लाल किले से पीएम मोदी की स्पीच : चुनाव पर रहा फोकस तो कमजोर दिखा आक्रमक तेवर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वत्रंता दिवस के मौके पर बुधवार की सुबह अपने पुराने अंदाज में आक्रामक भाषण देते हुए नजर आएं। अपने वक्तव्य को लेकर जाने वाले पीएम मोदी के इस भाषण में जहां एक तरफ आक्रमकता दिखाई दे रही थी, तो वहीं दूसरी तरफ पूरे भाषण को ऐसे संजोया गया था, जैसे चुनाव पर फोकस करना हो। पीएम मोदी का शायद अब तक कोई ऐसा भाषण रहा हो, जिसमें चुनाव का अंश न रहा हो। ठीक अपने ही अंदाज में लाल किला से भारत की उपलब्धियोंं को गिनाते गिनाते आगामी चुनाव की नींव भी डाल गये। तो चलिए जानते हैं कि हमारे इस लेख में आपके लिए क्या खास है?
पीएम मोदी जिस अंदाज अपनी बात रखते हैं, उस अंदाज का हर कोई कायल है, लेकिन इस बार पहले की अपेक्षा पीएम मोदी के चेहरे पर काफी बैचेनी और अधीरता दिखाई दे रही थी। लाल किला से पीएम मोदी के इस कार्यकाल का यह आखिरी भाषण था, जिसमें उन्होंने अपनी वापसी का संकेत भी दिया। दरअसल, लाल किला से अपने इस भाषण को पीएम मोदी ने 2013 बनाम 2018 बना दिया। पीएम मोदी बार बार इस बात पर जोर देते हुए नजर आएं कि 2013 में भारत की स्थिति बेकार थी, लेकिन 2018 में भारत कामयाबियों की सीढियां चढ़ रहा है।
2014 में जब बहुमत से सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने लाल किले से अपना पहला भाषण दिया था, तब उनमें एक दृष्टि थी, वो नजर उनकी संकल्पना के भारत की, अपने वादोंं की थी, लेकिन इस बार पीएम मोदी के भाषण में भारत का जिक्र तो था, लेकिन नजरें सिर्फ चुनावों पर टिकी थी। एक अलग ही बैचेनी थी, तभी वो बार बार लाल किले से देश की जनता को यह यकीन दिलाना चाहा कि देश की प्रगति के लिए उनकी वापसी ही एकमात्र विकल्प है।
पीएम मोदी की नजर आगामी चुनावोंं पर रही
आरक्षण पर पारित बिल से अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए पीएम मोदी ने देश को अपने कार्यकाल का लेखाजोखा दिया। पीएम मोदी ने अपनी सरकार की तमाम उपलब्धियां लाल किले से गिनाई। इस दौरान पीएम मोदी का विशेष ध्यान इस तरफ भी था कि किन राज्योंं में चुनाव है। यही वजह है कि लाल किले से वो राजस्थान और मध्यप्रदेश का नाम लेना नहीं भूले। मध्य प्रदेश और राजस्थान में महिला सुरक्षा पर बात करते हुए पीएम मोदी ने आगामी विधानसभा चुनाव का लाल किले बिगुल बजा दिया।
पहले से ज्यादा हुए रक्षात्मक मोदी
पीएम मोदी अपने आक्रामक भाषण की वजह से जाने जाते हैं, जिसमें उनका तेवर लोगों को खूब पसंद आता है। जी हां, 2014 की तुलना में पीएम मोदी इस बार कुछ ज्यादा ही रक्षात्मक नजर आएं। पीएम मोदी ने इस बात का विशेष ध्यान रखा कि लाल किले से किसी भी विवादस्पद मुद्दे पर न बोला जाए। यही वजह है कि पीएम मोदी गोहत्या से लेकर गंगा की सफाई तक, पाकिस्तान से लेकर एनआरसी तक, दलित उत्पीड़न से लेकर मॉब लिंचिंग तक और नौकरियों के अवसर से लेकर किसानों की आत्महत्या तक, आदि मुद्दों पर मौन धारण करना ही उचित समझें।
खाली होता पीएम मोदी का शब्दकोश
भले ही पीएम मोदी ने अपने भाषण में अपनी सरकार की उपलब्धियोंं को गिनाते हुए नजर आएं, लेकिन उनकी बॉडी लैग्वेज में जो तेवर पहले दिखता था, वो थोड़ा सा कमजोर दिखा। पीएम मोदी शब्दों को दोहराते हुए भी पहले की तुलना में कमजोर दिखाई दिये। अपने लगभग हर भाषण में कुछ नया सपना दिखाने वाले पीएम मोदी का इस बार यह पन्ना खाली सा रह गया।
लोगोंं को थी पीएम मोदी से यह उम्मीद
महंगाई, भ्रष्टाचार और कालेधन पर सरकार की क्या उपलब्धि रही, इससे पीएम मोदी बचते हुए नजर आएं। देश की जनता को पीएम मोदी से उम्मीद थी कि वो इन मुद्दोंं पर अब क्या सोचते हैं, क्योंंकि 2014 के लोकसभा चुनाव में इन तमाम मुद्दो पर पीएम मोदी काफी आक्रामक होकर बोलते थे। हालांकि, इस दौरान पीएम मोदी अपनी सरकार की पीठ थपथापते हुए नजर आएं।