जो भी करता है इस गुफा के दर्शन वापस लौट कर कभी नहीं आता, आखिर क्यों ?
जब कभी भी भगवान शंकर जी को याद किया जाता है तो अधिकतर लोगों के दिमाग में केवल बाबा अमरनाथ या केदारनाथ का ही ध्यान आता है क्योंकि सबसे बड़ी महत्वता यहीं की मानी जाती है। किंतु आज हम आपको भगवान शिव से जुड़ी हुई एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं और इस गुफा के साथ एक ऐसा रहस्य जुड़ा हुआ है जो आज तक समझ से बाहर है और भगवान शिव का वह स्थान शिवखोड़ी है जहां पर शंकर जी अपने पूरे परिवार के साथ इस गुफा में विराजमान है। भगवान शिव के इस स्थान के बारे में बहुत ही कम लोग जानते हैं भगवान शिव का यह स्थान जम्मू के रियासी जिला में शिवखोड़ी नामक गुफा में स्थित है इस गुफा को लेकर कई प्रकार की मान्यताएं हैं जिनमें से एक मान्यता यह भी है कि इस गुफा के अंदर साक्षात शंकर जी विराजमान करते हैं और यहां के रहने वाले लोग यह बात बताते हैं कि इस गुफा का दूसरा छोर सीधा अमरनाथ गुफा की तरफ खुलता है शिवखोड़ी गुफा में शंकर जी की 4 फीट ऊँची शिवलिंग विराजमान है सबसे बड़े आश्चर्य की बात यह है कि इस शिवलिंग के ऊपर प्राकृतिक रूप से जल हमेशा गिरता ही रहता है शंकर जी के साथ पिंडी रूप में इनका समस्त परिवार भी यहां पर विराजमान है
इस गुफा के बारे में है पौराणिक कथा
आप सभी ने भस्मासुर के बारे में TV में या किसी बड़े व्यक्ति से सुना ही होगा, भस्मासुर वह व्यक्ति था जिसने भगवान शंकर जी की घोर तपस्या करके उनसे वरदान प्राप्त किया था। भस्मासुर ने भगवान शंकर जी की घोर तपस्या करी जिससे शंकर जी प्रसन्न होकर उन्हें तपस्या का फल देने वरदान के रूप में गए। तब भस्मासुर ने शंकर जी से वरदान में मांगा कि वह जिस से भी व्यक्ति के सर पर हाथ रखेगा वह जलकर राख हो जाएगा। इस वरदान के प्राप्त होने के बाद से ही उसका नाम भस्मासुर पड़ गया था। जैसे ही भस्मासुर को यह वरदान प्राप्त हुआ वह भगवान शंकर जी की तरफ उन्हें जलने दौड़ पड़े, भगवान शंकर जी और भस्मासुर के बीच घमासान युद्ध हुआ था लेकिन शंकर जी उसका वध करने में समर्थ नहीं थे। तब वह इस गुफा के अंदर आकर विराजमान हो गए थे जैसे ही महादेव इस गुफा में छुपे हुए थे।
भगवान विष्णु जी ने मोहिनी का अवतार लेकर भस्मासुर को रिझाने के लिए जा पहुंचे थे, भस्मासुर ने जैसे ही मोहिनी को देखा वह मंत्रमुग्ध हो गया और सब चीज को भूल कर मोहिनी के साथ नृत्य करने लगे। मोहिनी ने नृत्य करते करते भस्मासुर को अपने ऊपर ही हाथ रखवा दिया जिससे भस्मासुर स्वयं जलकर भस्म हो गया, फिर इसके बाद भगवान शिव जी गुफा से बाहर आए थे और उसके बाद स्वयं शंकर जी ने ही इस गुफा का निर्माण किया जो धीरे-धीरे शिवखोड़ी के नाम से विख्यात हो गया।