इस मंदिर के चमत्कार को देखकर विज्ञान भी है हैरान, नदी के पानी से जलता है दिया
हमारे भारत देश में ऐसे-ऐसे मंदिर मौजूद हैं जिनकी विशेषता और उनके रहस्य को जानकर लोगों का दिमाग चकरा जाता है यहां तक कि वैज्ञानिकों ने भी इन मंदिरों के चमत्कारों के आगे अपने घुटने टेक दिए हैं आज तक वैज्ञानिक भी इनके रहस्य के बारे में पता नहीं लगा पाए हैं एक ऐसा ही मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है जिसके चमत्कार के आगे सभी लोगों की आंखें खुली की खुली रह जाती है इस मंदिर में जो दिया जलाया जाता है वह तेल या घी से नहीं जलता है बल्कि नदी के पानी से वह दिया जलता है इस मंदिर के चमत्कार को देखकर लोगों की श्रद्धा और भी अधिक बढ़ गई है।
दरअसल, मध्यप्रदेश के गड़ियाघाट माता जी के मंदिर को अनोखी घटना के लिए जाना जाता है मालवा जिले के तहसील मुख्यालय नलखेड़ा से लगभग 15 किलोमीटर दूर ग्राम गड़िया के पास प्राचीन गड़ियाघाट वाली माता जी का मंदिर मौजूद है इस मंदिर के पुजारी ने बताया है कि इस मंदिर में पिछले 5 सालों से मंदिर का दिया पानी से जल रहा है इस मंदिर के मुख्य पुजारी बचपन से ही इस मंदिर में पूजा पाठ करते आ रहे हैं परंतु पिछले 5 सालों से इस मंदिर में देवी माता का चमत्कार देखने को मिल रहा है कालीसिंध नदी के किनारे बने इस मंदिर में दीपक जलाने के लिए किसी तेल या घी की आवश्यकता नहीं पड़ती है इस मंदिर का दिया सिर्फ पानी से ही जलता है इस मंदिर के चमत्कार को देखने के लिए लोग दूर दूर से लाखों की संख्या में यहां पर आते हैं इस मंदिर के चमत्कार को देखते हुए लोगों की श्रद्धा और टूट हो गई है और सोशल मीडिया पर भी यह काफी तेजी से वायरल हो रहा है पिछले 50 सालों से इस मंदिर का दिया पानी से जलाया जाता है।
इस मंदिर के अद्भुत चमत्कार और यहां के पानी से जलने वाले दिए के पीछे भी एक कहानी है ऐसा बताया जाता है कि पहले इस मंदिर में हमेशा तेल का दिया जलाया जाता था परंतु लगभग 5 साल पहले वहां के पुजारी के सपने में माता ने दर्शन दिए थे तब माता ने पुजारी से कहा था कि दीपक जलाने के लिए पानी का इस्तेमाल करें तब पुजारी सुबह उठकर वहां पर स्थित कालीसिंध नदी से पानी लेकर आए और उस पानी को दिए में डाला दीए में रखी हुई रुई के पास जैसे ही जलती हुई माचिस लगाई गई वैसे ही ज्योति जलने लगी इस चमत्कार को देखकर वहां का पुजारी घबरा गया और लगभग 2 महीने तक पुजारी ने इसके बारे में किसी को कुछ भी नहीं बताया था जब पुजारी ने वहां के लोगों को इस बात की जानकारी दी तो किसी को भी विश्वास नहीं हुआ था लेकिन जब पुजारी ने दिए में पानी डालकर उसको जलाया तो दिया जल उठा उसके बाद पूरे गांव में इस चमत्कार की चर्चा फैल गई थी तब से आज तक इस मंदिर में कालीसिंध नदी के पानी से ही दिया जलता है।
इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है कि जैसे ही पानी दीपक में डाला जाता है तो वह चिपचिपा तरल पदार्थ में अपने आप बदल जाता है और दीपक जलने लगता है बरसात के मौसम में इस मंदिर का दिया नहीं जलता है क्योंकि बरसात के मौसम में कालीसिंध नदी के पानी का स्तर बढ़ने की वजह से मंदिर पानी में डूब जाता है जिसकी वजह से यहां पर पूजा पाठ करना संभव नहीं है इसके बाद सितंबर अक्टूबर में आने वाली नवरात्रि के पहले दिन दोबारा यहां का दीपक जला दिया जाता है और अगले बारिश तक यह ऐसे ही चलता रहता है।