जानियें कौन सी रणनीति अपना रही है मोदी सरकार चीन को भारतीय बाजार से बाहर करने के लिए!
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते तनाव बहुत पहले से ही है। इसके बावजूद भारत और चीन के व्यापारिक रिश्ते काफी अच्छे थे। अभी कुछ दिनों पहले भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में काफी खटास आ गयी। भारत और पाकिस्तान से युद्ध जैसे हालत बन रहे हैं। ऐसे में चीन का उसको खुला समर्थन देना किसी को भी खटक सकता है। जिस पल से चीन ने भारत के दुश्मन पाकिस्तान का साथ देने का फैसला किया, भारत के लोगों ने चीन के सामानों का वहिष्कार करना शुरू कर दिया है। पहले तो केवल जनता ही इस पक्ष में दिख रही थी, अब केंद्र सरकार भी चीन को भारतीय बाजार से बाहर करने के लिए, चीन की पकड़ भारतीय बाजार पर कम करने के चक्कर में है।
इसी को मद्देनजर रखते हुए मोदी सरकार ने चीन को भारतीय बाजार से दूर रखने के लिए अपनी पूरी रणनीति तैयार कर ली है। भारत सरकार चीन को उसके सामानों पर मिलने वाली एक्साइज ड्यूटी फ़ीस की छूट को कम करने की फ़िराक में है। अभी तक यह तय नहीं हुआ है कि किन- किन सामानों पर छूट कम किया जायेगा। ऐसा भारत सरकार चीन के साथ व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए कर रही है।
निगेटिव लिस्ट का बनना शुरू:
सूत्रों के अनुसार सरकार एक नेगेटिव लिस्ट बना रही है और इसमें शामिल चीजों पर कम या बिलकुल भी छूट नहीं दी जाएगी। वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि चीन का व्यापार दायरा बहुत बड़ा है। जापान भी चीन से बहुत परेशान रहता है और जहाँ तक भारत की बात है, यहाँ का बच्चा- बच्चा जनता है कि चीन पाकिस्तान के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा सरदर्द है। भारत सरकार ने यह कदम चीन के साथ बढ़ रहे व्यापार दायरे को पाटने के लिए उठाया हैं।
बढ़ रहा है चीन के साथ व्यापार दायरा:
2015-16 में भारत ने चीन को 900 करोड़ डॉलर का निर्यात किया था जबकि 6170 करोड़ डॉलर का सामान आयात किया था। आयात, निर्यात से 6 गुना से भी ज्यादा है। भारत में एक्साइज ड्यूटी का रेट का तीन स्तरीय ढाँचा है, जिसे सरकार सही करने का प्रयास कर रही है। चीन के साथ जो व्यापार में अंतर है उसे ख़त्म करने के लिए अभी सरकार के पास यही एक तरीका है।