहाँ इस्माइल की जगह एक डुबां रखा हुआ था, जिसकी इब्राहिम ने क़ुर्बान कर दिया था। अल्लाह बस हज़रत इब्राहिम का इम्तिहान ले रहे थे।