नीले रंग के स्कूटर में नेहरू की बहन के घर क्यों गए थे अटल जी? जानिए क्या है सच्चाई
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय राजनीति के लोकप्रीय लीडर अटल बिहारी वाजपेयी जी का निधन 16 अगस्त की शाम को हो गया था. इनके निधन से लेकर अस्थि विसर्जन तक हर प्रक्रिया को भारतीय न्यूज चैनल्स पर दिखाया गया और इसके बाद कई बड़ी वेबसाइट्स और मीडिया एजेंसी उनसे जुड़ी हर छोटी-बड़ी बात को अपनी जनता के साथ शेयर कर रही है. अटल जी की अंतिम यात्रा में हजारों लोग सड़क पर उतर आए थे और उनके शोक में पूरा देश डूब गया था. अटल जी से जुड़े किस्से लोग जानना चाह रहे हैं उन्ही किस्सों में एक है नीली स्कूटर की किस्सा. जिससे अटल जी का बहुत ज्यादा लगाव था जो उनके दोस्त नरेंद्र स्वरूप मित्तल की थी. मगर नीले रंग के स्कूटर में नेहरू की बहन के घर क्यों गए थे अटल जी, चलिए बताते हैं आपको इस मामले की पूरी सच्चाई.
स्व. अटल बिहारी वाजपेयी बहुत ही साधारण जीवन व्यतीत करते थे और वैसे ही उनके शौक भी रहा करते थे. अटल जी को नीले रंग की स्कूटर से बहुत ज्यादा लगाव था, वो लगाव इतना गहरा था कि वे उसे चलाने के लिए दिल्ली से खास उत्तराखंड की राजधानी देहरादून पहुंच जाते थे. देहरादून में उनके परम मित्रों में एक नरेंद्र स्वरूप मित्तल का घर था, उनके पास ही उस समय का सबसे लोकप्रिय स्कूटर विस्पा हुआ करता था. अटल जी देहरादून पहुंचकर उसे दूर-दूर तक चलाने के लिए निकल पड़ते थे. उन्हें वो स्कूटर इतना पसंद था कि वे उस स्कूटर को लेकर निकल जाते और पूरा शहर घूमा करते थे. ऐसा लोग बताते हैं कि अटल दी और नेहरू जी के घर ताल्लुख अच्छे हुआ करते थे और वे पंडित नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी से मिलने के लिए उनके घर उसी स्कूटर से जाते थे. अटल जी का ये अंदाज सभी को बहुत ज्यादा पसंद आता था और वे उस स्कूटर के साथ ऐसे खुश होते थे मानों वो कोई दो पहियों की सवारी नहीं कोई एयरकंडीशन कार हो.
नरेंद्र स्वरूप मित्तल के बेटे पुनीत मित्तल बताते हैं उन्होंने उस स्कूटर को आज भी संभाल कर रखा हुआ है. लगभग 54 साल पुराना वो स्कूटर अब बनना भी बंद हो गया है फिर भी हाल ही में उन्होने उसे फिर से नया बनवा लिया और उस समय उस स्कूटर की कीमत 25 हजार रुपये थी.
25 दिसंबर, 1924 को ग्वालियर में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी के तीन भाई और तीन बहने थीं. उनके पिता शिक्षक थे और वे मूलरूप से उत्तर प्रदेश से थे. अटल की ने शुरुआती पढ़ाई ग्वालियर से की लेकिन आगे की पढ़ाई उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज को चुना था. इसके बाद वे राजनीति में आ गए उस दौरान वे तीन बार प्रधानमंत्री, एक बार विदेश मंत्री और भाजपा के अध्यक्ष के पद को संभाला था. अटल जी हमेशा देश हित की बात करते थे और कभी किसी से कोई दुश्मनी नहीं रखते थे, विपक्ष के साथ भी अच्छे से बात करते थे और सबके मन को मोह लेते थे.