स्वीडन के रहने वाले इस जोड़े ने हिदू- रीति रिवाज से वाराणसी में लिए सात फेरे!
वैसे तो हिन्दू धर्म, भारत के अलावा नेपाल और कुछ देशों में थोड़ा- बहुत माना जाता है। लेकिन पिछले कुछ सालों में हिन्दू धर्म की लोकप्रियता वैश्विक स्तर पर बढ़ती ही जा रही है। दुनियाँ के कुछ ऐसे देश है, जहाँ के लोग बकायदा धर्म की नगरी वाराणसी ने धर्म की शिक्षा लेने के लिए आते हैं। कुछ लोग तो यहाँ आने के बाद यहाँ की संस्कृति से इतने प्रभावित होते हैं, कि यहीं के होकर रह जाते हैं। कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जो हिन्दू धर्म में इतने रम जाते हैं कि हिन्दू धर्म के रीति- रिवाजों से ही अपनी शादी भी करते हैं। हाल ही में वाराणसी में एक ऐसा ही उदहारण देखने को मिला है। इस अनोखी शादी में दूल्हा और दुल्हन दोनों स्वीडन के रहने वाले थे।
माँ गंगा के सामने एक वादा किया था
दरअसल दोनों ने कुछ समय पहले माँ गंगा के सामने एक वादा किया था, जिसे पूरा करने के लिए दोनों स्वीडन से भारत आये हुए थे। इन दोनों ने वाराणसी में माँ गंगा के सामने एक दुसरे को अपना सबकुछ मानते हुए अपने नए जीवन की शुरुआत की। उनकी इस शादी में विदेशी मेहमानों के साथ- साथ कई भारतीय लोग भी शामिल हुए थे।
आपको बता दें कि दोनों की शादी पूरी तरह से हिन्दू धर्म और रीति- रिवाजों के साथ हुई। दूल्हा बने निकोलस की बारात वाराणसी के अस्सी घाट से निकाली गयी थी। अस्सी घाट से बारात पास में स्थित शिव मंदिर तक गयी थी। लेकिन यह बारात तब और मजेदार और अलग हो गयी जब बारात में दुल्हन टिल्डा भी शामिल हो गयीं। दोनों ने मिलकर खूब नाचा और धमाल मचाया।
दो साल पहले माँ गंगा के सामने एक दुसरे से शादी करने का वादा किया था
आपको बता दें कि इन दोनों ने लगभग दो साल पहले माँ गंगा के सामने एक दुसरे से शादी करने का वादा किया था, जो अब जाकर पूरा हुआ है। इन जोड़ों ने शिव मंदिर के परिसर में सप्तवदी के सात फेरों के संस्कारों के जरिये एक दुसरे से सात जन्मों के बंधन में बंध गए।
निकोल और टिल्डा दोनों स्वीडन के रहने वाले हैं। कुछ साल पहले वाराणसी की कला और संस्कृति पर शोध करने के लिए टिल्डा स्वीडन से वाराणसी आयी हुई थी। यहीं पर उसकी मुलाकात निकोलस से हुई थी। धीरे- धीरे दोनों दोस्त बन गए और कुछ समय बाद दोनों एक दुसरे के प्यार में पड़ गए। इसके बाद दोनों ने माँ गंगा के सामने दो साल पहले शादी का वादा किया और अब दोनों ने शादी भी कर ली।