चूहे से फैलती है यह ख़तरनाक और जानलेवा बीमारी, ऐसे करें इसकी पहचान और बचाव
जैसे-जैसे विज्ञान तरक़्क़ी कर रहा है, कुछ ना कुछ नया खोज रहा है। बीमारी भी इन्ही में से एक है। आए दिन एक नयी बीमारी के बारे में पता चल रहा है। जिस बीमारी के बारे में कल तक लोग जानते भी नहीं थे आज उस बीमारी से लाखों लोग पीड़ित हैं। इन दिनों मुंबई में लगातार बारिश की वजह से जीवन अस्त-व्यस्त तो हुआ ही है, साथ ही लोग लेप्टोस्पायरोसिस नाम की घताक बीमारी की चपेट में भी आ गए हैं। इस बीमारी की वजह से 4 लोगों ने अपनी जान भी गँवा दी है। आपकी जानकारी के लिए बता दें यह बीमारी चूहों से इंसानों में फैलती है।
लेप्टोस्पिरा नाम के बैक्टीरिया की वजह से यह जानलेवा बीमारी मनुष्यों को होती है। इंसानों के साथ ही इस बीमारी की चपेट में जानवर भी आ रहे हैं। आज हम आपको इस बीमारी की पहचान करना और इससे बचाव करने के तरीक़े के बारे में बताने जा रहे हैं। अगर आप इस बीमारी की पहचान कर पाएँगे तो आसानी से अपना बचाव कर सकेंगे।
जब कोई व्यक्ति इस ख़तरनाक बैक्टीरिया की चपेट में आता है तो उसमें तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड की वजह से माँसपेशियों में दर्द, जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके साथ ही उल्टी, पीलिया, आँखों का लाल हो जाना, पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। इसके ज़्यादातर लक्षण डेंगू से मिलते जुलते हैं।
अधिक बारिश होने की वजह से चूहों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे जीवाणुओं का फैलना आसान हो जाता है। जानकारी के अनुसार संक्रमित चूहों के मूत्र में बड़ी मात्रा में लेप्टोस्पायर्स पाया जाता है। यह बाढ़ के पानी में मिल जाता है। ख़तरनाक जीवाणु व्यक्ति के आँख, नाक या मुँह के ज़रिए शरीर में प्रवेश कर जाता है। अगर शरीर पर कहीं घाव या कटा हुआ हो तो उसके ज़रिए भी ख़तरनाक जीवाणु शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
इस तरह से करें अपना बचाव:
*- गंदे पानी से जितनी दूरी बनकर रह सकें रहें।
*- अगर आपको कहीं चोट लगी हो या कटा हो तो उसे अच्छी तरह से ढाँककर रखें।
*- पैरों में पूरे जूते और मोज़े पहनें।
*- पैरों को अच्छी तरह से साफ़ करें और तौलिए से उसे सुखाएँ। गिले पैरों में इन्फ़ेक्शन होने का ज़्यादा ख़तरा रहता है।
*- घर के पालतू जानवरों को टिका लगवाएँ। यह ख़तरनाक बीमारी जानवरों के ज़रिए भी इंसानों में आसानी से पहुँच जाती है।
*- बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीक़ा यह है कि बोतलबंद पानी का इस्तेमाल किया करें।
*- पूल, तालाब, नदियों के पास जाने से बचने की कोशिश करें।
*- जब बारिश हो तो वॉटरप्रूफ़ कपड़े पहनकर त्वचा के घावों को कवर करें।
*- बीमार या किसी मारे हुए जानवर को छूने से बचें।
*- अगर आपको किसी तरह का कोई घाव हुआ है तो उसकी नियमित रूप से सफ़ाई करें।
इस बीमारी से बचना चाहते हैं तो बारिश के पानी और चूहों से दूर रहें। जलभराव और बहते पानी के कारण यह संक्रमण पानी में मिलकर उसे दूषित कर देता है। इस वजह से मानसून के समय में लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है। कुछ सालों में भारत के तटीय इलाक़ों में इस बीमारी का ख़तरा ज़्यादा देखने को मिला है। हर हाल भारत में लगभग 5 हज़ार मामले लेप्टोस्पायरोसिस के आते हैं। जिसमें से 10-15 प्रतिशत लोगों की मृत्यु भी हो जाती है।
इलाज के तौर पर सबसे पहले रोगी को पानी और चूहों से दूरी बनाने के लिए कहा जाता है। रोगी को डायलिसिस और एंटीबायोटिक दी जाती है। किडनी, हार्ट, लिवर में संक्रमण होने पर ख़ास ख़याल की ज़रूरत होती है। पोटैशियम का स्तर ज़्यादा होने के बाद ख़ास उपाय अपनाने की ज़रूरत पड़ती है।