अध्यात्म

ग़रीबी से परेशान हो गए हैं तो करें कनकधारा स्त्रोत का पाठ, शंकराचार्य ने करवाई थी सोने की बारिश

आज के इस आर्थिक युग में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे धन प्राप्ति की कामना नहीं होती होगी। हर व्यक्ति यही चाहता है कि उसके पास इतना धन हो कि वह अपने मन की सभी इच्छाओं को पूरा कर सके। धन के अभाव में आजकल लोगों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। वहीं जो लोग धनवान हैं, उन्हें जीवन में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता है। अगर उनके जीवन में कोई परेशानी आती भी है तो वह उसे धन की मदद से दूर कर लेते हैं।

लेकिन एन निर्धन व्यक्ति के पास कोई रास्ता नहीं होता है। वह चाहकर भी अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति नहीं पा पाता है। अगर वह बीमार भी पड़ जाए तो उसके पास इतने पैसे नहीं होते हैं कि वह अपना इलाज किसी अच्छे अस्पताल में कर सके और वह छोटी बीमारी की वजह से भी तड़पता रहता है। वहीं जो लोग धनवान होते हैं वह बड़ी से बड़ी बीमारी का चुटकियों में इलाज करवा लेते हैं। इसी वजह से आज के समय में धन बहुत ज़रूरी है। कई लोग धन कमाने में अपना पूरा जीवन बिता देते हैं, लेकिन अंत तक उनके पास कुछ नहीं बचता है।

धर्मशास्त्रों में बताए गए हैं धन प्राप्ति के कई उपाय:

वहीं कुछ लोग कम मेहनत में भी बहुत सारा धन इकट्ठा कर लेते हैं। अगर आप भी धन सम्बंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं तो हिंदू धर्म शास्त्रों की तरफ़ ध्यान दें। धर्म शास्त्रों में माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने और धन प्राप्ति के कई उपाय बताए गए हैं। इन्ही में से एक है कनकधारा स्त्रोत। धर्म पुराणों में कहा गया है कि जो भी व्यक्ति कनकधारा स्त्रोत का विधि-विधान से पाठ करता है, उससे माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और धन की प्राप्ति होती है। इसकी रचना आदि शंकराचार्य ने की थी और इसकी सहायता से उन्होंने सोने की बारिश करवाई थी। उसी के बाद से धन प्राप्ति के लिए कनकधारा का पाठ किया जाता है। इसके पाठ से धन प्राप्ति के युग प्रबल होते हैं।

कनकधारा स्त्रोत पाठ की विधि:

*- सबसे पहले एक कनकधारा यंत्र और कनकधारा स्त्रोत घर ले आएँ। प्रतिदिन नियमित रूप से कनकधारा यंत्र के सामने धूप-बत्ती जलाकर कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें।

*- कनकधारा स्त्रोत का पाठ आप अपनी सुविधा के अनुसार सुबह-शाम किसी भी समय कर सकते हैं।

इस तरह से हुई थी कनकधारा स्त्रोत की रचना:

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार शंकराचार्य भोजन की तलाश में यहाँ से वहाँ भटक रहे थे। वह भिक्षा माँगने के लिए एक ग़रीब ब्राह्मण के घर गए। ब्राह्मण बहुत ही ग़रीब था इसलिए उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। उसने शंकराचार्य को भिक्षा के रूप में एक सूखा आँवला दे दिया। ब्राह्मण की दरिद्रता दूर करने के लिए शंकराचार्य ने माता लक्ष्मी से प्रार्थना की। प्रथना पूरी होते ही ग़रीब ब्राह्मण के घर में सोने के आँवले की बारिश होने लगी। तब से आदि शंकराचार्य की यह प्रार्थना कनकधारा स्त्रोत के नाम से प्रसिद्ध हो गयी।

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