इस देश में दी जाती है ‘डबल मीनिंग’ की ट्रेनिंग, स्टूडेंट्स में होता है मुकाबला
हर दोस्तों के समूह में एक ना एक ऐसा व्यक्ति जरूरी होता है जिसे डबल मीनिंग वाले जोक समझ ही नहीं आते. जब उन्हें समझाया जाता है तब वे समझते हैं. डबल मीनिंग का दायरा बहुत ज्यादा बड़ा होता है, जिसे समझने के लिए इंसान के अंदर एक हाई आई क्यू होना चाहिए. हमारे देश में आज के यूथ डबल मीनिंग में ज्यादा बात करना पसंद करते हैं और पहले की बॉलीवुड फिल्मों में कहीं ना कहीं डबल मीनिंग का रस पाया जाता है. जिसे शायद उस समय का दर्शक नहीं समझ पाता था लेकिन आज के यूथ बखूबी समझते हैं. भरी सभा में कोई एक डबल मीनिंग पर आधारित चुटकुला सुना देता है, उनमें से कोई मुंह दबाकर हंसते हैं तो कुछ यही सोच रहे होते हैं कि इसमें ऐसा क्या था हंसने वाला. मगर दुनिया में एक ऐसी भी जगह है जहां डबल मीनिंग पढ़ाई जाती है. इस देश में दी जाती है ‘डबल मीनिंग’ की ट्रेनिंग, और यहां पढ़ने वाले हर स्टूडेंट का आई क्यू बहुत हाई है.
इस देश में दी जाती है ‘डबल मीनिंग’ की ट्रेनिंग
नॉर्थ अमेरिका का एक देश है मैक्सिको, जहां पर भारत जैसा ही मस्त मौला रहने वाले लोग रहते है. यहां लोग बातों से एक-दूसरे को हंसाते हैं और यहां भी वल्गर बातों को खुलकर नहीं बल्कि इशारों में लोग करते हैं वहां ऐसी बातें करने को एल्बर कहा जाता है. वहां का एल्बर ऐसा चलन है जिसमें कई सारे मायने समाए होते हैं और इसे जानने वाला शब्दों का बाजीगर या हीरो से कम नहीं होता. यहां लोग गाली भी इशारों में या किसी ना किसी कोड में देते हैं. यहां डबल मीनिंग का प्रचलन इतना बढ़ गया है कि यहां उसका एक मुकाबला भी कराया जाता है और जीतने वाले को एल्ब्यूरेरोस यानी डबल मीनिंग का उस्ताद कहलाता है. मैक्सिको की राजधानी मैक्सिको सिटी में डबल मीनिंग की बहुत सी कोचिंग चलाई जाती है और इसपर डिप्लोमा भी कराया जाता है. इसे वहां सशक्तिकरण का जरिया भी माना जाता है. विदेशियों से मजाक करने के लिए वहां के लोग एल्बर शब्द का इस्तेमाल करते हैं. उदाहरण के तौर पर वहां लिंग को मिर्ची कहा जाता है. इससे लोग समझ भी नहीं पाते हैं, कि सामने वाला क्या कहना चाहता है.
डबल मीनिंग का बढ़ गया है दायरा
आजकल बहुत से ऐसे भारतीय कॉमेडी सीरियल हैं जिसमें डबल मीनिंग में बातें होती हैं और जिसे कुछ दर्शक समझ नहीं पाते लेकिन बहुत से दर्शक समझ कर उस सीरियल का मजा लेते हैं. भारत में डबल मीनिंग पर आधारित बहुत सी फिल्में बनती हैं जिसमें मुद्दे सीधे बोले जाते हैं लेकिन ए ग्रेड की बहुत सी ऐसी फिल्में हैं जिन्हें डबल मीनिंग के जरिए बोली जाती है. इस मुद्दे पर बनी फिल्मों का कारोबार भारतीय सिनेमा 100 करोड़ क्लब में भी शामिल हो जाता है इसका मतलब ये होता है कि भारत में ऐसी फिल्में ज्यादा पसंद की जाती हैं.