जानिए ऐसी मुस्लिम महिला के बारे में जो पारे से बनाती है शिवलिंग, लोग कहते हैं….
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की पूजा का कितना महत्व है, इसके बारे में किसी को कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है। हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 33 करोड़ देवी-देवताओं में कुछ देवी-देवता ऐसे हैं, जिनकी पूरे देश में पूजा की जाती है। कुछ देवी-देवता तो ऐसे भी हैं, जिनकी भारत ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी पूजा की जाती है। इन्ही में से एक हैं भगवान शिव। भगवान शिव की पूजा विश्व के कई अन्य देशों में भी की जाती है। आज भी कई देशों में इनके मंदिर स्थित हैं, जो बहुत ही प्राचीन हैं।
सावन का महीना शुरू होने वाला है। यह महीना भगवान शिव का पसंदीदा महीना है। इस महीने में भगवान की पूजा करने से उन्हें बहुत प्रसन्नता होती है। इस महीने में जो भी भगवान शिव की पूजा करता है, वह उसकी इच्छा तुरंत पूरी कर देते हैं। लोग सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना के साथ ही सोमवार का व्रत भी करते हैं। भारत में भगवान शिव के कई प्रसिद्ध मंदिर स्थित हैं। बनारस में भी भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। इसी वजह से बनारस को भगवान शिव की नगरी के नाम से जाना जाता है।
बनारस के लोग पुकारते हैं आलमआरा को नंदिनी नाम से:
भारत में विविधता बहुत ज़्यादा देखने को मिलती है। यहाँ कई धर्म और जातियों के लोग आपस में मिलकर बड़े प्यार से रहते हैं। धार्मिक सद्भावना का यह उदाहरण शिव की नगरी बनारस में भी देखा जा सकता है। आज हम आपको वहाँ की एक महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मुस्लिम होते हुए भी भगवान शिव की मूर्ति बनाती है। इसी वजह से लोग इसे नंदिनी के नाम से जानते हैं। जानकारी के अनुसार बनारस के प्रह्लाद घाट के पास रहने वाली महिला आलमआरा को लोग नंदिनी के नाम से पुकारते हैं।
पिछले 15 सालों से पारे से बना रही हैं शिवलिंग:
आपको जानकर हैरानी होगी कि नंदिनी पारे से शिवलिंग बनाने का काम करती है। पारे से शिवलिंग बनाने के लिए सबसे पहले तरह पदार्थ को ठोस रूप में लाया जाता है। उसके बाद उसे खाँचे में रखकर शिवलिंग का रूप दिया जाता है। आलमआरा के अनुसार वह पिछले 15 सालों से पारे से शिवलिंग बनाने का काम कर रही हैं। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार पारा धातु भगवान शिव का ही अंश है। इसी से ब्रह्मांड ही रचना भी हुई है। जानकारी के अनुसार नंदिनी के पति पहले ऑटो चलाने का काम करते थे। बाद में उन्होंने ऑटो चलाने का काम छोड़ दिया।
पारे से 2.5 क्विंटल तक के बना चुकी हैं शिवलिंग:
काम छोड़ने के बाद वो कोई ऐसा काम खोजने लगे जो कोई और नहीं करता हो। पति की इसी ज़िद की वजह से कई साल बीत गए लेकिन कोई काम नहीं मिला। परिवार की आर्थिक स्थिति भी काफ़ी बिगड़ गयी। आलमआरा ने बताया कि एक दिन एक बाबा हमारे घर आए और उन्होंने पारे से शिवलिंग बनाने की सलाह दी। उसके बाद से वह यही काम करने लगे। आलमआरा बताती हैं कि उन्होंने 16 ग्राम से लेकर 2.5 क्विंटल के पारे के शिवलिंग भी बनाए हैं। इनके बनाए हुए शिवलिंग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाते हैं। सावन के पवित्र महीने में उनके द्वारा बनाए गए शिवलिंग की माँग बढ़ जाती है।